तुमसा नहीं देखा भाग – 27 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

भाग – २७

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अब तक आपने पढ़ा:

शौर्य रघुवीर जी को अमित शाह के बारे में बता देता है और यशिका शौर्य से मिलने आती है।

अब आगे:

शौर्य यशिका को अपनी बाहों में भरे हुए खड़ा था, सूरज धीरे-धीरे समुंदर में समाता जा रहा था, और अब उसकी लालिमा रह गयी थी। बेहद खूबसूरत नज़ारा था। यशिका ने अपनी आँखों को बंद किया, जैसे कि वो इस पल को हमेशा के लिए अपने साथ रखना चाहती हो।

शौर्य ने उसे अपनी बाहों के घेरे से आज़ाद किया और उसके साथ आकर खड़ा हो गया।

ये है मेरी पसंदीदा जगह जब भी मैं किसी दुविधा में होता हूँ या मुझे कुछ समझ नहीं आता तो मैं यहाँ आ जाता हूँ ,और दूर तक फैले हुए समुंदर को देखता हूँ , सुकून मिलता है मुझे यहाँ।

“ह्म्म… अब चलें काफी देर हो गयी यशिका ने कहा और बाहर की तरफ जाने लगी

तभी एक नौकर आया और शौर्य से बोला ” सर आप एक बार देख लेते रेनोवेशन का काम अंदर चल कर “

ठीक है चलो शौर्य ने कहा और यशिका को अपने साथ चलने के लिए बोला

दोनों घर के अंदर गए रेनोवेशन का काम चल रहा था चारों तरफ सम्मान बिखरा हुआ था अभी पेंटिंग हो रही थी तो सारा कुछ कवर था… शौर्य ने सारे घर का एक चक्कर लगाया और कुछ इंस्ट्रक्शन भी दिए ।  शौर्य यशिका को लेकर बाहर आया और गाड़ी में बैठ कर ड्राइवर को यशिका के घर चलने के लिए कहा ।

रस्ते में शौर्य ने यशिका से पूछा ” आप कुछ बोल नहीं रहीं हैं , घर कैसा लगा आपको “?

“बहुत सुंदर और इंटीरियर भी बहुत बढ़िया किया है सब तो देखा नहीं पर जितना भी देखा अच्छा लगा “

“बस तीन महीने में पूरा हो जाएगा ये ” शौर्य ने कहा

यशिका मुस्कुरा दी और गाड़ी में फिर से खामोशी हो गई , यशिका शौर्य को लेकर बहुत कन्फ्यूज थी वो समझ ही नहीं पा रही थी कि शौर्य सही बोल रहा है या ये सब यूँ ही है … उस प्रोजेक्ट की वजह से है या वाकई में शौर्य जो कह रहा है वो सब सच है सवालों का एक पूरा क्वेश्चन पेपर उसके दिमाग में घूम रहा था

यशिका का घर जुहू बीच से बहुत दूर था,  वो ये सब सोच रही थी और उसे नींद आने लगी। शौर्य अपने टैबलेट में कुछ देख रहा था  उसने यशिका की तरफ देखा जिसकी आँखें बंद हो गई थीं और वह दरवाजे से टिककर सो गयी थी। शौर्य मुस्कुराया और उसने ड्राइवर को इशारे से गाड़ी स्लो करने के लिए कहा।

ड्राइवर ने गाड़ी स्लो कर दी , शौर्य फिर से टैब में देखने लगा , कुछ देर बाद यशिका के फोन की रिंग बजी उसने अपनी आँखें खोली और देखा तो देविका का फोन था

उसने वैसे ही बोला ” हैलो “

“कहाँ हो यशी ? कब कितनी देर में आ रहीं हो ,”?

“यशिका ने शौर्य से पूछा अभी कितनी देर है पहुंचने में “?

“आधे घंटे में हम पहुँच जायेंगे ” शौर्य ने कहा  और यशिका ने देविका को बता दिया फोन कट कर दिया।

“वो आप सो गयी थी इसलिए मैने ड्राइवर को गाड़ी स्लो करने के लिए बोल दिया था “

यशिका ने बस सर हिला कर हाँ कह

आधे घंटे बाद शौर्य ने यशिका को घर छोड़ा मिलने के लिए थैंक्स बोला और रंधावा मेंशन की तरफ चल दिया

यशिका शौर्य से मिलने गयी थी ये बात सिर्फ देविका को पता था अभी गुंजन थी तो उसने कुछ पूछना ठीक नहीं समझा , सबने डिनर किया और रूम में आ गए

देविका ने रूम में जाते ही दरवाज़ा बंद किया और यशिका से पूछा ” तो कैसी रही मुलाक़ात “?

