तुम सा नहीं देखा भाग – 16 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

शौर्य यशिका को छोड़ने घर तक आता है , दोनों में थोड़ी नोक झोंक होती है , अमित शाह हॉस्पिटल से ऑफिस आ जाते है

अब आगे :

अमित शाह के कहने पर यशिका उनके सामने रखे हुए सोफे पर बैठ जाती है दिनेश भी वहीं सामने ही बैठ गया

“जी कहे ” यशिका ने कहा

“यशिका मै चाहता हूँ कि तुम ये ऑफिस और कंपनी संभाल लो “

यशिका ने हैरानी से अमित शाह की तरफ देखा और बोली ” ये आप क्या कह रहे हैं ? सर मैं ये सब कैसे मुझे ये सब नहीं आता मुझे आप मेरा ही काम करने दें “

“दिनेश है ना आपके साथ वो सब बता देगा आपको “

“लेकिन सर आप क्यों नहीं आ रहे हैं ?”

“अभी मै आपको कुछ नहीं बता सकता बस आपको ये कंपनी संभालनी है देखो मुझे किसी पर ट्रस्ट नहीं है और मेरा कोई अपना नहीं है “

“मतलब सर आपकी फैमिली में ?”

“मेरी फैमिली के नाम पर बस एक दो दोस्त  है जो बोर्ड मेंबर है बाक़ी कोई नहीं है “

“तो सर आप उनको बोल दीजिए मैं ये सब नहीं कर पाऊंगी “

“मैने कहा ना मुझे ट्रस्ट नहीं है किसी पर जितना अच्छे से आप संभाल लोगे उतना कोई नहीं करेगा “

“सर आपको मुझ पर ट्रस्ट है लेकिन उन पर नहीं जो आपके दोस्त है “?

अमितशाह मुस्कुराए और बोले ” इस कंपनी को देखने के लिए बहुत लोग है और अब तो हम रंधावा के साथ काम कर रहें है तो बहुत से लोग हमसे जुड़ना चाहते है  सबका कुछ ना स्वार्थ है , लेकिन आप मुझे ऐसे लगे नहीं लगे बस इसलिए मैं आपको ये कंपनी संभालने के लिए बोल रहा हूँ , और बाक़ी सबसे मै बात कर लूंगा “

“थैंक यू सर आपने मुझ पर इतना भरोसा किया , आप कह रहे है तो मै कोशिश करती हूँ वैसे आप कब तक आयेंगे वापस कंपनी में “

अमित शाह ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा “अभी तो पता नहीं “

“ठीक है सर “

” सर मुझे कुछ पूछना था आपसे “?

“हाँ बोलें आप “

” सर मेरी फ्रेंड ग्राफिक डिजाइनर है , फिलहाल उसके पास जॉब नहीं है और हमारी कंपनी में वेकेंसी है तो क्या मैं उसे बुला सकती हूँ , ऐसे नहीं पूरे इंटरव्यू के साथ अगर वो क्वालीफाई करे तभी “

“हाँ, अब ये कंपनी आपकी है आप जो ठीक समझे वो करें “

“जी ….थैंक यू सर”

“फिर मैं चलता हूँ “

“जी सर ” यशिका ने मुस्कुराकर कहा

अमित शाह के जाने के बाद यशिका ने देविका को फोन किया

“हाँ यशी बोलो क्या हुआ “?

“क्या कर रही हो तुम “?

“कुछ नहीं बस जॉब के लिए देख रही थी “

“तुम अपना रिज्यूम शाह ग्रुप में भेजो “

“वेकेंसी है तुम्हारे यहाँ “?

“हाँ भेजो तुम , लेकिन जॉब मिल जाएगी इसकी उम्मीद मत करना वो तुम्हारे इंटरव्यू पर डिपेंड है “

“ओके “

कुछ देर बात करके यशिका ने फोन रख दिया ।

दोपहर के वक्त

शाह ग्रुप के ऑफिस में

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यशिका के केबिन में आकर दिनेश ने बताया कि शौर्य रंधावा आए है

यशिका ने देवेश की तरफ देखा और पूछा ” क्यों आए है आज तो कोई मीटिंग नहीं है और कुछ ऐसा है भी नहीं जिसको लेकर कुछ डिस्कस करना हैं”?

“अब मैम वो क्यों आए है वो तो मुझे नहीं पता , लेकिन वो और हम साथ काम कर रहे है तो क्या पता कुछ हो जो उन्हें पूछना हो आपसे “

यशिका ने मन में सोचा ” कुछ नहीं पूछना है खुद को कुछ काम नहीं है बस मेरा समय खराब करने आए है और क्या “

“भेज दें आप उनको देखते है क्या कहने आएं है “?

