दिनेश यशिका को रंधावा मेंशन जाने के लिए कहता है, देविका ने जॉब छोड़ दी है, यशिका पूजा के लिए जाती है।
अब आगे :
कमला जी यशिका को वहीं ले जाती हैं जहाँ नीता बैठी थी, यशिका नीता से मिलती है और उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते कहती है। कमला जी यशिका के साथ वहीं बैठ जाती हैं।
कुछ देर में पूजा का समापन होता है। कमला जी और नीता सभी के लिए प्रसाद लगाती हैं, यशिका इस बीच श्यामजी और नीलिमा से मिलती है और प्रसाद लगाने में उनकी मदद करने लगती है।
“अरे आप रहने दें यशिका ” नीलिमा ने कहा
“कोई बात नहीं मैं कर देती हूँ वैसे भी इतनी देर से बैठी ही हूँ ” यशिका ने कहा
“इनको भी काम पे लगा दिया “रघुवीर जी ने आते हुए कहा
“हम तो कह रहे है बैठ जाएं लेकिन ये मान नहीं रही है ” नीलिमा ने कहा
“आप बैठिए इतनी देर से पूजा में आप बैठी थी और ये जी आपको पंडित जी ने दिया है उसे खाइए , अभी तक अपने कुछ खाया नहीं होगा ना ” यशिका न कहा
नीलिमा ने प्यार से उसके गाल पर हाथ रखा और थोड़ी दूर पर जो चेयर रखी थी उस पर जा कर बैठ गयी, वो प्रसाद खाते हुए यशिका को देख रहीं थीं
“क्या देख रही है आप ” श्याम जी ने उनके पास बैठते हुए पूछा “
“बहुत दिनों बाद मैं किसी ऐसी लड़की को देख रही हूँ जो सर्व गुण तो नहीं कहूंगी लेकिन हाँ गुणों से संपन्न है , टैलेंटेड है और संस्कारी भी है , कितना गर्व होता होगा यशिका के पेरेंट्स को ऐसी बेटी मिली है उन्हें “
” हाँ…इतनी कम उम्र और इतनीटैलेंटेड ” श्याम जी ने कहा
“ऐसी ही बहू चाहिए मुझे शौर्य के लिए”
नीलिमा ने कहा
“कैसी बहू चाहिए “? रघुवीर जी ने आते हुए पूछा
“बैठिए ना बाउजी ” नीलिमा उठने लगी तो रघुवीर जी ने कहा “अरे बैठो और क्या कह रहीं थी तुम “?
“मै कह रही थी कि यशिका जैसी बहू चाहिए मुझे शौर्य के लिए “
ह्म्म , जैसी क्यों “? यशिका ही क्यों नहीं “? रघुवीर जी के ये कहते ही नीलिमा और श्याम जी ने उनकी तरफ देखा
नीलिमा मुस्कुरा कर बोली “चाहती तो मै भी यही हूँ , पर हमारे चाहने से क्या होता है , शौर्य को भी तो यशिका पसंद होनी चहिए, और यशिका को शौर्य लेकिन उसको तो कोई पसंद ही नही आता पिछले साल कितनी कोशिश की थी मैने “
“फिलहाल तो दोनों बिजनेस राइवल्स है बस काम के रहे है एक प्रोजेक्ट में “रघुवीर जी ने कहा
“राइवल्स कैसे बाउजी”? नीलिमा ने पूछा
“दो अलग अलग ग्रुप में काम कर रहे ही तो राइवल्स ही हुए ना ” श्याम जी ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा
“चलो देखते है “कह कर रघुवीर जी वहाँ से चले गए
शौर्य से खड़े हुए यशिका को देख रहा था , तभी यश उसके पास आया और बोला” शौर्य भाई आप यहाँ क्या कर रहे
हैं… “?
