तुमसा नहीं देखा भाग – 34 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

शौर्य यशिका बीच की दूरियां ख़त्म हो गई है , अमित शाह की तबियत खराब होने की वजह से शौर्य उसे हॉस्पिटळ ले कर जाता है और डॉक्टर अमित शाह को घर ले जाने के लिए बोल देते हैं।

अब आगे :

अमित शाह का घर

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अमित शाह को शौर्य और अभिमन्यु घर ले आते हैं  , रघुवीर जी शौर्य से कहते है वो सब मिलना चाहते है अमित शाह से शौर्य को भी रघुवीर जी की बात सही लगती है  वो अमितशाह के पास जाता और उनमें बता देता है कि रघुवीर जी , श्याम जी , यशिका और देविका उनसे मिलना चाहते हैं

रघुवीर जी सबके साथ  अमित शाह के कमरे में आते हैं

अमित शाह हल्के से मुस्कुराए और जैसे ही  दोनों हाथ जोड़े  तुरंत ही रघुवीर जी ने आगे बढ़ कर उनके दोनों हाथों को थाम लिया …

” इसकी ज़रूरत नहीं है ” रघुवीर जी ने कहा

“आप बड़े है इतना तो मै कर ही सकता हूँ , ये शौर्य भी ना मैने बोला था कि मत बताना किसी को लेकिन इसने सबको बता दिया ”  अमित शाह ने कहा

“सर मैने बस बाउजी अभिमन्यु और पापा को बताया यशिका को तो अचानक पता चला ” शौर्य ने उनके पास आते हुए कहा

यशिका की आँखों में नमी तैर गई…. शौर्य ने सबको कहा था कि कोई भी सेंटी नहीं होगा यशिका पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन फिर भी वो अपने आँसुओं को रोक नहीं पा रही थी ।

रघुवीर जी और श्याम जी से मिलने के बाद अमित शाह ने यशिका की तरफ देखा और उसे अपने पास बुलाया यशिका खुद पर काबू करते हुए उनके पास गई अमित शाह ने मुस्कुरा कर कहा ” मैने तुम्हें बहुत परेशान कर दिया ना इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दे कर ,  तुम्हें देखा तो लगा कि बस तुम ही हो जो मेरी कंपनी को संभाल सकती हो , अमित शाह ने अपना हाथ बढ़ाया तो यशिका ने उसे थाम लिया और बोली ” आपने भरोसा करके कंपनी मुझे दे लेकिन अपने बारे में बता सकें आप इतना हक़ नहीं दिया “?

“शिकायत कर रही हो “? मै अगर तुम्हें बताता तो क्या तुम परेशान नहीं होती और फिर मुझे  पल पल ये एहसास होता कि मै अब कुछ दिनों का मेहमान हूँ मै इसीलिए किसी को बताना नहीं चाहता था ।”

यशिका ने कुछ नहीं कहा वो समझ रही थी अमित शाह ने शौर्य को बुलाया और कहा शौर्य ध्यान रखना यशिका का शौर्य ने हाँ कहा

तभी दरवाज़े पर दस्तक़ हुई सबने देखा तो दिनेश के साथ सुजीत त्रिपाठी अंदर आए

रघुवीर जी को देख कर सुजीत ने उन्हें प्रणाम किया और अमित शाह के पास चला चले गए

“हमसे  नाराज़गी थी तो बोल देते हम आ जाते देते तुम सज़ा ऐसे बुलाने की क्या ज़रूरत थी” सुजीत ने कहा

”  तुम ताना मारना नहीं छोड़ोगे ना “?अमित शाह ने कहा

“नही जब तुम अपनी आदत नही छोड़ सकते तो मै कैसे छोड़ दूँ”?