दिनेश जा के शौर्य को बुला के ले आया शौर्य के साथ अभिमन्यु भी था ये देख कर यशिका ने राहत की सांस ली दोनों ने यशिका को हैलो बोला

शौर्य और अभिमन्यु को देखकर  वो अपनी चेयर पर से उठते हुए बोली ” आएं आप  बैठे आए बताएं आपको क्या बात करनी थी “?

” वो हमें ये कहना था कि हम अपने काम को मतलब हमारा जो प्रोजेक्ट है उसे अब आगे बढ़ा सकते है मतलब तेज़ी से कर सकते है , जिनसे है मैटेरियल लेते है उनके पास एक दो दिन में मैटेरियल आ जाएगा “

यशिका ने एक नज़र अभिमन्यु की तरफ देखा और बोली ” ये तो बहुत अच्छी बात है , और “?

“और कुछ नहीं बस हम ये ही बताने आए थे “अभिमन्यु ने कहा

“मिस्टर सिंह ये बात तो आप फोन पर भी कर सकते थे इसके लिए आने की क्या ज़रूरत थी ” यशिका ने कहा

“वो ” अभिमन्यु को यशिका की इस बात का कोई जवाब नहीं समझ आ रहा था उसने शौर्य की तरफ देखा जो यशिका को देख रहा था “शौर्य” उसने पुकारा “

“हाँ, क्या कहा तुमने “?

“मिस्टर सिंह ने नहीं मैने पूछा कि ये इनफॉर्मेशन तो आप फोन पर भी दे सकते थे ” यशिका ने थोड़ी नाराज़गी जताते हुए बोला

“हाँ दे सकते थे लेकिन मैने आपसे कहा था मै आऊंगा कल तो इसलिए मैं आ गया “

“ठीक है तो आप ” यशिका इतना ही बोल पाई थी कि दिनेश एक पीऑन के साथ कुछ स्नैक्स और कॉफी ले कर आ गया और सर्व कर दिया

अब यशिका का कुछ कहना सही नहीं था ।

शौर्य और अभिमन्यु ने कॉफी पी कुछ बातें की और जाने के लिए खड़े हो गए

शौर्य ने अभिमन्यु की तरफ देख कर जाने का इशारा किया अभिमन्यु ने यशिका को कहा ” तो हम चलते है “

यशिका ने हल्के से मुस्कुरा दिया

शौर्य वहीं खड़ा था यशिका ने उसकी तरफ देखा और फिर हाथ के इशारे से जाने के लिए बोला

शौर्य मुस्कुराया और अभिमन्यु की तरफ देखकर बोला ” मुझे कुछ बात करनी है तुम जाओ “

“हो गई ना बात कोई और बात भी थी “? अभिमन्यु ने जाते जाते रुक कर पूछा

“नहीं कोई बात नहीं है आप इनको ले ले जाएं कुछ होगी बात तो हम फोन पर कर लेंगे वो क्या है आपका समय बहुत कीमती है तो इस तरह से वेस्ट करना ठीक नहीं है   ” यशिका ने कहा

शौर्य ने कहा ” वो तो ठीक है लेकिन मेरे पास आपका नंबर नहीं है तो ?”

“तो आप दिनेश जी को बोल देना वो बता देंगे जो भी बात होगी “

“हाँ, लेकिन अगर कभी वो बिज़ी हुए और आपको ना बता पाए और क्या पता बात बहुत अर्जेंट हो तो फिर गड़बड़ हो जाएगी ना इसलिए ” शौर्य ने अपना फोन यशिका को देते हुए कहा

अभिमन्यु शौर्य की ये हरक़त देखकर मन में बोला ” ये तो पूरा पागल हो गया है ,इसका कुछ हो नहीं सकता और साथ में मुझे भी पागल कर देगा बाद में देख लूंगा इसे “

अभिमन्यु ने कहा “यशिका आप दे दो नंबर  आप का भी तो समय कीमती है और बेकार में बहस होती रहेगी “

यशिका ने शौर्य से का फोन लिया और नंबर दे दिया और फोन उसे वापस कर दिया

शौर्य ने एक रिंग करी”  मेरा नबर आप सेव कर लेना “

बाय … कह कर शौर्य अभिमन्यु के साथ चला गया ।

यशिका ने राहत की सांस ली ” ये इतना बड़ा बिजनेस कैसे संभाले हुए है मुझे तो ये ठीक लगता नहीं है रघुवीर जी का खड़ा किया हुआ एम्पायर कही ये डुबो न दे , खैर मुझे क्या ” मन में ही बोल कर यशिका अपने काम में लग गई

