वह गंवार औरत मेरी मां हैं !! – स्वाती जैंन

मम्मी , सच कहती हो तुम  मेरे घर में गंवार औरत हैं …… रज्जी फोन पर बात कर ही रही थी कि पीछे से सास अर्चना जी की आवाज आई और उसने फोन कट कर दिया !! 

बेटा , तुम अकेली अकेली रसोई में काम करने आ गई , मैंने कहा तो था मुझे कमरे से आवाज दे दिया करो , तुम्हारी अभी नई नई शादी हुई हैं ,मैं तुम्हारी मदद कर दिया करूंगी , लाओ मैं सब्जी काट देती हुं अर्चना जी बोली !!

रज्जी सब्जी उनके हाथ में थमाकर बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली गई !!

अर्चना जी को उसका यह बर्ताव थोड़ा अलग लगा मगर वह कुछ बोली नहीं , अर्चना जी ने पुरा खाना अकेले बनाया और फिर जब खाना खाने रज्जी को बुलाया तब रज्जी बोली मम्मी जी मुझे भूख नहीं हैं आप खा लिजिए !!

अर्चना जी उसके कमरे के बाहर काफी देर तक दरवाजा खखटाती रही मगर रज्जी ने दरवाजा ही नहीं खोला और बोली मम्मी जी , मेरा सर दर्द कर रहा हैं इसलिए मैं सोना चाहती हुं !!

दूसरे दिन सुबह अर्चना जी बेटे रतनेश से बोली – बेटा ,रज्जी और तेरे बीच कुछ हुआ हैं क्या ?? रज्जी घर में उदास सी रहती हैं बेटा , उससे मैंने पूछा था मगर उसने मुझे कुछ बताया नहीं, मुझे फिक्र हुई तो सोचा तुझसे ही पुछ लूं !!

रतनेश बोला – नहीं तो मम्मी , हम दोनों में तो कुछ भी नहीं हुआ , हां रात को बता रही थी कि आज उसका भाई उसे मायके लिवाने आ रहा हैं !!

अच्छा , रज्जी ने तो मुझे कुछ बताया ही नहीं , मैं खाने की तैयारी कर देती हुं अर्चना जी बोली !!

अरे , मम्मी रज्जी बता रही थी खाना वह मायके जाकर खाएगी क्योंकि उसके मामा का परिवार भी आज वहां खाने पर आ रहा हैं !!

अर्चना जी सोचने लगी पता नहीं रज्जी उनसे क्यूं कुछ नहीं बताती जबकि उन्होंने तो कभी रज्जी के साथ सास जैसा व्यवहार नहीं किया !!

रज्जी अपने भाई के साथ मायके चली गई !!

शाम को जब रतनेश ऑफिस से आया , अर्चना जी ने उसे चाय बनाकर दी फिर बोली – बेटा ,यह सोफे जो तेरे ससुराल से आए हैं इन्हें तू अपने कमरे में लगवा दे , अरे हां तेरा कमरा तो छोटा हैं , एक काम करो तू और रज्जी मेरे कमरे में शिफ्ट हो जाओ , मेरा कमरा तो बड़ा हैं और यह सोफे भी उसी कमरे में लगवा देते हैं !!

रतनेश हैरानी से बोला – क्यूं मम्मी , ऐसा सब क्यों बोल रही हो ?? सोफे हॉल में पड़े रहे या कमरे में क्या फर्क पड़ता हैं और आपको अपना कमरा हमें क्यों देना हैं ??

आप आराम से रहिए अपने कमरे में , हम दो लोगों के लिए हमारा कमरा काफी हैं !!

बेटा , मैं अकेली बड़े कमरे में क्या करूंगी , मैं जो कहती हुं तू इतना कर बस !! तू मेरे कमरे में शिफ्ट हो जा और यह सोफे वहां लगवा देना अर्चना जी थोड़ी कड़क आवाज में बोली !!

रतनेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था , उसने मां के कहे अनुसार सब कर दिया और बोला – बस , अब तो खुश हो ना आप !!

दो दिन बाद रज्जी भी ससुराल वापस आ गई थी !!

रतनेश रज्जी को देखकर बोला – तुम तो थोड़े ओर दिन रहने वाली थी ना , जल्दी कैसे आ गई ??

रज्जी बोली – बस आपके बिना , वहां मन ही नहीं लगा मेरा !!

रतनेश ने रज्जी को अपनी बांहों में भर लिया !! 

दूसरे दिन रतनेश ने रज्जी और मां के बीच एक अजीब तनाव महसूस किया था , वे दोनों एक दूसरे से बात नहीं करती थी !!

