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ज्ञानचंद यशिका से बात करने आता है, लेकिन यशिका उसे बताती है कि रंधावा यह सब देख रहे हैं। देविका को शाह ग्रुप में नौकरी मिल जाती है, और शौर्य किसी का मेसेज देखकर कहीं चला जाता है।
अब आगे :
श्री निवास अपार्टमेंट
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बेल बजती है और यशिका अंदर आ जाती है। पूरे घर में देविका द्वारा बनाए गए हलवे की खुशबू आ रही थी।
यशिका ने पूछा क्या बात है “आज तो पूरे घर में खुशबू आ रही है कुछ हुआ है क्या ?”
“अरे तुम पहले ये खाओ देविका ने उसे हलवा खिलते हुए कहा “शाह ग्रुप में जॉब लग गई मेरी “
यशिका ने खुश होते हुए कहा “वाह वाह बहुत बधाई “
“थैंक यू मैडम “देविका ने हँसते हुए कहा
“तो कब ज्वाइन करना है ?”
“कल से ही बोला है “
“तो कल से तुम मेरे ही साथ चलना “
“वाह दी आपको तो कंपनी मिल गई “गुंजन ने कहा
“हाँ… “
“क्या हुआ ?”देविका ने यशिकाको थोड़ा उदास देख कर पूछा
“ऑफिस संभालना आसान नहीं है , आज कोई ज्ञानचंद आए थे कह कर उसने सारी बात बता दी “
“हाँ मुश्किल तो है लेकिन तुम फिक्र मत करो मैं हूँ न अब तुम्हारे साथ “
“यशिका मुस्कुरा दी “
“दी आप फ्रेश हो जाओ मै कहना लगती हूँ फिर बातें करेंगे “
यशिका फ्रेश होने चली सबने खाना खाया और कमरे में आ गए
यशिका ने देखा उसके फोन पर तीन चार मेसेज थे उसने ओपन किया तो शौर्य के मेसेज थे
“हैलो”
“आप कैसे हो ?”
“घर पहुँच गयी?”
“आप जॉब क्यों नहीं दे रही हो ?”
यशिका ने लिखा
“मै बिल्कुल ठीक हूँ, आपको मेरी फिक्र करने की जरूरत नहीं है “
“कोई काम था आपने मेसेज किया “
“वो मुझे मिलना था आपसे “
“क्यों “?
“यूँ ही “
“मिस्टर रंधावा और कोई काम नहीं है क्या आपको “?
“काम ही तो कर रहा हूँ मै “
“ये मिलना कोई काम है “?
“मुझे कुछ बात करनी है सच में नीचे आओ मैं आपने घर के नीचे हूँ”
“क्या “? आप यहाँ “?
“हाँ वो मुझे आपने घर का नंबर नहीं पता और वॉचमेन आने ही नहीं दे रहा है “
“अरे आप ….क्या बात करनी है यहीं करो फोन पर इसलिए तो अपने नंबर लिया था ना “
” नहीं वो बात फोन पर नहीं हो सकती आप आ जाओ “
“आप जाओ मै नहीं आ रही “
“यशिका शाह ग्रुप को लेकर बात है “
“यशिका ने एक पल के लिए सोचा फिर लिखा ओके आ रही हूँ “
यशिका ने ड्रेस चेंज की और जाने लगी तो देविका ने पूछा ” कहाँ जा रही हो तुम ?
“वो मिस्टर रंधावा आए है नीचे “?
“है?? क्या कहा तुमने शौर्य रंधावा “?
“हाँ, बोल रहे है शाह ग्रुप को लेकर कुछ बात करनी है “
“इतनी रात में सुबह नहीं हो सकती बात “
“अरे मैने बहुत टालने कि कोशिश की लेकिन वो मान ही नहीं रहे “
“तुम रुको मैं भी चलती हूँ “
“हाँ ये ठीक रहेगा चलो “
यशिका और देविका दोनों कुछ देर में नीचे आ गयी
शौर्य ने यशिका को अपनी ओर आते देखा, तो वह गाड़ी से उतर कर बाहर आ गया और उसने मास्क लगा रखा था यशिका इधर – उधर देख रही थी ,शौर्य ने उसे को देख कर अपना हाथ हिलाया ,यशिका और देविका उसकी तरफ बढ़ गयी ।
“हैलो..”शौर्य ने कहा
“बताएं आपको क्या बात करनी है ?””यशिका ने सीधे ही उस से पूछा
“इनसे नहीं मिलवाएंगी आप “? शौर्य ने देविका की तरफ देखते हुए कहा
“ये देविका है मेरी फ्रेंड “
“हैलो देविका कैसी हो आप “?
“हैलो मिस्टर रंधावा ,मै अच्छी हूँ आप कैसे है “?
“मै बिलकुल बढ़िया हूँ “
तभी गाड़ी का दूसरा दरवाज़ा खुला और अभिमन्यु मास्क लगाकर बाहर आया
देविका ने उस तरफ देखा
अभिमन्यु उनके पास आया और यशिका को देख कर” हैलो “बोला
पहले तो यशिका समझी नहीं लेकिन फिर आवाज से पहचान गयी
उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा
“हैलो ” फिर उसने देविका की तरफ देख कर कहा ये मेरे फ्रेंड है देविका
“देविका ये अभिमन्यु सिंह हैं “
अभिमन्यु ने देविका की तरफ देखा और उसको “हैलो “बोला
देविका तो कब से अभिमन्यु से मिलना चाहती थी उसने खोए हुए कहा “हैलो “
“हाँ तो मिस्टर रंधावा आप क्या कह रहे थे ?”
“यहाँ कैसे बात करेंगे हम आपकी फेवरेट जगह पर चलते है “
“नहीं …आप यहीं पर बताएं” यशिका ने थोड़ा जोर देते हुए कहा
“अरे ऑफिस की बातें ऐसे खुले में नहीं करते , आप बैठे हम चलते है ना “
“कहाँ चलेंगे आप ?”
“मरीन और कहाँ”
“तो वो खुली जगह नहीं है ?वहां पर कोई नहीं सुनेगा ?”
“नहीं वहाँ सब अपने में मस्त रहते है की ध्यान नहीं देता एक दूसरे पर “
देविका न यशिका को थोड़ा पीछे किया और बोली ” चलो ना तुम बात कर लेना और मै अभिमन्यु सर के साथ बात कर लूंगी “
यशिका ने घूरकर उसकी तरफ देखा। देविका ने मुस्कुराते हुए शौर्य से कहा, “चलिए फिर।”
शौर्य ने गाड़ी का आगे वाला दरवाजा खोला, तो यशिका ने पीछे जाते हुए कहा, “मैं पीछे ही बैठूंगी। आज तो आप ड्राइवर नहीं लगेंगे।” और वह जाकर पीछे वाली सीट पर बैठ गई। गाड़ी में बैठकर उसने गुंजन को मेसेज कर दिया।
शौर्य और अभिमन्यु भी गाड़ी में बैठगए शौर्य ने गाड़ी स्टार्ट की और रोड पर दौड़ा दी।
अभिमन्यु ने यशिका से पूछा ” अमित शाह आजकल आ नहीं रहे ऑफिस “
“नहीं वो कहीं गए हुए है “
“ऑफिस संभालने में परेशानी हो रही होगी आपको “
“हाँ थोड़ी बहुत लेकिन दिनेश जी के साथ मैनेज हो जाता है “यशिका ने कहा
“कुछ प्रॉब्लम हो तो हम है शौर्य ने कहा आप हेल्प ले सकती हो “
यशिका ने उसकी इस बात पर कोई जवाब नहीं दिया
“आप क्या करती हो देविका “
“मै ग्राफिक डिजाइनर हूँ और शाह ग्रुप में आज ही मेरी जॉब लगी हैं “
“आज ही , इस से पहले आप कहाँ थी “
देविका ने शौर्य को सब बताया और बातों का सिलसिला चल पड़ा
कुछ देर बाद सब मैरीन ड्राइव पहुंच चुके थे
शौर्य ने उन सबको उतरने के लिए बोला और गाड़ी पार्क करने चला गया । उसके वापिस आने पर सब एक जगह देख कर मैरीन ड्राइव पर बैठ गए शौर्य यशिका के साथ और अभिमन्यु देविका के साथ ।
यशिका ने शौर्य से कहा ” अब बताइए क्या बात करनी है ?आपको मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है “
शौर्य ने यशिका की तरफ देखा और बोला ” यशिका ये जो कंस्ट्रक्शन कंपनी हैं ना ये जैसी दिखती है वैसी नहीं है आप अकेले इनको संभाल नहीं पाओगी , बहुत तरह के लोग है , हर तरह की मानसिकता के , सब अच्छे नहीं होते , और इन सबसे डील लेना आसान नहीं है , जरूरी नहीं कि बिल्डर्स रूल्स एंड रेगुलेशंस पर काम करें , बहुत हेरा फेरी होती है ।
“आप कहना क्या चाह रहे है “?
“मै चाहता हूँ कि रंधावा और शाह ग्रुप एक हो जाएं मेरा मतलब है मर्जर “
“व्हाट? ” मर्जर … मिस्टर रंधावा आप चाहते है कि शाह ग्रुप आपके साथ मर्जर करे …. और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि आपके चाहते हैं कि मैं आपके लिए काम करूं, वैसे इस बारे में आप अमित सर से बात करें मुझसे क्यों ?
