तुमसा नहीं देखा भाग – 29 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा :

यश टीम डिनर के लिए सबको द रॉयल्स में ले जाता है , यशिका के साथ एक हादसा होता हैं और यशिका को शौर्य की सच्चाई का पता अभिमन्यु से चलता है ।

अब आगे :

यशिका शौर्य की बात सुनकर वहीं खड़ी हो गयी और बोली ” मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हो रहा है मै एक सिंपल सी लड़की हूँ बाक़ी लड़कियों की तरह पढ़ाई और फिर जॉब करना यहीं सपना था ,  एक्सपीरियंस नहीं था ज़्यादा फिर भी मैने अप्लाई किया शाह ग्रुप में जॉब मिली , मैने अपना बेस्ट दिया फिर वो प्रोजेक्ट , बस वहीं से मेरी जिंदगी ने नया मोड़ ले लिया ,मोड क्या लिया बस रोज कुछ ना कुछ नया हो रहा है , इतना सब कुछ एकसाथ हुआ कि मुझे समझ नहीं आ रहा और उसमें आपका ये सब कहना …. मैं ये सब करना नहीं चाहती हूँ लेकिन मेरे पास अब कोई ऑप्शन नहीं है , सब कुछ एक सपने जैसा लग रहा है और अब ये सब ।

शौर्य यशिका के पास आया और उसको चेयर पर बैठा कर खुद उसके सामने वाली चेयर पर बैठ गया उसने यशिका के दोनों हाथों को अपने हाथ में लिया और बोला ” यशिका देखो मै समझ सकता हूँ  इतना सब कुछ किसी के लिए भी हैंडल करना आसान नहीं है इसलिए मैं बोल रहा था मर्जर करने के लिए कम से कम कंपनी की तरफ से तो आप थोड़ा बेफिक्र हो जाओगी और मेरा कोई स्वार्थ नहीं है इसमें बस मुझे आपकी फिक्र है ये सब इतना आसान नहीं है लोग कुछ भी कर जाते है कोई भी साफे नहीं है…. और रही बात चाहत कि तो मुझे फील हुआ मैने बोल दिया  “कह कर शौर्य ने सामने रखा हुआ पानी का गिलास यशिका को दे दिया यशिका ने ग्लास लिया और एक घूंट पानी उसमें से पिया

“नाउ रिलैक्स मै कुछ नहीं होने दूँगा आपको  ” कह कर शौर्य मुस्कुरा दिया और  यशिका के पास से उठकर दूसरी चेयर पर बैठ गया । यशिका  बस शौर्य को देख रहीं थी शौर्य ने उसकी तरफ देखा तो यशिका ने अपनी नजरों को नीचे कर लिया ।

अभिमन्यु रूम से बाहर आ कर अपनी आँखें बंद करके दीवार की तरफ खड़ा हो गया  , उसे किसी के आने की आहट अपने पीछे सुनाई दी वो पीछे घूमा तो देखा कि देविका है अभिमन्यु घूम कर कर दीवार के सहारे टिक कर खड़ा हो गया और बोला

” मैने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया शायद आपकी दोस्त को बुरा भी लग सकता है “

” हाँ लग तो सकता है इतना कुछ मिस्टर रंधावा ने कर जो दिया “

अभिमन्यु ने देविका की तरफ देखा

“इतनी हिफाज़त तो कोई तब करता है जब कोई रिश्ता हो क़रीब का या दूर का , लेकिन अभी तो कोई रिश्ता इन दोनों के बीच है ही नहीं फिर भी उन्होंने किया तो बुरा तो लगा ही होगा “

अभिमन्यु हल्के से मुस्कुरा दिया और बोला ” सब ऐसे ही सोचते है कि ये तो बड़ी कंपनी के मालिक है और इनके पास तो किसी भी चीज़ की कमी नहीं है इनके लिए सब  बस एक खेल या फिर ये सब अपने फायदे के लिए करते हैं “

“हाँ सही कहा आपने हम सब ये ही सोचते है …और इसकी वजह है दुनियां है ही ऐसी ….अब देखिए यशी ने शाह ग्रुप ज्वाइन किया उसमें वो प्रोजेक्ट उसकी वजह से शाह ग्रुप को मिला उसका लाइम लाइट में आना और मिस्टर रंधावा का उसको आर . आर. ग्रुप में आने के लिए बोलना किसी को भी ये सब ऐसा ही लगेगा ना कि सब बस फायदे के लिए है  , ये तो नहीं सोचेगा ना कि ये सब किसी और वजह से है … एतबार होते होते होता है और मुहब्बत भी “

