यशिका को अमित शाह के बारे में सब पता चल जाता है और शौर्य उसे उदास देख कर अपने घर सबसे मिलाने के लिए ले जाता है
अब आगे :
शौर्य खुश था कि यशिका ने उस से मिलने के लिए” हाँ “कर दिया है , शौर्य खिड़की पर खड़ा हुआ सोच ही रहा था उसने रूम में दस्तक हुयी
“हम आ जाएं” रघुवीर जी ने पूछा
“जी बाउजी आएं ना”आपको पूछने की ज़रूरत नहीं है
रघुवीर जी मुस्कुराते हुए कमरे में आए और वहीं रखी हुयी चेयर पर बैठ गए
“बैठो ” उन्होंने शौर्य से कहा
शौर्य बैठ गया और बोला ” जी बाउजी बताएं”
“कुछ नहीं बस यूँ ही हम तुमसे पूछने आए थे कि ऑफिस में सब ठीक चल रहा है ना “?
“जी बाउजी सब ठीक है “
“कोई बात है शौर्य जो तुम बताना चाहते हो “?और आज यशिका तुम्हारे साथ कैसे “?
शौर्य ने कुछ सोचा और बोला ” बाउजी अमित सर की तबियत ठीक नहीं है उनको थर्ड स्टेज कैंसर है , यशिका को अचानक पता चला और वो बहुत अपसेट थी कल इसीलिए मैं उनको यहाँ ले आया “
“ओह ! ये कब हुआ और क्या इसीलिए अमित शाह ने यशिका को अपनी कंपनी दे दी “?
“हाँ, लेकिन उन्होंने किसी को ये बताया नहीं है सिंह दिनेश और मुझे पता है और यशिका को तो वो बिलकुल भी नहीं बताना चाहते “
“फिर यशिका तुम्हें कहाँ मिली “?
“वो हॉस्पिटल आ रही थी लेकिन अमित सर को घर ले गए तो मैं फिर उनको यहाँ ले आया”
“मैं तुमसे कुछ पूछूँ “
“हाँ बाउजी बोलिए ना “
“तुम्हें यशिका कैसी लगती है “?
“अच्छी है , टैलेंटेड तो है ही आपको तो सब पता ही है “
“ह्म्म लेकिन मैं दूसरी तरह से पूछ रहा हूँ “
“दूसरी मतलब “
“हमें यशिका पसंद है मतलब हम सबको तुम्हारे पापा , मम्मी और अम्मा को और अगर तुम्हे भी पसंद है तो हम यशिका को इस घर की बहू बनाना चाहते है , वैसे कोई जल्दी नहीं है तुम सोच कर जवाब दे सकते हो “
“बाउजी, वो यशिका मुझे भी पसंद है लेकिन उसे मै पसंद नहीं हूँ शायद , आप मुझे थोड़ा समय दें मै खुद ये जानना चाहता हूँ कि यशिका मुझे पसंद करती है या नहीं “
“ठीक है हमें तो बस तुमसे पूछना था ,और एक बात क्या हम चले अमित से मिलने “?
” पता नहीं बाउजी, उन्होंने किसी को नहीं बताया मतलब वो नहीं चाहते वैसे अभी तो वो ठीक है मै जाता हूँ रोज उनसे मिलने “
” ठीक है , अब तुम भी रेस्ट करो “
“जी बाउजी “
रघुवीर जी के जाने के बाद शौर्य ने ड्रेस चेंज की और बेड पर लेट गया ।
~~~~~~~
दूसरी तरफ करतार सिंह मौके की तलाश में था कि वो यशिका को किडनैप कर ले लेकिन उसे यशिका की कोई भी इन्फोर्मेशन नहीं मिल रही थी उसने अपने फोन से एक नंबर डायल।किया , दूसरी तरफ से आवाज़ आयी
“हैलो “
“हैलो सुजीत त्रिपाठी जी “
“बोल रहा हूँ आप कौन “?
” मैं करतार सिंह बोल रहा हूँ, मिलना चाहता हूँ आपसे “
“किस सिलसिले में “
“वो अमित शाह “
“मुझे नहीं मिलना अमित शाह के किसी भी आदमी से ” करतार सिंह की बात पूरी होने से पहले ही सुजीत बोला
“मैं उनका आदमी नहीं हूँ मै तो आपसे हाथ मिलना चाहता हूँ आप भी उनके दुश्मन और मै भी “
“कहाँ मिलना है ? और कब “?
