तुमसा नहीं देखा भाग – 21 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा :

यशिका के कहने पर शौर्य शाह ग्रुप में प्रोजेक्ट के ब्लू प्रिंट को डिस्कस करने आता है।

अब आगे:

रंधावा के ऑफिस में

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देविका की बातों को ध्यान में रखते हुए शौर्य ने अपने इंजीनियर से बात की और एक मीटिंग बुलाई, और जो भी देविका ने कहा उन बातों को सबके बीच रखा , ब्लू प्रिंट दोबारा से देखने के लिए बोला , लेकिन आर्किटेक्ट्स को देविका की बात सही नहीं लगी उन्होंने बोला कि आप मिस देविका को बुलाओ और उनके साथ ही डिस्कस करेंगे ।

अभिमन्यु ने सचिन से कहकर दिनेश को फोन किया और सब बात बता दी । दिनेश ने जब देविका से कहा तो वो

जाने के लिए रेडी हो गई और उसकी डेट टाइम बताने के लिए बोल दिया ।

दूसरी तरफ

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करतार सिंह मौके की तलाश में था उसने यशिका को किडनैप करने का सर प्लान बना लिया था लेकिन यशिका

कब जाती है और कब जाती है ये उसे पता नहीं चल था वो परेशान हो कर कमरे में इधर – उधर घूम रहा था , तभी उसका दूसरा साथ राकेश आ गया ,उसने देख की करतार कुछ परेशान है उसने पूछा ” क्या हुआ सब तो बन बन गया अब क्या प्रॉब्लम है “?

“प्लान तो बन गया लेकिन मैडम का शेड्यूल नहीं पता चला “

“अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है..किसी को भी पैसा दो उनके ऑफिस में सब बता देगा “

“कोई नहीं बताएगा उनके सारे लोग कितने वफादार है मुझे पता है अमित शाह ने भले ही नाम कम कमाया हो लेकिन भरोसा जीता है मै उनके साथ काम कर चुका हूँ इसलिए मुझे पता है उनके यहां की एक भी इनफॉर्मेशन तुम आसानी से निकाल नहीं सकते”

“तो फिर ये प्लान भी कैंसल”?

“नहीं कैंसल तो नहीं करेंगे बस थोड़ा वक्त चाहिए ” ज्ञानचंद कहाँ है ?

“उनका फोन आया था वो शहर से बाहर है उनके किसी रिश्तेदार की तबियत खराब है आ जाएंगे एक हफ्ते में “

“ह्म्म एक हफ्ते में कुछ तो सोचना पड़ेगा कह कर करतार सिंह वही रखी हुई चेयर पर बैठ गया उसने अपना मोबाइल लिया और कॉन्टैक्ट्स में जाकर नंबर स्क्रोल करने लगा । एक नाम पर आकर उसकी नज़र रुक गयी

“सुजीत त्रिपाठी “उसके होंठों पर मुस्कुराहट आ गयी।

अमित शाह का घर

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आज प्रकाश अमित शाह के कहेनुसार विल बन कर ले आया था अमित शाह उसके पेपर्स देख रहे थे प्रकाश वहीं बैठा हुआ था उसने अमित शाह से पूछा

” सर बाक़ी तो मुझे सब समझ में आ गया लेकिन अपने जो पेज नंबर पाँच बनवाया वो मुझे समझ नहीं आया “

अमित शाह मुस्कुराए और बोले ” ये जरूरी है कल अगर कुछ हुआ तो कुछ तो प्रूफ होना चाहिए ना”

“आपने सब तो दिया अब प्रूफ किसलिए ?”

“प्रकाश इस दुनिया में ना हर बात में प्रमाण की जरूरत होती है बिना प्रमाण के कोई सच मानता ही नहीं बस इसलिए कभी ऐसा हो जाए तो ये है “

“सर आप अच्छे हो जाएंगे चिंता मत करिए “

तभी दिनेश भी आ गया

“दिनेश कल बोर्ड मीटिंग बुलाओ “

“कल तो संडे है सर “

“अरे मैं तो भूल ही गया चलो फिर मंडे बुला लो अब जब ये काम हो गया है तो बाकी भी हो जाए तो अच्छा है , रघुवीर रंधावा और श्याम रंधावा को भी इनवाइट की लेकिन मीटिंग के बाद का टाइम दो उन्हें।

“ठीक है सर , और आपका अपॉइंटमेंट है सैटरडे को तो मै आपको लेने आ जाऊंगा “दिनेश ने कहा

अमित शाह ने सिर हिला कर हाँ बोला कुछ देर अमित शाह से बात करके प्रकाश और दिनेश चले गए।

संडे का दिन

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श्री निवास अपार्टमेंट

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देविका ने उठकर चाय बनाई गुंजन अभी सो रही थी, वो यशिका के पास गई तो देखा वो भी सो रही है उसने यशिका को उठाने के लिए जैसे ही उसे छुआ तो देखा कि उसे हल्का फीवर था देविका ने यशिका को पुकारा और उसे उठने के लिए बोला

