तुमसा नहीं देखा भाग – 32 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा :

एनवल मीटिंग में यशिका की मुलाक़ात ज्ञानचंद से और करतार सिंह से होती है

करतार सिंह यशिका को उसी की बिल्डिंग के एक रूम में कैद कर लेता है

अब आगे :

शौर्य यशिका का हाथ पकड़े हुए उसके रूम के सामने आकर डोरबेल बजायी , गुंजन दरवाज़ा खोला और यशिका को देखकर उसे आगे बढ़कर गले से लगा लिया

“दी आप कहाँ थी , हम बहुत घबरा गए थे “गुंजन ने कहा

” पहले अंदर चलो फिर बात करते हैं शौर्य ने बोला और दरवाज़ा बंद करके अंदर आ गया

देविका ने भी यशिका को गले से लगाया और बोली ” तुम ठीक हो यशी”?

“हाँ मै ठीक हूँ” यशिका ने कहा गुंजन पानी ले आयी थी तब तक

यशिका ने पानी पिया और वहीं बैठ जी गयी

“आप वहाँ कैसे पहुँची” अभिमन्यु ने पूछा

“जब मैं लिफ्ट में गयी तो करतार सिंह पहले से ही लिफ्ट में था उसने पहले तो चुप रहने का इशारा किया… और फिर अंदर आने के लिए बोला मैने अपना पैर पीछे किया तो उसने अपने मोबाइल में मेरे रूम का पिक दिखाया .. जिसमें रूम के बाहर चार पाँच लोग खड़े थे फिर मैने कुछ नहीं सोचा और उसके साथ चली गयी,… वहाँ पहुँच कर उसने मुझे दूसरे रूम में जाने के लिए बोला मेरा मोबाइल ले लिया और खुद बाहर वाले रूम में चला गया, उसने कुछ कहा नहीं न ही कमरे में आया कुछ देर बाद मैने बस मिस्टर रंधावा की आवाज सुनी ।

“ये सब क्या है दी ये करतार सिंह कौन है ?”गुंजन ने पूछा

गुंजन को अभी तक कुछ पता नहीं था यशिका ने उसे कुछ देर में सब बताने के लिए बोला

“आपका यहाँ रहना ठीक नहीं है ” शौर्य ने कहा

“मेरा कहीं रहना ठीक नहीं है मै कहीं भी जाऊं वो ढूंढ ही लेगा अब मैं समझ पा रही हूँ कि आप जो कहते थे सही था , ये सब इतना भी आसान नहीं है और मुझे इन सबके बारे में कुछ नहीं पता , ये सब बस इसलिए कि मैने उसकी बात नहीं मानी या इसलिए कि हम रंधावा के साथ काम कर रहे है उफ्फ दिमाग काम नहीं कर रहा मेरा “

यशिका ने कहा

“वजह कोई भी हों सकती है लोगों के दिमाग का फितूर ” शौर्य ने कहा

” नहीं शौर्य मुझे लगता है बात कुछ और है काम से ज़्यादा ….जिस तरह उसने तुम्हें मेसेज किया  उसने देखा कि तुम कितने फिक्रमंद हो तो शायद वो ये देखना चाह रहा होगा , ” अभिमन्यु ने कहा

“जो भी है अब यहाँ रहना सेफ नहीं है ”  शौर्य ने कहा और फोन लेकर किसी को फोन करने लगा

“तुम किसे फोन कर रहे हो “? अभिमन्यु ने कहा

एक मिनट , “हैलो अमर “

“शौर्य .……बोलो इतनी रात को फोन किया आपने सब ठीक है ना “?

“अमर वो फ्लैट क्राउन वाले रेडी तो मूव है क्या “?

” हाँ दो फ्लैट हैं उसमें जो रेडी तो मूव है क्या हुआ “?

“अभी चाबी मिल सकती है उसकी “

“हाँ मिल सकती है हुआ क्या “?

“वो मै बाद में बता दूंगा”

“तुम ज़रा चाभी भिजवाओ मै पहुँच रहा हूँ “

“मै खुद ले कर आ रहा हूँ तुम पहुँचो “

“थैंक्स “

“नो नीड चल मिलते है “

“आप चलो यहाँ से ये सेफ नहीं है बिलकुल भी “

“लेकिन मिस्टर रंधावा “

“यशी ये सही कह रहे है सेफ नहीं है यहाँ प्लीज़ आज चलो गुंजन भी हमारे साथ है सोचो तुम ” देविका न यशिका को समझते हुए कहा

यशिका ने गुंजन की तरफ देखा जो डरी हुई थी

यशिका ने फिर कुछ नहीं कहा उसने बस कुछ ज़रूरी सामान लिया और  सब लोग वहाँ से निकल कर द क्राउन में पहुंचे अमर वहीं लॉबी में चाबी ले कर बैठा हुआ था शौर्य को देखते ही वो उसके पास आया उसने यशिका को शौर्य के साथ देखा लेकिन उसने कुछ पूछा नहीं वो सब लिफ्ट से होते हुए फ्लैट में पहुंचे ,वो एक थ्री बेड रूम फ्लैट था और पूरा इंटीरियर किया हुआ फर्निश्ड