“वो मै आपको मेसेज कर दूंगा “
“ठीक है मैं पहुँच जाऊंगा” सुजीत सिंह ने कहा और फोन कट कर दिया ।
संडे का दिन
~~~~~~~
आज यशिका को शौर्य से मिलने जाना था उसने ये बात देविका को बता दी थी । यशिका घर से निकली उसने शौर्य को मेसेज किया , वो मैरीन ड्राइव पहुँची और वहाँ शौर्य का वेट करने लगी कुछ देर में शौर्य मास्क लगाए हुए उसके सामने खड़ा था ।
“आप इतनी जल्दी आ गए अभी तो मैने मेसेज किया था ” यशिका ने पूछा
“मै थोड़ी देर पहले आया और यहीं था आपका मेसेज आया तो बस आ गया , आने के लिए थैंक्स ” शौर्य ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा
यशिका ने कुछ कहा नहीं वो आगे बढ़ गयी
“बहुत जिद्दी है” शौर्य ने अपने मन में ही सोचा और यशिका के पीछे चल दिया
“अरे रुको तो आप “शौर्य ने कहा और उसके सामने आ गया
“यहीं बैठते हैं ना देखो जगह भी खाली है यहाँ , और सन सेट भी अच्छा दिखेगा ” यशिका ने उस तरफ देखा और बोली” ठीक है “
दोनों बेच पर से चढ़कर वहीं बैठ गए अभी सूरज ढला नहीं था शौर्य ने पूछा ” अब आप ठीक हैं “
“हाँ भी और नहीं भी ” यशिका ने छोटा सा जवाब दिया और ढलते हुए सूरज की तरफ देखने लगी
“आपने क्यों बुलाया? ” उसने पूछा
“बस ऐसे ही मन किया आपसे मिलने का …इस बार आपने मना नहीं किया ? क्यों ?” शौर्य ने पूछा
“बस यूँ ही” यशिका ने कहा और मुस्कुरा दी
“ये हमारी तीसरी मुलाक़ात है और तब से अब तक कुछ तो बदला है , मैने सही कहा ना ” शौर्य ने कहा
“हालात बदल गए शायद इसलिए आप कह सकते हो “
“यशिका आई रियली लाइक यू ये कोई झूठ या कोई ट्रैप नहीं है “
यशिका शौर्य की तरफ घूमी उसने कहा “मिस्टर रंधावा मैं” यशिका ने इतना ही कहा था कि शौर्य ने उसके होंठों पर अपनी उंगली रख दी शौर्य ने एक हाथ से उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला ” आई विल वेट ‘ मै नहीं चाहता कि अपनी जिंदगी का इतना बड़ा डिसीज़न आप किसी भी प्रेशर में लो… और ना ही मै ये चाहता हूँ कि आप अपने करियर को लेकर समझौता करो मैने बस अपनी बात बतायी है । अब कोई अच्छा लग गया तो उसकी वजह नहीं होती… ये तो बस लग गया क्यों ?कब ?कैसे? ये पूछना बेकार है क्योंकि इसका कोई जवाब नहीं है मेरे पास “
कह कर शौर्य से उनके होंठों पर से अपनी उंगली हटा दी ।
यशिका बस शौर्य की आँखों में देख रही थी , शौर्य मुस्कुराया और बोला ” क्या इरादा है , आज क़त्ल ही करोगी क्या मेरा ?”
यशिका थोड़ा सा झेंप गयी, और दूसरी तरफ देखने लगी , हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर भी आ गयी।
उसने पूछा “अपने मुझे यहाँ क्यों बुलाया …”?
“क्योंकि ये आपकी पसंदीदा जगह है और मेरा मानना है कि अगर किसी को कोई जगह पसंद हो तो वो वहाँ बात करने में ज़्यादा कंफर्टेबल होता है “
“और आपकी पसंदीदा जगह “?
“चलो ” शौर्य ने उठते हुए कहा
“कहाँ”?
“आपने ही पूछा मेरी पसंदीदा जगह तो चलो दिखता हूँ “
यशिका उठ गयी शौर्य ने उसका हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतारा और ड्राइवर से गाड़ी लाने के लिए बोला ड्राइवर गाड़ी ले आया और दोनों उसमें बैठ गए
शौर्य ने ड्राइवर को बताया कि उसे कहाँ जाना है ड्राइवर ने गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी
आधे घंटे बाद ड्राइवर ने गाड़ी एक जगह पर रोकी , शौर्य गाड़ी से उतरा और उसने यशिका को भी उतरने के लिए बोला यशिका गाड़ी से उतरी उसने देखा वो जुहू बीच के किनारे बने हुए एक बंगले के पास खड़ी थी शौर्य को देखकर वॉचमैन ने गेट खोला और शौर्य को सेल्यूट किया शौर्य आगे बढ़ा लेकिन यशिका वहीं खड़ी थी वो आगे बढ़ी नहीं
शौर्य ने पीछे देखा और बोला ” भरोसा नहीं है मुझ पर “?
यशिका ने कुछ कहा नहीं बस अपनी पलकें झुका ली फिर उसने शौर्य की तरफ देखते हुए कहा ” आप मुझे यहाँ क्यों लाएं हैं”?
“आपको देखनी थी ना मेरी पसंदीदा जगह “
अब यशिका के पास बोलने के लिए कुछ है नहीं था , शौर्य मुस्कुराया उसने यशिका का हाथ पकड़ा और गेट से होता हुआ बंगले के दूसरी तरफ ले गया जहाँ से पूरा बीच दिख रहा था और लहरों का शोर सुनाई दे रहा , शौर्य ने उसे समुद्र की तरफ देखने के लिए बोला और खुद उसके पीछे खड़ा हो गया , सूरज ने इस वक्त समुंदर के पानी को छूना शुरू कर दिया था … यशिका ने देखा ये नज़ारा मैरीन ड्राइव से भी ज़्यादा खूबसूरत था उसकी नजरें एक पल को ठहर गई
शौर्य उसके थोड़ा और पास गया उसने धीरे से यशिका को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया यशिका इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी वो कुछ बोलती उस से पहले ही शौर्य ने उसके गाल से अपने गाल को लगाते हुए बोला ” कुछ मत कहना बस देखो ” यशिका ने सामने देखा सूरज अब आधा पानी में उतर चुका था ।
क्रमशः
अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी …
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®