कुछ नहीं तुम बोलो ” चलें आप सबने प्रसाद ले लिया आप भी ले लें “
“चलो ” कह कर शौर्य यश के साथ वहां पहुंच गया जहाँ कमला जी और यशिका प्रसाद दे रही थी .. यशिका ने शौर्य को प्रसाद दिया तो वो उसने यश को दे दिया
यशिका ने फिर से उसे प्रसाद दिया तो उसने कमला जी से कहा ” अम्मा आप बहुत देर से खड़ी है आप ये प्रसाद ले और यहां बैठ जाएं ” कमला जी ने उसके हाथ से प्रसाद ले लिया और वहीं पास में रखी हुई चेयर पर बैठ गयी
शौर्य फिर यशिका के सामने खड़ा हो गया … यशिका ने फिर से उसे प्रसाद दिया इस बार शौर्य ने नीता को वो प्रसाद दे दिया और यशिका की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा ,
“हम भी है लाइन में “अभिमन्यु ये कहते हुए आगे आया तो शौर्य ने उसे रोकते हुए कहा “रुको तुम मै दे रहा हूँ
यशिका ने फिर से उसे प्रसाद दिया और शौर्य ने उसे अभिमन्यु को दे दिया …
यशिका ने शौर्य से कहा ” कोई और हो तो उसे भी बुला लें आप … “
शौर्य ने मुस्कुराते हुए इस बार प्रसाद ले लिया और उसे भी दिया यशिका ने प्रसाद लिया और वहीं चेयर पर बैठ गई जहां कमला जी बैठी थी ।
सब वहीं बैठे थे और बातें करते हुए प्रसाद खा रहे थे , कुछ देर में सभी गेस्ट खाना खाया और सबसे मिल कर चले गए बाकी सब और यशिका भी खाना खा चुकी थी , वो कमला जी से मिलकर जाने के लिए बोलने आयी रघुवीर जी भी वहीं थे उन्होंने पूछा ” आप कैसे जाओगी “?
“मैं कैब से चली जाऊँगी सर “
“नहीं आपको शौर्य छोड़ देगा ” रघुवीर जी कहा
“अरे नहीं सर मै चली जाऊँगी कोई प्रॉब्लम नहीं है आप परेशान ना हो “
“शौर्य” तब तक रघुवीर जी ने उसे आवाज़ दी
शौर्य आया तो रघुवीर जी ने उस से कहा ” शौर्य यशिका को घर तक छोड़ कर आओ”
“जी ” शौर्य ने कहा
यशिका को ना चाहते हुए भी हाँ करना पड़ा वो सबसे मिली और शौर्य के साथ पार्किंग में जाने लगी तभी अभिमन्यु आया और बोला ” मै भी चलता हूँ “
शौर्य ने कहा ” कोई ज़रूरत नही है तुम यहीं रहो देखो सबको को “
अभिमन्यु ने उसे अपनी तरफ खींचा और बोला ” हाँ जाओ तुम गुड लक वैसे होने कुछ नहीं वाला तुम्हारा “
शौर्य ने उसे घूर कर देखा और यशिका के साथ आगे बढ़ गया
शौर्य ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और यशिका को बैठने के लिए बोला
“मै पीछे बैठूंगी “
“क्यों पीछे क्यों”?
“बस मेरी मर्जी “
“आप इतनी बहस क्यों करती हैं अगर आप पीछे बैठेंगी तो मै आपका ड्राइवर लगूंगा , इसलिए आप आगे ही बैठे ।
यशिका मुंह बनते हुए आगे बैठ गयी शौर्य ड्राइविंग सीट पर आ कर बैठ गया
“सीट बेल्ट ” शौर्य ने कहा
“लगा रही हूँ “यशिका ने कहा और सीट बेल्ट को लगा लिया
“अब चलेंगे आप ?”
“आप जब मेरे साथ होती हैं तो ऐसे गुस्से में क्यों रहती है “? कहते हुए शौर्य ने गाड़ी स्टार्ट कर दी
“क्योंकि आप अपनी चलाते है और आपको लगता है आप ही सही है “
“अच्छा छोड़े ये सब बात आपने सोचा मैने जो कहा आपसे “
“किसी बारे में “?