“उनसे बात कर लूंगा मै फिलहाल वो सब कुछ आपको दे के गए है तो मैने आपसे बात करना ठीक समझा”
“तो मेरा जवाब ना है “
” यशिका आप समझ नहीं रही हो मुझे आपकी चिंता है “
यशिका ने उसकी तरफ देखा और बोली ” मेरी चिंता क्यों “
“हर क्यों का जवाब नहीं होता और मै इस बात का जवाब आपको पहले दे चुका हूँ ” कहते हुए शौर्य ने यशिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसकी तरफ देखते हुए शौर्य बोला ” मै आपको पसंद करता हूँ क्यों किसलिए ये मत पूछना ,”मुझे आपके काम को लेकर या किसी बात से कोई समस्या नहीं है, लेकिन सुरक्षा को लेकर मुझे चिंता है। अभी आप नए हो और आपको इन सब बातों का पता नहीं है, ऑफिस वर्क में और ये सब काम में बहुत फर्क है, हजारों लोग खड़े है नुकसान पहुंचने के लिए।
“मिस्टर रंधावा आप बेवजह चिंता कर रहे है , मुझे पता है ये सब क्या है और इन सबको कैसे हैंडल करते है और रही बात मर्जर की तो ये सिर्फ अमित सर बता सकते है कंपनी उनकी है , मेरी फिक्र ना करें आप , अब चलें
बड़ी जल्दी रहती है आपको “आपने मेरे बात का जवाब नहीं दिया “?
“किस बात का “
“आप मुझे पसंद करतीं हैं या नहीं ?”
“मैने सोचा नहीं इस बारे में आपकी इस बात का फिलहाल मेरे पास की जवाब नहीं है “
“तो सोचना शुरू कर दो ” कहते हुए शौर्य ने उसकी तरफ देखा और वापस से उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया
देविका अभिमन्यु के साथ चुप चाप बैठी थी उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो द अभिमन्यु सिंह के साथ है
अभिमन्यु ने उनके बीच ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा “”आप यशिका के साथ ही रहतीं हैं?”
“जी मै उसी के साथ रहती हूँ “देविका ने कहा
“थोड़ी जिद्दी है आपकी दोस्त “
“जिद्दी नहीं है उसूलों पर चलने वाली है और टैलेंटेड है ये तो आपने देख ही लिया है,
“हाँ टैलेंटेड तो बहुत है और शौर्य उसको पसंद करता है”
“पसंद करते है या वो उनकी कंपनी में काम करे ये चाहते है”
“कंपनी में नहीं साथ में काम करे ये चाहते है हम और आपको पता नहीं है यशिका के लिए अकेले मैनेज करना आसान नहीं होगा”
“और ये ही बात करने मिस्टर रंधावा यहां आए है ?” देविका ने कहा
“हाँ और कुछ अपनी भी “
देविका ने समुंदर की तरफ देखते हुए कहा ” मिस्टर सिंह आपको पता है हम लड़कियों को लोग कमज़ोर समझते है वो सोचते है ये बिना हमारे साथ के आगे बढ़ ही नहीं सकती , हाँ मानती हूँ फिजिकली हम थोड़ा वीक है, लेकिन
दिमाग के मामले में हम कोई कम नहीं है ये आपने देख ही लिया आपकी कंपनी में तो बहुत एक्सपर्ट होंगे ना लेकिन यशी ने सबको मात दे दी , तो आप भी ये सोचना बंद करें कि हम कुछ कर नहीं सकते और यशी अकेली नहीं है अब मैं उसके साथ हूँ “
अभिमन्यु ने कुछ जवाब नहीं दिया ।
“चलें ” यशिका ने अपना हाथ शौर्य के हाथ से छुड़ाया और वहाँ से चलने के लिए उठ गयी।
शौर्य भी उठ कर खड़ा हो गया , उसने अभिमन्यु को भी उठने के लिए कहा
चारों गाड़ी में बैठे और शौर्य ने यशिका को घर तक छोड़ा यशिका ने गाड़ी में से उतरते हुए कहा ” मिस्टर रंधावा आपको आगे से कोई बात करनी हो तो प्लीज ऑफिस टाइम में करिएगा शाम को ऑफिस से आने के बाद मेरा वक्ते मेरी बहन और दोस्त के लिए होता है ” कह कर यशिका और देविका दोनों गाड़ी में से उतर गयी।
शौर्य ने कुछ नहीं कहा गाड़ी स्टार्ट की और चला गया ।
“लिफ्ट में देविका ने यशिका से कहा ” क्या बात करनी थी इनको”?
“मिस्टर रंधावा मर्जर करना चाहते है दोनों कम्पनी का और बोल रहे थे कि ये मै अकेले हैंडल नहीं कर पाऊंगी “
“यही बात मिस्टर सिंह ने भी कहा , तुम क्या कहती हो “?
“मै क्या कहूंगी ये कंपनी अमित सर की है वो जो चाहे करे मै सिर्फ एक एम्प्लॉय हूँ जो फिलहाल संभाल रही हूँ कंपनी को लेकिन हमेशा थोड़ी होगा ये सब ।”
देविका ने सिर्फ अपना सिर हिलाया और दोनों रूम में आ गयी।
क्रमशः
अगले भाग के साथ जल्दी है मिलूंगी
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®