“अब तो जिंदगी छूट रही है “कहते हुए अमित शाह ने सुजीत का हाथ कस के पकड़ लिया ,

“परिवार नहीं मेरा बाकी तो भगवान ने सब ही दिया है और अब देखो पूरा परिवार खड़ा है मेरा ” अमित शाह ने भरी हुयी आँखों से कहा

रघुवीर जी ने सबको बाहर चले का इशारा किया  सबकी आँखें भर आयी और सब बाहर आ गए ।

कुछ देर अमित शाह से बात करके सुजीत बाहर आए उन्होंने श्याम जी को देख और उनके के पास जा कर बैठ गए ….दोनों कुछ बोल नहीं रहे थे ….गतफहमी शौर्य ने दूर कर दी थी लेकिन शायद अभी भी कुछ बाक़ी थी ,…. श्याम जी ने अपना हाथ धीरे से सुजीत के हाथ पर रखा सुजीत ने श्याम जी की तरफ देखा दोनों की आँखें भर  गयी, सुजीत ने श्याम जी के हाथों को कस कर पकड़ लिया बरसों बाद दोनों के भी है कि दूरी कम हो गयी थी ।

रघुवीर जी ने शौर्य को वही रहने किए बोला और खुद श्याम जी और सिद्दार्थ के साथ रंधावा मेंशन आ गए जहाँ कमला , नीलिमा और नीता उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे ।रघुवीर जी ने सब कुछ उन तीनों को बताया और ये भी की शौर्य और अभिमन्यु वहीं हैं

वो रात सबके लिए भारी थी , शौर्य ने यशिका और देविका को ये कह कर घर भेज दिया था कि गुंजन अकेली है यशिका ने बहुत कहा रुकने के लिए लेकिन शौर्य ने उसे भेज घर दिया था…….  अमित शाह को लेकर सब परेशान थे रात से सुबह हुयी ….शौर्य अमित शाह के कमरे में गया वो अभी तक सो रहे थे …..शौर्य ने कमरे के पर्दे खोले और गुड मॉर्निंग सर कह कर वो पलटा तो देखा कि अमित शाह के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी…… वो उनके पास गया और बोला सर कैसे है आप “? शौर्य ने उनका हाथ पकड़ा तो वो बिलकुल ठंडा हो था शौर्य ने अमित शाह की तरफ देखा और जोर से बोला अभी , दिनेश …. दोनों दौड़ के आए शौर्य ने दिनेश को डॉक्टर को फोन करने किए बोला और उनके हाथों को अपने हाथों से रगड़ने लगा अभिमन्यु भी उनके पैरों को रगड़ रहा था , कुछ देर में डॉक्टर आए उन्होंने अमित शाह को देख उन्होंने अमितवशाह को देखा और फिर बोला ” ही इज़ नो मोर “

शौर्य दीवार से टिक कर खड़ा हो गया अभिमन्यु शौर्य के पास गया और उसे गले से लगा लिया दोनों की आँखें भीग गयी थी दिनेश अमित शाह के हाथ को पकड़े हुए उन्हें देखे जा रहा था ।

अभिमन्यु शौर्य से अलग हुआ और उसने सबको ख़बर की कुछ देर में सब कंपनी वाले भी आए और अमितशाह को अंतिम विदाई दी…. उनको जब अग्नि देने का वक़्त आय तो रघुवीर जी ने शौर्य से उन्हें अग्नि देने के लिए बोला भरी आँखों से सबने अमित शाह को विदाई दी ।

नीलिमा और नीता भी अमित शाह  के घर आ गए थे ,यशिका, गुंजन और देविका ने बाक़ी सब काम पूरे किए ।

अमितशाह के सब काम होने के बाद दिनेश ने उनके घर की चाबी और उसके पेपर्स  यशिका को दिए

“ये सब “? यशिका ने पूछा

“सर की इच्छा थी कि ये घर उनके जाने के बाद आपको दे दे उन्होंने ये सब पहले ही करा लिया था ” दिनेश ने कहा

“दिनेश जी मैं क्या करूंगी घर लेकर आजतक आपने ही उनको संभला तो आप ही रखिए , और अगर बात पेपर्स की है तो वो मै बदलवा दूंगी लेकिन ये घर आपका है , और आप मना मत करिएगा ” दिनेश ने फिर कुछ  नहीं कहा और चाबी ले ली

ज़िंदगी है चलती रहेगी अमितशाह की यादें यशिका और बाक़ी सब के दिल में हमेशा रहेंगी ….