“जान पहचान बढ़ाने के लिए “
“नहीं मुझे आपसे जान पहचान नहीं बढ़ानी “
“क्यों “
“बस नहीं बढ़ानी क्यों ये नहीं पता मुझे”
“अच्छा तो दोस्ती कर लें बढ़ जाएगी जान पहचान “
” मिस्टर रंधावा आपकी सुई एक ही जगह पर क्यों अटकी हुई है ? मैने कहा ना मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है और अब आप चुप चाप से गाड़ी चलाएं वरना यहीं रोक दें गाड़ी मै चली जाऊँगी यहाँ से “
“आपका घर यहाँ से दूर है कुछ तो बात करेंगे ही “
“तो आप खुद से बात करें मुझे आपसे बात करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है “
“आप बात क्यों नहीं करना चाहती “?
“क्योंकि आप बेकार की बात करते है “
अचानक शौर्य ने गाड़ी रोक दी और मास्क लगा कर गाड़ी में से उतर गया यशिका कुछ पूछ भी नहीं पायी थी उस से
कुछ देर में शौर्य अपने हाथों में दो कुल्फी ले कर आ गया और यशिका को देते हुए बोला ” इसे खाओ आप थोड़ा दिमाग ठंडा हो जाएगा आपका “
यशिका कुल्फी ले ही नहीं रही थी
“अरे ले भी लो आप वरना सब गाड़ी में गिर जाएगी “
यशिका ने शौर्य के हाथ से कुल्फी ले ली शौर्य मुस्कुरा दिया ।
“आप अपनी पसंदीदा जगह चलेंगी ?”
“मुझे कहीं नहीं जाना आप मुझे घर छोड़ दें , वरना मैं यहीं उतर जाती हूँ “
“अरे नहीं अगर बाउजी को पता चल गया मैने आपको रस्ते में छोड़ दिया तो मेरी खैर नही”
“चलो किसी से तो डरते हो आप “
“डरता नहीं हूं रिस्पेक्ट करता हूँ ” शौर्य यशिका की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया
कुछ देर में यशिका का घर आ गया
शौर्य ने गाड़ी रोकी यशिका गाड़ी में उतर गयी ,उसने शौर्य को थैंक्स कहा और जाने लगी ।
शौर्य गाड़ी से बाहर निकला और बोला ” यशिका मै कल शाह ग्रुप में आ रहा हूँ”
“क्यों कल तो कोई मीटिंग नहीं है फिर “?
” आपसे मिलने “
यशिका ने बुरा सा मुंह बनाया और पैर पटकते हुए बिल्डिंग के अंदर चली गई
शौर्य ने मन में कहा “थोड़ी सी अकड़ू है लेकिन क्यूट है ” उसने अपने सिर पर हाथ फेरा और चला गया …
अगले दिन हॉस्पिटल
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आज अमित शाह को हॉस्पिटल छुट्टी मिलने वाली थी दिनेश उनके साथ ही था …
सारे पेपर्स सबमिट करकरे वो डॉक्टर से मिलकर अमित शाह को लेकर वो गाड़ी में बैठ गया
“ऑफिस ले चलो ” अमित शाह ने कहा
“सर आप अभी जाना चाहते है , थोड़ा रेस्ट करके सेकंड हॉफ में आ जाते आप “
“नहीं अभी ले कर चलो और प्रकाश का फोन आया या कुछ पूछा उसने “
“नहीं सर “
“ओके “
कुछ देर में गाड़ी शाह ग्रुप के ऑफिस के बाहर खड़ी थी अमित शाह उसमें उतर कर सीधे अपने केबिन में गए और नॉक किया ” कम इन” यशिका ने बोला
अमित शाह ने देखा यशिका बैठी हुई कुछ काम कर रही थी
जैसे ही यशिका ने अमित शाह को देखा वो उठ कर खड़ी हो गई
“सर आप आ गए , गुड मॉर्निंग “
“गुड मॉर्निंग कैसी हो आप “?
“उसने टेबल को दिखाते हुए कहा”बस सर आपने जो जिम्मेदारी दी है उसी को निभाने की कोशिश कर रही हूँ “
“और बहुत अच्छे से निभा रही हो ” अमित शाह ने मुस्कुराते हुए कहा
“अब तो सर आप आ गए है तो आप संभाले ये सब मुझे मेरा काम मरने दें “
“यशिका मुझे आपसे कुछ बात करनी है आप बैठे ” अमित शाह ने कहा और सामने सोफे पर बैठ गए ।
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स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®