दस दिन बाद रज्जी फिर मायके चली गई और शाम को जब रतनेश घर आया तो अर्चना जी बोली – बेटा एक काम कर ,पुजा घर मेरे कमरे में शिफ्ट कर दे और हॉल में रखा तेरे दहेज में आया टीवी तेरे कमरे में लगा दे !!

रतनेश सोचने लगा यह रज्जी के मायके जाते ही मां को क्या हो जाता हैं ?? कभी यह यहां शिफ्ट कर दो , कभी वहां शिफ्ट कर दो , रतनेश बोला – मम्मी , आपको किसी ने कुछ कहा हैं क्या ??

अर्चना जी सकपका गई और बोली – नहीं तो बेटा , मैं तो इसलिए कह रही थी मैं सुबह सुबह उठकर पुजा करती हुं तो तुम लोगों को कितना डिस्टर्ब होता होगा , मेरी तो आदत हैं सुबह जल्दी पुजा करने की मगर तुम लोगो को अब कल से डिस्टर्ब नहीं होगा और टीवी बहू के दहेज में आया है तो बहू के कमरे में ही रहना चाहिए ना !!

रतनेश बोला – पता नहीं मम्मी , आपके दिमाग में क्या चल रहा हैं ?? रतनेश ने मां के कहे अनुसार फिर से सब कर दिया मगर उसका दिमाग आज शांत नहीं बैठ रहा था , उसने अर्चना जी का फोन हाथ में लिया और कॉल लिस्ट चेक की तो उसमें रज्जी की मां का फोन आया हुआ दिखाई दे रहा था !!

रतनेश ने अर्चना जी से बात को कुरेदना चाहा तो अर्चना जी ने बहाना बनाकर बात को टाल दिया !! दूसरे दिन रज्जी फिर मायके से जल्दी लौट आई थी !!

रतनेश ने जब रज्जी से इस बारे में पूछा तो वह बोली – तुम्हारी मां की मर्जी , उन्हें जहां भी सामान शिफ्ट करना हो वह करें !!

रतनेश असमंझस में था क्योंकि उसका दिल कह रहा था कि उससे उसकी मां और पत्नी दोनों कुछ चुपा रहे हैं !!

चार दिन बाद रज्जी फिर मायके जाने का कहने लगी , रतनेश बोला – तुम एक बार में ही जी भरके मायके रहके क्यों नहीं आती ?? हर चार दिन बाद तुमको मायके जाना होता है !!

रज्जी बोली – मेरी मम्मी लोग बाहर घूमने जाने वाले है , तो वे मुझे उनके साथ शापिंग करने बुला रही है, इसलिए जाना चाहती हुं मायके !!

रतनेश रज्जी के यूं बार बार मायके जाने से थोड़ा हैरान था !!

रज्जी दूसरे दिन चली गई !!

 शाम को फिर से अर्चना जी बोली – बेटा ,तु थोड़े दिन मुझे मेरी बहन के घर छोड़ दे , मैं और वह थोड़े दिन के लिए तीर्थस्थल चले जाएंगे , आज ही उसका फोन आया था !!

रतनेश मां को देखने लगा तो अर्चना जी उससे नजरे मिलाए बिना उसके लिए चाय बनाने चली गई !!

रतनेश के मन में सवालों का सैलाब चल रहा था , उसने मां का फोन हाथ में लिया , अपनी मां के फोन में सारी सेंटिंग रतनेश ही करके देता था , उसने देखा आज फिर उसकी सासू मां का फोन उसकी मां पर आया था !! उसने रिर्काडिंग का बटन ऑन किया और अपनी सासू मां और मां की बाते सुनने लगा , उसने पहली बार की रिर्काडिंग ऑन की जिसमें उसकी सासू मां लताजी बोल रही थी – अर्चना जी , मैंने तो आपको क्या समझा था मगर आप तो बिल्कुल गवार निकली , आपको इतना भी नहीं पता कि बहू के दहेज में आया हुआ सामान उसी के कमरे में रखते हैं , पर रखेंगी कहां मेरी बेटी को तो छोटा कमरा दिया हुआ हैं आपने और खुद बड़े कमरे में आराम से रह रही हैं !! जब तक आप अपना कमरा मेरी बेटी को नहीं दे देती और मेरी बेटी के दहेज में दिए गए सोफे उसके कमरे में नहीं रखवा देती , मेरी बेटी ससुराल नही आएगी !!

अर्चना जी बोली आप नाराज मत होईए समधन जी , आप जैसा कहेंगी वैसा हो जाएगा , ऐसे ही सारी रिर्काडिंग रतनेश ने सुन ली जिसमें लता जी ने उसकी मां से घर में सारे बदलाव कराए थे और अब उसकी समझ में आ गया था कि उसकी पत्नी रज्जी बार बार मायके क्यों जाती हैं और फिर एक ही दिन में घर में बदलाव करवाकर वापस आ जाती हैं !!

अर्चना जी चाय लेकर आई तो देखा रतनेश रिर्काडिंग सुन रहा हैं !!

अर्चना जी की आंखों से आंसू बह निकले , रतनेश बोला मम्मी आपने मुझसे इतनी सारी बातें छुपाई !!

अर्चना जी बोली – सुना नहीं बेटा तूने , लता जी कह रही थी एक दिन आपके बेटा बहू आपको छोड़कर चले जाएंगे !! मैं डर गई थी इसलिए अब बहन के घर जा रही थी ताकि तुम लोग शांती से रह पाओ और लता जी और रज्जी भी खुश हो जाए , बस मेरे बेटे के गृहस्थ जीवन पर कोई आँच ना आए !!

रतनेश बोला – जिसने मेरी मां को गंवार औरत कहा हैं , उन्हें मैं सबक सिखाके ही दम लूंगा !! 

दूसरे दिन रतनेश सुबह सुबह उसके ससुराल पहुंच गया , उसे देखते ही रज्जी और उसके परिवार वाले चौंक गए !!

रज्जी के पापा बोले – अरे , दामाद जी , आप सुबह सुबह कोई खबर भी नहीं दी आने की , सब खैरियत तो हैं !! आईए , नाश्ता करते हैं !!

रतनेश बोला – सब खैरियत हैं , पापा , मैं तो बस यह सामान रखने आया था !!

रज्जी के दोनों भाई बोले कौन सा सामान ??

रतनेश ने बाहर की तरफ ट्रक का इशारा किया जिसमें सारा सामान पड़ा था !!

रज्जी के मायके वालों ने वहां जाकर देखा तो रज्जी के दहेज में दिया हुआ सारा सामान उस ट्रक में था !! उस सामान को देखकर घर के सभी लोग एक दूसरे को प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगे !!

लता जी बोली – दामाद जी , यह क्या हरकत हैं ??

रतनेश बोला – वह गंवार औरत मेरी मां हैं सासू मां जिसे आप बार बार फोन करके अपनी बेटी की गृहस्थी बसाने के लिए चीजे बदलवा रही हैं !! आपकी बेटी को इस  दहेज की वजह से बार बार मायके आना पड़ रहा हैं क्योंकि उसे सब दहेज अपने कमरे में चाहिए , कभी मां से पुजा घर बदलवा रही हैं तो कभी पुरा कमरा !! आप लोगो को इस दहेज के साथ अपनी बेटी को एक मकान भी दहेज में दे देना चाहिए था जहां वह अलग से सुखी रह पाए !!

यह सब सुनकर रज्जी के पापा रमाकांत जी , उसके दोनों भाई – भाभी सब लता जी को घूरकर देखने लगे क्योंकि दोनों मां बेटी की पोल खुल चुकी थी जो घर में ओर कोई नहीं जानता था और रतनेश को भी सब पता चल गया था !! रमाकांत जी लता जी पर बरसते हुए बोले – रज्जी की मां यह तो बच्ची थी मगर तुम , तुमने यह बहुत गलत किया !!

लता जी और रज्जी अपने किए पर बहुत शर्मिंदा थे !!

रमाकांत जी हाथ जोड़कर बोले – दामाद जी , हमें लगता था हमारी बेटी खुशी खुशी मायके आती हैं , आप यह सब सामान वापस ले जाईए और हमें माफ कर दीजिए !! रतनेश उनके हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला – पापा , अगर मैंने मेरी मां की सारी कॉल रिकॉडिंग ना सुनी होती तो मुझे यह सब कभी पता ना चलता !! मैं यह सब करना नहीं चाहता था मगर मुझे आपकी बेटी और सासू मां को सबक सिखाना था !!

रमाकांत जी ने दहेज का सारा सामान वापस रतनेश के घर भिजवा दिया और खुद अपनी बीवी और बेटी को लेकर समधन जी से माफी मांगने पहुंचे और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि आइंदा से कभी उनकी बेटी या उसकी मां उन्हें शिकायत का कोई मौका देंगी !!

दोस्तो , बहुत सी बेटियों के घर तोड़ने में उनकी मां की अहम भूमिका होती हैं !!

आपकी इस कहानी को लेकर क्या राय है कमेंट में जरूर बताइएगा !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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