“आज आप यहीं रहो ” शौर्य ने  यशिका को फ्लैट के चाबी देते हुए कहा और बाहर आ गया ।

अमर सूर्यवंशी रंधावा के सारे फ्लैट्स के इंटीरियर को देखते थे बाहर आ कर अमर ने शौर्य से पूछा ” ये सब “? शौर्य ने सब बताया और वहाँ के वॉचमेन को बुला कर सख्त हिदायत दी कि कोई भी बाहर का उस बिल्डिंग में फिलहाल नहीं जाए । वैसे वहां कोई आसानी से जा भी नहीं सकता था वो सारी बिल्डिंग डिजिटली डिजाइन की थी जिसमें बिना पास वर्ड के गेट में एंट्री नहीं कर सकते थे ।

शौर्य अमर को सब बात कर वापस से अभिमन्यु के साथ यशिका से मिलने गया

यशिका ने दरवाज़ा खोला और दोनों अंदर चले गए और वहीं रखे हुए सोफे पर बैठ गए

गुंजन थोड़ा डरी हुई थी देविका गुंजन के साथ रूम में जाकर उसके ही पास लेट गई थी

“फिलहाल आप यहाँ रहो , आपका बाक़ी सामान हम कल ले कर आ जाएंगे , और यहां कोई नहीं  आएगा “शौर्य ने यशिका को देखते हुए कहा

यशिका ने हाँ बोला

शौर्य और अभिमन्यु कुछ देर रुक कर चले गए ।

अगले दिन गुंजन ने छुट्टी ले ली थी , देविका यशिका के साथ ऑफिस के लिए निकल गई थी

शाह ग्रुप के ऑफिस में

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यशिका का मन काम में लग नहीं रहा था वो काफी अपसेट थी उसने दिनेश से कह कर आज की सुबह की सारी मीटिंग्स को लंच के बाद करने के लिए बोल दिया था । कुछ सोचते हुए यशिका ने शौर्य को फोन लगाया

एक ही रिंग में शौर्य ने फोन उठा लिया और बोला

“हाँ बोले आप *

“क्या आपसे मिल सकती हूँ अभी अगर आप बिज़ी ना हो तो “

“बिलकुल मिल सकते है वैसे मै आपके ऑफिस के बाहर ही हूँ “

“क्या आप ऑफिस के बाहर हैं “?

“हाँ आता हूँ “शौर्य ने कहा और ऑफिस में आ गया  यशिका अभी सोच ही रही थी कि उसके केबिन में किसी ने नॉक किया

“कम इन ” यशिका ने कहा तो दिनेश के साथ शौर्य अंदर आया

यशिका उसे देख कर खड़ी हो गई और बोली ” हैलो “

उसने  सामने रखे हुए सोफे पर बैठने  का इशारा किया और दिनेश को कॉफी लाने के लिए बोला ।

यशिका शौर्य के सामने बैठ गई

“बताएं आप क्यों मिलना चाहती थी “?

“मिस्टर रंधावा कल के लिए सॉरी और थैंक्स “

शौर्य मुस्कुराया और बोला ” थैंक्स तो ठीक है लेकिन सॉरी किसलिए “?

“मैं कुछ ज़्यादा ही रूड हो गयी थी , मुझे ऐसे बोलना नहीं चाहिए था ..आप हमेशा मेरी हेल्प के लिए खड़े रहते है मै इतना कुछ बोल देती हूँ फिर भी ” कहते हुए यशिका नीचे देखने लगी

शौर्य अपनी जगह से उठा और उसने पास बैठ गया , उसने यशिका से कहा ” पहले तो आप ये गिल्ट मत लो कि आपने मुझसे कुछ कहा मै समझ सकता हूँ आप के लिए ये सब नया है और सब कुछ हैंडल करने में समय लगेगा ,  यशिका ने शौर्य की तरफ देखा  तो शौर्य ने कहा ” और आप ऐसे क्यों कर रही हो …मुझे ना ये यशिका बिलकुल भी पसंद नहीं आई , मुझे तो वो तेज तर्रार वाली यशिका पसंद है जो मुझे डांट देती है .,और मै कुछ कहूँ तो उसका उल्टा ही सोचती है ..  यशिका हल्के से मुस्कुरा दी

शौर्य ने कहा “बस ये ही मुस्कुराहट मुझे आपके चेहरे पर चाहिए और बाक़ी ये सब तो चलता ही रहता है आप इन सबकी टेंशन मत लो ,,, वैसे तो मै आपको अपने घर भी ले जा सकता हूँ रहने के लिए लेकिन वो है ना अभी ठीक नहीं है अभी आप मानी नहीं हो ना तो इसलिए “

“मिस्टर रंधावा आप फिर शुरू हो गए “

शौर्य मुस्कुरा कर बोला ” हाय ये मिस्टर रंधावा से शौर्य पर कब आओगी आप “

यशिका ने थोड़ा तीखी नजरों से शौर्य को देखा

तभी दरवाज़े पर दस्तक़ हुई

दिनेश कॉफी के साथ कुछ स्नैक्स भी ले कर आ गया था ।

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अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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