उल्टी पट्टी पढ़ाना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

हरीश बेटा देख कर आओ, चाची अपने कमरे में क्या कर रही है। उसके मायके वाले आए हुए हैं। जरा सुन के आओ। उनकी आपस में क्या बातें चल रही है। मैं जानती हूं, तुम्हारी चाची और उसके मायकेवाले जितने भले दिखते है। उतने वो है नहीं इसीलिए पता तो रखना ही पड़ेगा।

 रमा यह सब अपने सात वर्षीय बेटे हरीश से कह ही रही थी कि अचानक अनिल जी वहां आ गए और अपनी पत्नी रमा से कहने लगे। देखो रमा बच्चों को अच्छे संस्कार देना,उसे सही रास्ते पर चलाना हर मां का कर्तव्य होता है, मगर तुम तो अभी से ही इस मासूम को इतनी गलत बातें सीखा रही हो ।

सच कहूं तो तुम इस मासूम के दिल में उसकी चाची और उसके मायके वालों के लिए नफरत भर रही हो। एक दिन हम एक परिवार में रहते हुए भी दो परिवार हो जाएंगे। 

जो की बिल्कुल अच्छी बात नहीं होगी,इसीलिए मैं कहता हूं, संभल जाओ ।

 देखो रमा अभी तो यह छोटा सा पौधा है। इसे तुम अपनी जितनी समझदारी और प्यार से सिंचोगी। यह उतना ही सुंदर पेड़ बनकर एक दिन तुम्हारे सामने खड़ा होगा,और अगर इस तरह तुम उल्टी पट्टी पढ़ाओगी और गलत बातें सिखाओगी तो वह दिन दूर नहीं, जब तुम्हारा अपना बेटा ही तुमसे दूर हो जाएगा। अब सोचना तुम्हें है। तुम किसे चुनती हो।

पति अनिल जी की बातें सुनकर रमा को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और पश्चाताप भी होने लगा। उसने अनिल जी से क्षमा मांगते हुए कहा। 

आप मुझे क्षमा कर दीजिए। आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। हरीश तो अभी मासूम है, बच्चा है। हम उसे जैसे संस्कार देंगे, आगे चलकर हमें वैसे ही परिणाम देखने को मिलेंगे। जाने अनजाने में ही मैं बड़ी भूल करने जा रही थी। जो अपने ही बेटे को उल्टी पट्टी पढ़ा रही थी यानी कि गलत बातें सीखा रही थी ।

रमा की पश्चाताप भरी बातें सुनकर अनिल जी मुस्कुरा कर कहने लगे। अरे रमा अब जब तुमने स्वीकार कर लिया है, तो रात गई बात गई, अब भूल भी जाओ।

आप ठीक कह रहे हैं, मगर मुझे अब खुद के साथ-साथ इस मासूम को भी बहुत बड़ी सीख देनी है कहकर रमा अपने बेटे हरीश से बोल उठी। 

हरीश मैं रसोई में जाकर चाय तैयार करती हूं। तब तक तुम प्लेटो में नाश्ता लगा देना क्योंकि तुम्हारी प्यारी चाची के मायके वाले आए हुए हैं । आखिर वह हमारे मेहमान है और घर आए हुए मेहमान का तो सम्मान होना ही चाहिए और अपने बेटे हरीश की उंगली थाम कर रसोई की ओर चल पड़ी। 

मासूम हरीश के नन्हे मन को कुछ भी समझ नहीं आया कि पहले जो हो रहा था, वह सही था या अब जो हो रहा है, वह सही है, मगर रसोई की ओर जाते रमा के कदम आज खुद को बड़ा हल्का महसूस कर रहे थे क्योंकि समय रहते अपने पति अनिल जी की सूझबूझ से उसने अपने मासूम को उल्टी पट्टी पढ़ाने से खुद को रोक जो लिया था।

स्वरचित 

सीमा सिंघी 

गोलाघाट असम

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