अभिमन्यु ने देविका को देख कर हाँ में अपना सिर हिलाया

“तो चलें अंदर यहाँ बाहर खड़े हैं ठीक नहीं लग रहा ” कह कर देविका अंदर जाने लगी तभी किसी ने उसे पुकारा

” दी “गुंजन यश के साथ आई थी

देविका ने देखा सामने से गुंजन आ रही थी वो मुस्करायी और बोली ” गुन्नू “

“दी “यहाँ क्या कर रही हो आप और दी” कहाँ है “?

वो अंदर है देविका ने कहा और उसके साथ रूम की तरफ बढ़ गई

यश ने अभिमन्यु को धीरे से पूछा ” ये कौन है “?

“ये शाह ग्रुप में ग्राफिक डिजाइनर है यशिका की फ्रेंड “

“पर ये आपके साथ यहाँ क्या बात है भाई”?

“ज़्यादा दिमाग मत लगाओ तुम भी तो गुंजन के साथ आए “

“हाँ तो आपको पता है कि गुंजन अपनी सिस्टर से मिलने आयी है “

“वो अकेले भी तो आ सकती थी “

“भाई क्या हो गया आपको ये यहाँ पर अकेले आती तो कोई आने  देता क्या “? इतनी सिक्योरिटी ऐसे ही है क्या कि कोई भी आ जाए “?

“अच्छा चलो “तब तक वो दोनों रूम में आ गए थे

गुंजन  रूम में आयी और यशिका को देख कर खुश होते हुए बोली ” दी “

“गुन्नू “

“हाँ दी मैने बोला सर को कि आपसे मिलने है तो वो ले आएसी और इस बहाने मैने यहां के वी आई पी रूम्स भी देख लिए ” ये लास्ट वाली लालों गुंजन ने धीरे से बोली थी

“हैलो मिस्टर रंधावा कैसे हैं आप ?”

“मैं बढ़िया आप कैसे हो “?

“वैसे क्या हुआ है आप सब इतने ख़ामोश क्यों है और अभी डिनर किया नहीं आपने”?

“हाँ वो हम कुछ बात कर रहे थे इंपॉर्टेंट बस करते है डिनर “

“मुझे पता है आपके पास बस काम की ही बातें होती है और वहीं डिस्कस करने के लिए होता है ” यश ने कहा

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई वेटर डिनर ले कर आ गया था

“चलो आप लोग डिनर करो हम लोग चलते है ” यश ने कहा

“ओके दी मैं बाहर हूँ आप जब डिनर कर लो तो बता देना ” गुंजन ने कहा और यश के साथ बाहर आ गयी

यश के जाने के बाद अभिमन्यु यशिका के पास गया और बोला ” आई एम सारी मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था”

“आप नहीं बताते तो हमें पता कैसे चलता ” यशिका ने कहा

“अच्छा चलो जो हुआ सो हुआ अब डिनर कर लें क्योंकि बातों से तो पेट नहीं भरने वाला ” कह कर देविका बैठ गयी उसने इशारे से सबको बैठने के लिए बोला और खाने लिए भी ।

डिनर करके सब बाहर आ गए यश की टीम के सारे मेंबर्स जा चुके थे बस गुंजन बची थी क्योंकि उसे यशिका के साथ ही जाना था , ना ही गुंजन को पता था और ना ही यश को की कुछ देर पहले क्या हुआ था । शौर्य और अभिमन्यु ने यश को ड्राइव करने के लिए बोला और बाक़ी सब गाड़ी में बैठ गए । उन्होंने यशिका को घर तक छोड़ा और अपने अपने घर चले गए ।

कुछ दिन सब ठीक रहा शौर्य और यशिका थोड़ी बहुत बात करते , उनको बातें या तो काम को लेकर होती थी या फिर अमित शाह को लेकर । अभिमन्यु की बात काम के सिलसिले में देविका से होने लगी थी ।

रंधावा के ऑफिस में

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शौर्य बस घर  निकलने की तैयारी में था तभी सचिन आया और बोला “सर  आपके लिए कॉल है “

“किसका कॉल है “?

“सर वो सुजीत त्रिपाठी का कॉल है “

“सुजीत त्रिपाठी शाह ग्रुप वाले “

“जी सर “

“लाओ” शौर्य ने कहा और फोन ले लिया

“हैलो  “

“हैलो शौर्य कैसे हो “?

“मै ठीक हूँ आप कैसे है?बताए कैसे फोन किया आपने “?

“क्या हम थोड़ी देर में मिल सकते है “?

शौर्य ने एक पल को सोचा फिर बोला ” जी बिल्कुल आप आ जाए मैं ऑफिस में ही हूँ”।

“ठीक है मैं पहुँच रहा हूँ”

“ओके मैं आपका वेट कर रहा हूँ” कह कर शौर्य ने फोन रख दिया

“सचिन त्रिपाठी जी आ रहे तुम उन्हें ले आओ “

“ओके सर”

कुछ देर में सचिन सुजीत त्रिपाठी के साथ शौर्य के केबिन में आ गया शौर्य सुजीत त्रिपाठी को देख कर खड़ा हो गया और झुक कर उनके पैर छुए खुश रहो सुजीत त्रिपाठी ने कहा शौर्य ने उन्हें बैठने का इशार किया ।

सुजीत त्रिपाठी  श्याम जी के अच्छे दोस्त थे  वो शाह ग्रुप में काम करते थे ,कुछ गलतफहमियों की वजह से श्याम जी और सुजीत त्रिपाठी में लड़ाई हो गई और फिर अमित शाह ने भी उन्हें कंपनी से निकला दिया ।

“सचिन ज़रा चाय के लिए बोलो और थोड़ी कड़क ” शौर्य ने कहा तो सुजीत मुस्कुरा दिए

सचिन बाहर चला गया

“याद है तुम्हें “

“कैसी बातें कर रहे है अंकल आप क्यों नहीं याद होगा “

सुजीत त्रिपाठी हँस दिए

“बताएं कैसे आना हुआ “?

“शौर्य ज्ञानचंद ने पूरी अपनी एक टीम बना ली है राकेश करतार सिंह के साथ ……करतार सिंह शाह ग्रुप को ख़त्म कर देना चाहता है अभी तो उसने सिर्फ यशिका गुप्ता को ही किडनैप करने का प्लान बनाया है बाक़ी और मुझे पता नहीं उसने क्या – क्या सोच रखा है ?

वो मार भी सकता है और तुम्हें तो पता ही है कि वो कैसा है ?

“हाँ मुझे पता है और उसका नमूना हम देख चुके है “

“करतार सिंह ने मुझे बुलाया था मिलने के लिए  वो यशिका गुप्ता पर नजर रखे हुए है , मैने अभी तो उसे रोक दिया है ये कह कर कि मै प्लान बनाऊंगा….. लेकिन मुझे नहीं पता इस बीच वो क्या करेगा ,मै इन सब मामलों में पड़ना नहीं चाहता और अमित के बारे में पता चला मुझे …..वैसे तो मुझे पता है कि उनके सब लोग वफादार है लेकिन समय का कुछ भरोसा नहीं है किसने सोचा था कि अमित ऐसे ….सुजीत त्रिपाठी की आँखें नम हो गई ।

“आप फिक्र ना करें मैं कुछ होने नहीं दूँगा “

“मै इसलिए आया कि तुम उनके साथ काम कर रहे हो और अमित के लिए भी उसकी कंपनी कम से कम गलत हाथों में तो ना जाए “

“अंकल आप अमित सर से और पापा के साथ अपनी गलतफहमी दूर क्यों नहीं कर लेते क्यों नहीं बता देते कि अपने कुछ नहीं किया था “

“छोड़ो जो बीत गया वो बीत गया  अब क्या फायदा  “

सचिन तब तक चाय ले आया शौर्य ने सुजीत त्रिपाठी के साथ चाय पी और उनको आश्वासन दिया कि कुछ नहीं होगा ।

सुजीत त्रिपाठी के जाने के बाद अभिमन्यु शौर्य के केबिन में आया शौर्य ने सुजीत त्रिपाठी के आने की बात अभिमन्यु को बतायी और दोनों बातें करते हुए ऑफिस से बाहर आ गए ।

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी …

धन्यवाद 🙏

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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