“ठीक थी “

“क्या बातें की तुमने “?

“कुछ ख़ास नहीं बस मिस्टर रंधावा ने बोला कि आई विल वेट फिर हम उसने जुहू वाले बंगले पर गए “

“बंगले पर क्यों “?

“वो मैने उनसे उनकी पसंदीदा जगह पूछी इसलिए वो मुझे वहाँ ले गए “

“यशी मुझे लगता है वो सच में तुम्हें लाइक करते है “

“पता नहीं मैं बहुत कन्फ्यूज़ हूँ , मैंने पहले भी कहा है और फिर कहती हूँ, कि वो रंधावा है और मुझे यकीन नहीं होता ऐसा नहीं कि मै यकीन नहीं करना चाहती लेकिन फिलहाल तो नहीं है “

“तुम भी ना सोचती बहुत हो , शौर्य रंधावा की जगह कोई और होता तो तुम क्या करती मान जाती “? , वो शौर्य रंधावा है बस इसलिए तुम मान नहीं रही हो ?”

“यार मुझे समझ नहीं आ रहा और एक तो ये दो महीने में मेरी अच्छी खासी लाइफ रोलर कोस्टर बन गई है एक के बाद एक झटका लग रहा है मुझे उस पर ये मिस्टर रंधावा की बातें… मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए और अभी मुझे नींद आ रही है “

” हाँ सो जाओ सपने में आयेंगे मिस्टर रंधावा तुम्हारे “

” चुप करो तुम और सो जाओ कल जाना है ना तुम्हें वो प्लान डिस्कस करने  ठीक से देख लिया ना सब पता चला वहाँ जा कर तुम्हारी बैंड बज गयी “

“मै देविका हूँ बैंड बजाती हूँ सबका और मेरी बात को सब मानेंगे तुम देखना , तुम चलोगी ना “?

” नहीं ये तुम्हें हैंडल करना है सब दिनेश जी जाएंगे तुम्हारे साथ “

” क्यों तुम क्यों नहीं चलेगी “?

“क्योंकि मैं कंपनी की बॉस हूँ कोई एम्प्लॉय नहीं हूँ तुमने देखा है कि प्रॉब्लम है तो वो बताने का काम तुम्हारा है , उस दिन मिस्टर रंधावा और अभिमन्यु सिंह को मैने बुलाया था क्योंकि उनसे बात करनी थी अब एक्सप्लेन करना ही तो तुम्हे जाना होगा “

“ओओ ओके बॉस “

यशिका मुस्कुराई और चादर ओढ कर करवट ले कर सो गयी ।

अगले दिन आर.आर. ग्रुप के ऑफिस में

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अभिमन्यु ने सारे आर्किटेक्ट्स को मीटिंग के लिए बुलाया था । देविका दिनेश के साथ वहाँ पहुँच गई थी,वो पहले शौर्य से मिलने के लिए उसके केबिन की तरफ बढ़ गई …

शौर्य और अभिमन्यु दोनों ही उनका वेट कर रहे थे ,शौर्य बहुत बेसब्री से यशिका के आने वेट कर रहा था उसे लगा था कि यशिका आ रही है । तभी सचिन ने दरवाज़े पर नॉक किया और आ कर बताया कि शाह ग्रुप से मैम और दिनेश जी आएं है

शौर्य में उसे उन्हें अंदर आने के लिए बोला

दैविक दिनेश के साथ शौर्य के केबिन में आयी और बोलीं

“हैलो मिस्टर रंधावा “

“हैलो सर ” दिनेश ने दोनों की तरफ देख कर बोला

“हैलो मिस देविका “अभिमन्यु ने आगे बढ़ते हुए कहा

शौर्य अभी भी दरवाज़े की तरफ देख रहा था

देविका ने देखा तो वो अपने पीछे देखने लगी उसने पूछा “क्या हुआ सर “?

“आप अकेली आयी है  “?

“अकेली नहीं सर दिनेश जी आएं है मेरे साथ “

अभिमन्यु को हँसी आ गई, शौर्य ने उसकी तरफ घूर कर देखा तो अभिमन्यु दूसरी तरफ देखने लगा

“मेरा मतलब यशिका नहीं आयी”

“नहीं सर मैने बोला था आने को लेकिन वो बोली कि ये सब काम तुम्हारा है तो मैं क्या करूंगी “

“अरे क्या था काम देविका जी का था तो मेरे साथ बैठ जाती ना “शौर्य ने मन में सोचा

“ओके , अभिमन्यु जाओ तुम और देखो “

“तुम नहीं चलोगे “

“नहीं मैं क्या करूंगा तुम और मिस देविका देख लो “

ओके अभिमन्यु ने कहा और देविका को चलने के लिए बोल कर वो उसके साथ चला गया

शौर्य वापस से अपनी चेयर पर आ कर बैठ गया । उसने यशिका को मेसेज किया ” आप देविका के साथ क्यों नहीं आयी”?