“ये तुम क्या कर रहे थे ?पागल हो गए हो क्या ? … इतनी सी बात के लिए तुम यहाँ आए थे “?अभिमन्यु ने गाड़ी में बैठ कर शौर्य से  थोड़ा नाराज़ होते हुए पूछा

शौर्य मुस्कुराया और बोला ” नंबर लेना था “

“अरे वो तो तुम किसी से भी ले सकते थे इसमें क्या बड़ी बात थी “

” हाँ के तो सकता था लेकिन फिर देख नहीं पाता  “

“क्या नहीं देख पाते “और तुम करना क्या चाहते हो “?

“मर्जर ” शौर्य ने मुस्कुराते हुए कहा

“मर्जर शाह ग्रुप का  “?

“हाँ “

“ये तुम क्या बोल रहे हो “?

“मै दोनों कम्पनी को एक कर देना चाहता हूँ” शौर्य ने कहा

“तुम … वो देखा जाएगा तुम एक बात सुनो पहले सिराज ने बताया कि अमित शाह टाटा में एडमिट थे “

“कब “?

“यही कोई चार पाँच दिन पहले “

“क्या हुआ उन्हें “?

” मुझे कुछ सीरियस लग रहा है ,उससे भी बडी बात अभी तक वो वापस नहीं आए , और कंपनी यशिका देख रही है , शौर्य कही अमित शाह यशिका को अपना सक्सेसर तो नहीं बनाने जा रहे “?

अभिमन्यु की इस बात पर शौर्य ने हैरानी से उसे देखा, लेकिन वो कुछ बोला नहीं और दोनों ऑफिस आ गए ।

कुछ दिनों बाद उत्सव के ऑफिस में

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आज उत्सव का वो प्रोडक्ट डिस्पैच होने जा रहा था जो उनका पहला बड़ा ऑर्डर था यश के साथ  सभी खुश थे और इस बात पर गर्व भी था कि उन्होंने अपना पहला ऑर्डर  से पूरा किया ।

यश ने सबको बुलाया और कहा ” आप सबकी मेहनत और लगन से हम ये ऑर्डर पूरा कर पाए … और ख़ासकर मै मिस गुंजन को थैंक्स कहना चाहता हूँ जो इन्होंने किया वो तो आप सबको पता ही है “

सबने एक साथ ताली बजायी, और गुंजन को थैंक्स बोला

गुंजन बस मुस्कुरा रही थी

यश ने फिर कहा ” आप सबके साथ एक अच्छी टीम बन गई है हमारी तो मै चाहता हूँ कि आज इस खुशी के मौके को हम एंजॉय करें और साथ में डिनर करें ।

सबने एक साथ ताली बजाई और हाँ कहा

“तो मिलते हैं फिर डिनर पर ” यश ने कहा और सब चले गए

तभी यश का फोन बजा फोन अभिमन्यु का था

” कांग्रेचुलेशंस यश” अभिमन्यु ने कहा

“थैंक्स भाई “

“बहुत बहुत बधाई यश “शौर्य ने उसे कहा

“शौर्य भाई…. थैंक यू “

“वैसे आज मैने डिनर रखा है आप लोग आओ “

“नहीं यश आज तुम अपनी टीम के साथ एंजॉय करो आज उनका दिन है , हम फिर कभी करेंगे डिनर ” शौर्य ने कहा

“ठीक है भाई अभी मै फोन रखता हूँ .. बाय “

“बाय टेक केयर  “कह कर अभिमन्यु ने फोन कट कर दिया ।

अमित शाह के घर में

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दिनेश अमित शाह के साथ बैठा हुआ था , और प्रकाश के आने का इंतजार कर रहा था

तभी प्रकाश अंदर आते हुए ,बोला ” हैलो सर कैसे हैं आप ?

“मै ठीक हूँ ” कहकर उन्होंने प्रकाश को बैठने का इशारा किया

” सर ये विल आपने जो बनवाई , एक बार और सोच लीजिए सर ऐसे ही किसी को इतनी बड़ी कंपनी दे देना “

“सोच लिया है मैने इसीलिए तो ये सब के रहा हूँ “

“आपके जहाँ जहाँ साइन लगेंगे वो मैने मार्क किया है आप पेपर्स चेक कर लें फिर मुझे बता दें “

“ठीक है मुझे एक दो दिन का समय दे दो “

“बिल्कुल से आप आराम से  देखें पेपर्स मै चलता हूँ “

ठीक है प्रकाश ने कहा और चला

गया ।

अगला भाग नीचे है 

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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