“तुम्हे तो फीवर लग रहा है तुम उठो और ये चाय लो और मेडिसन भी “

यशिका उठी तो उसने चाय का कप उसे दिया और कुछ खिला कर मेडिसन भी ,यशिका वापस से सो गई  देविका ने  उसका फोन साइलेंट पर किया और उसे चादर ओढ़ा कर बाहर चली गई

कुछ देर में गुंजन उठी तो देविका ने उसे बताया कि यशिका की तबियत खराब है फिलहाल उसे डिस्टर्ब ना करे गुंजन ने ठीक है बोला और अपने काम में लग गई

दोपहर तक यशिका उठी अब वो ठीक थी उसने अपना फोन देखा तो दिनेश का कॉल और मेसेज दोनों ही थे

वो उठी उसने दिनेश को कॉल किया दिनेश ने उसे मीटिंग के बारे में बताया और अमित शाह आयेंगे ये भी बताया

यशिका उठ कर बाहर आई देविका ने उसे देखा और पूछा

“अब कैसी तबियत है तुम्हारी  फीवर उतर गया ?”

“ठीक है , शायद स्ट्रेस की वजह से हो गया “

“हाँ कोई बात नहीं तुम फ्रेश हो जाओ मै खाना लगती हूँ ।”

उसने गुंजन को आवाज़ दी जो अपने रूम में की है काम कर रही थी

यशिका फ्रेश हो कर आयी तीनों ने खाना खाया  देविका ने यशिका को बोला कि वो और गुंजन थोड़ी देर के लिए मार्केट जायेंगे कि है ग्रोसरी लेनी है यशिका ने ठीक है कहा और यशिका फिर से रेस्ट करने चली गई  उसने अपना फोन साइलेंट पर कर दिया ।

शाम पांच बजे

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शौर्य यशिका का वेट मैरीन ड्राइव पर कर रह था  जब थोड़ी देर हो गई तो उसने यशिका को मेसेज किया लेकिन ना ही यशिका ने मैसेज देखा ना ही रिप्लाई किया । शौर्य को थोड़ा अजीब लगा उसने ड्राइवर से गाड़ी लाने के लिए बोला और यशिका के घर गाड़ी ले जाने के लिए बोला

रस्ते में उसने कई बार यशिका को कॉल किया लेकिन यशिका ने कॉल नही उठाया

कुछ देर में शौर्य यशिका के अपार्टमेंट के सामने था उस दिन बातों बातों में शौर्य ने यशिका के घर का रूम नंबर पूछ लिया था उसने वॉचमैन को रूम नंबर बताया और यशिका के घर पहुंच कर डोरबेल बजा दी ।

शौर्य ने दो तीन बार बेल बजायी लेकिन किसी के दरवाज़ा नहीं खोला , शौर्य वापस से बेल बजाने का ही रहा था कि दरवाज़ा खुला और यशिका ने बोला ” तुम दोनों चाबी लेकर क्यों नहीं गए पता था ना मै सो रही हूं “

उसने देखा दरवाज़े पर देविका नहीं शौर्य खड़ा था ।

उसने अपने माथे पर हाथ रखा और बड़बड़ाने लगी ” लो अब ये मुझे हर जगह क्यों दिख रहे है “? उसने अपनी आँखों को मसला और फिर देखा उसकी आँखें बड़ी हो गई ” मिस्टर रंधावा आप यहाँ “?

“हाँ,वो आप आयीं नहीं और ना ही अपने फोन उठाया तो मै आ गया देखने आपको “

“लेकिन आपको घर के बारे में कैसे पता चला “?

“वो उस दिन आपने ही बताया था जब मैने पूछा था कि इतनी देर क्यों लगी थी तो आपने बताया कि आप किस फ्लोर पर रहती है “

यशिकाको याद आया कि उसने ही बताया था ।

तभी देविका और गुंजन भी बातें करते हुए आ गए गुंजन ने देखा कि यशिका किसी से बात कर रही है वो आगे बढ़ी और उसने पूछा” कौन है आप ?”

शौर्य पीछे घूमा तो गुंजन उसे पहचान गयी

शौर्य रंधावा आप यहाँ?

शौर्य ने मुस्कुराकर उसे हैलो बोला देविका ने भी उसे हैलो बोला

“हाँ वो मैं यशिका से कुछ बात करने आया था “

“अच्छा तो आप अंदर आएं ” गुंजन ने कहा

यशिका को साइड करते हुए गुंजन आगे गयी

“नहीं बात हो गयी ये जा ही रहे थे “यशिका ने कहा

शौर्य ने यशिका की  तरफ हैरानी से देखा  और मन में सोचा ” “कब हुयी बात मै तो अभी आया “?

“अच्छा” गुंजन ने सामन रखते हुए कहा

यशिका ने शौर्य की तरफ देखा और उसे जाने का इशारा किया

शौर्य ने उसे फोन दिखा कर कॉल करने के लिए बोला और चला गया ।

देविका ये सब देख रही थी उसने यशिका से इशारे में जी पूछा यशिका ने बस अपनी गर्दन हिला कर कुछ नहीं कहा और अपने रूम में आ गई

उसने फोन देखा तो शौर्य ने मैसेज किया था

किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने

इंतजार को तुम्हें…

बेज़ुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है

खामोशी से तुझे..!!

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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