यशिका ने मैसेज देखकर रिप्लाई किया ” देविका हैंडल कर लेगी आप फिक्र ना करें , वैसे भी मेरा काम नहीं था वहाँ “

“अरे तो आप मेरे साथ बैठती ना “?

“और यहाँ ऑफिस में कौन रहता फिर और मै थोड़ा बिज़ी हूँ आप भी अपने काम पर ध्यान दीजिए  बाय “

शौर्य ने मैसेज देखा और फोन को उल्टा करके रख दिया ।

देविका ने सारे आर्किटेक्ट्स के सामने अपनी बात रखी और उन्हें बताया डिज़ाइन में क्या प्रॉब्लम थी , सबने उसकी बात सुनी और दोबारा से डिज़ाइन पर काम करने की बात

कही ।

दोपहर तक मीटिंग खत्म हो गई देविका खुश थी कि उसने जैसा सोचा था वैसा हुआ , देविका ने ये बात यशिका को फोन करके बता दी थी ।

देविका शौर्य से मिलकर वापस शाह ग्रुप चली गयी।

एक होटल के प्राइवेट रूम में

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करतार सिंह बेसब्री से सुजीत का इंतजार कर रहा था , तभी एक वेटर के साथ सुजीत उस रूम में आए

करतार सिंह ने खड़े होकर उनसे हाथ मिलाया और बैठने के लिए बोला उन्होंने वेटर को कुछ देर में आने के लिए बोला

“क्यों मिलना था और क्या कहना चाहते हो ? सुजीत ने सीधे ही पूछा

करतार सिंह ने कहा ” मैं यशिका गुप्ता को किडनैप करना चाहता हूँ”

“यशिका गुप्ता ? लेकिन तुम तो अमित शाह के बारे में बात कर रहे थे ना “?

करतार सिंह ने सारी बात सुजीत को बतायी जो भी अभी तक हुआ वो प्रोजेक्ट , ज्ञानचंद का यशिका से मिलना ,और अमित शाह का यशिका को कंपनी देने वाली बात

“तो मतलब अब शाह ग्रुप अमित शाह की जगह यशिका गुप्ता का हो गया “?

“हाँ, और अब शाह ग्रुप रंधावा के साथ काम कर रहे है और मैने तो सुना है कि शौर्य रंधावा शाह ग्रुप को रंधावा में मर्ज करने की सोच रहे है , और अगर ऐसा हो गया तो हम सबका क्या होगा?”भारतमाला ” इतना बड़ा प्रोजेक्ट शाह ग्रुप को मिल गया और रंधावा के साथ उन्होंने हाथ मिला लिया

और आपको तो पता है रंधावा कैसे काम करते हैं , इसलिए हमने यशिका को किडनैप करने का प्लान बनाया लेकिन हमें पता ही नहीं चल रहा कुछ भी “

“और चलेगा भी नहीं अमित शाह ने चुन चुन कर अपने लिए एक मजबूत किला बनाया है उसमें तुम सेंध मार नहीं सकते , और यशिका गुप्ता को किडनैप करके क्या मिलेगा तुम्हें ?

“कुछ तो करेंगे हम”?

“बेकार की बातें मत करो पता कुछ है नहीं और चले हो अमित शाह से टक्कर लेने “

“इसलिए तो आपकी मदद चाहिए “?

“मै क्यों करूं मदद तुम्हारी और मुझे क्या मिलेगा “

“आप अपनी बेइज्जती भूल गए , उसका बदला नहीं लेना चाहते आप “?”करतार सिंह ने कहा

सुजीत ने करतार सिंह की तरफ देखा और बोला ” पहले मुझे देखने दो क्या चल रहा है फिर बताऊंगा “

“मतलब आप साथ देंगे ना “

“एक हफ्ते के बाद मिलना लेकिन यहाँ नहीं ” कह कर सुजीत सिंह उस रूम से बाहर निकल गए ।

करतार सिंह ने ज्ञानचंद को फोन लगाया और बोला ” बात बन गई सुजीत त्रिपाठी हमारा साथ देने के लिए तैयार हो गए हैं।

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी मिलूंगी …

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत – बहुत शुभकामनाएं!!💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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