ज़िंदगी ने फिर रफ्तार पकड़ी सब अपने कामों में व्यस्त हो गए।

रंधावा के ऑफिस में

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शाम हो गई थी शौर्य अपने केबिन में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था और  क्यूब को घुमा रहा था तभी किसी में नॉक किया

“कम इन ” शौर्य ने बोला

शौर्य ने बिना देखे ही बोला “हाँ सचिन बोलो “

जब कोई कुछ बोला नहीं तो शौर्य ने सामने देखा यशिका खड़ी थी

उसे देखते ही शौर्य अपनी चेयर पर से खड़ा हो गया और उसके पास आते हुए पूछा ” आप यहाँ ? क्या हुआ ? सब ठीक है ,? और उसे बैठने का इशारा किया “

उसने इंटरकॉम से फोन किया और सचिन को बुलाया

“यस सर ” सचिन ने बोला

“सचिन दो कॉफी के बोलो और अभी किसी को अंदर आने मत देना “

“जी सर “सचिन ने कहा और चला गया

शौर्य ने मुस्कुराते हुए यशिका की तरफ देखा और बोला ” हाँ बताएं आप यहाँ कैसे “?

“मिस्टर रंधावा मैने सोचा आपके ऑफर के बारे में “

“किस ऑफर के बारे में “

“मर्जर के बारे में “?

“हाँ, तो “

“अब काम बढ़ गया है और मैं इतना कुछ देख नहीं पा रही हूँ मुझे इन सबका ज़्यादा तजुर्बा नहीं है “

“ह्म्म मै समझ सकता हूँ मैने तो आपको पहले ही बोला था और ये आपकी ही कंपनी रहेगी बस ऑफिस हम यहां शिफ्ट कर लेंगे बाकी जो काम जैसे हो रहा है होने देंगें”

“थैंक्स ” यशिका ने कहा

“थैंक्स की कोई ज़रूरत नहीं है वैसे आप बस इसलिए आयी थी “

“हाँ”

” ये बात तो फोन पर भी हो सकती थी “

” हाँ हो सकती थी लेकिन मैने सोचा कि सामने ही करूं तो ठीक रहेगा “

“ह्म्म और कुछ “

“नहीं और कुछ तो नहीं है “

सचिन तभी कॉफी और स्नैक्स ले आया था  उसने सर्व किया और चला गया

दोनों ने कॉफी पी और यशिका जाने के लिए खड़ी हुयी तो शौर्य ने बोला मै छोड़ देता हूँ आपको उसने अपना कोट लिया और यशिका के ऑफिस से बाहर आ गया ।

ड्राइवर तब तक गाड़ी ले आया था , शौर्य यशिका के साथ पीछे बैठ गया

” बीच पर ले चलो ” शौर्य ने कहा

“नहीं मुझे घर जाना है ” यशिका ने कहा

“चली जाना थोड़ी देर में मैं खुद ड्रॉप कर दूंगा”

“अरे नहीं आज देविका भी नहीं है और गुन्नू भी देर से आएगी “

“तो ठीक है ना आप भी देर से चली जाना “

शौर्य ने इतना कहा ही था कि गाड़ी में झटका लगा और गाड़ी रुक गयी

“क्या हुआ “? शौर्य ने पूछा “

“देखता हूँ सर “

ड्राइवर ने कहा और उतर कर देखने लगा मुंबई में बारिश का मौसम आ शुरू हो गया था जैसे ही ड्राइवर उतरा तेज बारिश होने लगी ड्राइवर ने छाता निकला उसने बोनट खोल कर देखा तो उसमें से धुंआ उठने लगा था

ड्राइवर ने शौर्य से कहा “सर लगता है इंजन में कुछ प्रॉब्लम है “? मै लेकर जाता हूँ  गैरेज और आपके लिए कैब बुक कर दूं या दूसरी गाड़ी मांगा दूं “?

शौर्य ने कुछ सोचा और बोला” कैब बुक कर दो “

ड्राइवर ने कैब बुक की  शौर्य और यशिका उसमें बैठ कर क्राउन की तरफ चल दिए ।

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी ….🤗

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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