रमा जी की बहु आज पांचवीं बार डिलीवरी के लिए दाखिल हो रही थी।बहु श्यामा डरी सहमी सी थी कमजोरी से चेहरा पीला पड़ रहा था और उनके पति विद्याधर भी पीछे पीछे हस्पताल में दाखिल हुए। रमा जी डाक्टर से बोली इस बार लड़का ले कर जाऊंगी वरना इसे और उस कुलक्षिणी को यही फेंक
जाऊंगी।श्यामा को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया वो बहुत से डरी हुई थीं।वो डॉक्टर से बोली अगर लड़की है तो मुझे उसके साथ ही मार दो वरना ये लोग तो हमे मार ही देंगे।डॉक्टर बोली डरो नहीं कुछ नहीं होगा तभी नर्स ने बताया जिस लेडी की अभी डिलीवरी हुई है उसकी मौत हो गई है। डॉक्टर ने पूछा बच्चा कहा है नर्स ने कहा अभी तो बच्चे को साफ कर रहे हैं। डाक्टर बोली अभी घर
वालों को कुछ नहीं बताना ।श्यामा की डिलीवर हुई फिर बेटी थी वो बेहोश थी।डॉक्टर चाहती थीं कि बेचारी श्यामा की इस बार जान बच जाए और उसकी ये बच्चा पैदा मशीन भी 6 बच्चो को एक एक वर्ष में जनम देना आसान नहीं।डॉक्टर ने नर्स को कुछ समझाया पहली महिला के परिवार वालों को
बताया बेटी हुई है और उसकी मां का देहांत हो गया है।उस परिवार में केवल पति था उसने बच्ची को गोद लिया और प्यार करने लगा कुछ समय बाद बाकी घर वाले आए और बच्ची और औरत को ले गए।इधर डॉक्टर रमा के पास जा कर बोली इस बार तो आप मुझे नौ लखा हार देगी पोता हुआ है
आपको।बच्चा गोल मटोल सुंदर गोरा चिट्ठा था। रमा तो पागल हो गई पूरे अस्पताल में मिठाई बंटवाई ।विद्याधर भी बहुत खुश थे बेटे को देखा पर बहु के बारे में रमा ने पूछा भी नहीं डॉक्टर ने विद्याधर को बुला कर कहा कि आपकी पत्नी 6 बच्चो को जन्म दे चुकी है अब इनका जन्म देना इनकी मृत्यु का
कारण बनेगा।विद्याधर बोले मां की इच्छा पूरी हो गई बस अब हमे और संतान नहीं चाहिए।श्यामा के पास बच्चा लाया गया बच्चा देख श्यामा बोली मेरा बच्चा इतना सुंदर डॉक्टर बोली हा तुम्हारा ही है अब अपना और इन बच्चों का ध्यान रखना। श्यामा घर आ गई दादी सारा दिन पोते को ले कर बैठी रहती ।इस बार पहली बार श्यामा को पूरे 40 दिन आराम मिला। रमा सारा ध्यान सिर्फ बेटे पर देती।उसका
नामकरण बड़े पैमाने पर किया गया नाम रखा गया राजा ।राजा को घर ने राजा जैसा ही ट्रीटमेंट मिलता।बहनों की कोई पूछ नहीं थी बड़ी मुश्किल उनकी स्कूल की फीस निकलती।पर राजा के लिए एक छोड़ चार खिलौने आते। रमा राजा को उल्टी पट्टी पढ़ाती तू राजा है इस घर का मालिक है ये
करमजलिया तो यहां से चली जाएगी तू राजा है स्कूल जाने लगा तो मास्टरजी कुछ कहते तों वो उनको भी दस बाते सुना देती।माता पिता कुछ कहते तों वो उनको भी डॉट देती।इसी उल्टी पट्टी के कारण राजा दिन पर दिन जिद्दी और खुद सर बना दिया अब वो किसी को कुछ नहीं समझता था तय समय पर बहनों की शादी हो गई।घर में रमा,श्यामा और विद्याधर थे ।राजा किसी की ना सुनता था वो
आवारा हो चुका था।घर से गायब रहना चोरी करना ये सब उसके काम थे।विद्याधर ने रमा से कहा मां इसी लिए लड़का चाहिए था कि उसे उल्टी पट्टी पढ़ा कर तुम बिगाड़ दो इससे तो ईश्वर बेटा ना ही देता बेटियां सही थी पढ़ लिखकर अपने घर की होगई हमारा ध्यान भी रखती हैं और एक ये है। रमा बोली ऐसे नहीं कहते लला घर का चिराग है।आज श्यामा बोली आप के घर का चिराग नहीं अंधकार है
आपकी किस्मत में चिराग था ही नहीं दूसरे के चिराग से आप घर आबाद करने चली।थी वो तो खाक हो गया। रमा बोली क्या बक रही है ।श्यामा बोली हमे तो छोरी हुई थी आपके डर से और मेरी जान
बचाने के लिए डॉक्टर ने बच्चा बदल दिया।हमारी बच्ची आज डॉक्टर है और वो बेटा जो आप राजा बना कर लाई थी आपकी गलत शिक्षा से अपराधी बन गया तभी घंटी बजी पुलिस आई थी राजा को पकड़ने उसने किसी लड़की की अस्मत पर हाथ डाला था।
रमा रो रही थी कि मैने सपूत को कपूत बना दिया और जिन लड़कियों से नफरत की उन्होंने मेरा नाम रोशन कर दिया।टीवी पर उसकी बड़ी पोती गीता राष्ट्रपति से अपने समाज सुधार कार्यक्रम के लिए पुरस्कार ले रही थी और दूसरी तरफ उनका राजा हथकड़ी पहने खड़ा था।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी