कुछ दिन बाद कॉलेज में कल्चरल प्रोग्राम था और सभी उसकी तैयारियों में बिजी थे।
पर सुमि तो अपनी ही दुनिया में खोई रहती।
विकास का यूँ सामने आकर प्रपोज़ करना, उसका ध्यान रखना—यही खयाल उसे गुदगुदाता रहता।
शायद यही वजह थी कि विपुल के बार-बार कहने पर भी उसने सिंगिंग में अपना नाम नहीं लिखवाया। अब उसे मंच से ज़्यादा किसी और की यादें और निगाहें अपनी दुनिया लगने लगी थीं।
इसके बिलकुल विपरीत स्थिति वीणा और प्रियांश की थी । पिछले कुछ दिनों से वीणा प्रियांश को अवॉयड कर रही थी । बहुत हिम्मत करके आज प्रियांश वीणा के पास आया और उसे भीड़भाड़ से दूर एकांत में आने को बोला। वीणा ने सुमि को भी साथ में आने का इशारा किया। तीनों भीड़ से दूर, कॉलेज की छत्त की तरफ चल पड़े। उन दोनों को आगे जाने को बोल, सुमि सीढ़ियों में ही रुक गयी।
प्रियांश ने झिझकते हुए वीणा को गुलाब देते हुए प्रोपोज़ किया ।
वीणा की आँखें झुक गईं “प्रियांश… मेरे घरवाले बहुत पारम्परिक हैं। चाह कर भी… मैं इस रास्ते पर नहीं चल सकती।” वो ठहरी, फिर धीमे से बोली—”मन में चाहे जो भी हो, वो कभी नहीं मानेंगे। उम्मीद है तुम समझोगे।”
“और बुरा मत मानना, इसके बाद मैं शायद अब तुम्हारे साथ पहले वाली दोस्ती भी ना रख पाऊँ।” कह वो सुमि की तरफ़ आ गई।
उदास प्रियांश ने सुमि की तरफ देखा। दोनों से बात कर सुमि सब समझ चुकी थी—इसलिए उसने सलाह दी कि अभी दोनों सिर्फ दोस्त बनकर रहें। आगे चलकर, अच्छी पोजीशन पर पहुँचने के बाद, अगर उनका प्यार कायम रहता है तो वे परिवार को मनाने की कोशिश कर सकते हैं ।
“पर कल की सोच कर आज की दोस्ती क्यों तोड़ी जाए ?”
बात तो सही थी । वीणा और प्रियांश ने हाथ मिलाया । हमेशा दोस्त रहेंगे वाली फीलिंग्स के साथ, प्रियांश उन दोनों के साथ प्रोग्राम वाली जगह पर लौट आया।
कार्यक्रम लगभग शुरू हो चुका था। गायन, वाद्य और छोटे-छोटे स्किट्स चल रहे थे। अचानक एंकर ने माइक पर घोषणा की—
“पब्लिक डिमांड पर अब हम और आप, पब्लिक में से ही हिडेन टैलेंट की खोज करना चाहेंगे। तो आप स्टेज पर किसे देखना चाहेंगे ?”
मेहुल और सेजल की डांस परफॉरमेंस की डिमांड पूरे हाल में गूंजने लगी। शायद दोनों ने पहले से ही इसकी प्रैक्टिस की हुई थी, बेहद खूबसूरत परफॉरमेंस रही दोनों की।
प्रोग्राम शानदार तरीके से चल रहा था। इसी बीच महेश ने सुमि से गाना गाने की गुजारिश की। आज उसने इतने शालीन ढंग से बुलाया था कि सुमि के लिए ‘ना’ कहना मुश्किल हो गया।
पर उसने गाने की कोई तैयारी नहीं की थी, इसलिए उसके हाथ काँप रहे थे और दिल तेजी से धड़क रहा था। धीरे से उसने माइक पकड़ा—पल भर को लगा आवाज़ ही नहीं निकलेगी। लेकिन जैसे ही सुर फूटा… पूरा हाल सन्नाटे में डूब गया।
उसकी आवाज़ में जादू था। काफी लोग उसे क्लास में इंताक्षरी में गाना गाते हुए सुन चुके थे, शायद इसी वजह से उसे स्टेज पर बुलाया गया था। गाना ख़त्म होते ही पूरा हाल तालियों से गूंज उठा।
वो हल्की मुस्कान के साथ झुकी और बैकस्टेज लौट आई।
जैसे ही वो पीछे आई, विपुल गुस्से में बोला— तुम महेश के कहने पर स्टेज पर क्यों गई?
“पर आज तो उसने कोई बदतमीज़ी नहीं की थी, एक रिक्वेस्ट की थी, इसलिए मैं चली गई।” सुमि बोली।
विपुल झुँझला गया— “तुम्हें मना करना चाहिए था। ” सुमि को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे विपुल उस पर अपना हक़ समझने लगा था। पर उसने तो यह हक़ उसे नहीं दिया था !
हाँ ! यह सच्चाई थी कि कॉलेज में उसे जब भी मदद की ज़रूरत पड़ी थी, विपुल हमेशा हाजिर था। पर सुमि ने उससे कभी मदद न मांगी थी।
सुमि ने उसकी ओर देखा लेकिन कुछ कहा नहीं। विपुल अभी भी उसे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा था। कशिश के पुकारने पर वो उधर चला गया। इधर कशिश और दूसरे साथी कहीं बाहर जा कर मस्ती करने के मूड में थे । इसलिए 10 – 12 स्टूडेंट्स का यह ग्रुप कॉलेज के बाहर चल पड़ा।
न जाने कैसे, प्रियांश और वीणा वाली बात सबको पता चल चुकी थी। उसी का फायदा उठाते हुए , कशिश ने मज़ाक बोली —
“अरे वाह! सुमि तो रिश्तों की जादूगर निकली। अरे यार तुम लोगों को कन्विंस करने में इतनी कुशल हो” , फिर विपुल की ओर इशारा करते हुए बोली, “तो विपुल और मेरी बात भी बनवा दो। ”
हालाँकि सब उम्मीद कर रहे थे कि विपुल ज़रूर कुछ बोलेगा। पर सबकी सोच के विपरीत, सबके साथ साथ विपुल भी सुमि के जबाब का इंतज़ार करने लगा।
हँसी-ठिठोली चल ही रही थी कि अचानक एक लड़का उनके ग्रुप के पास आया। और थोड़ा हिचकिचाते हुए एक ही साँस में बोल गया— “मेरा नाम समीर है… करोड़ीमल कॉलेज में पढ़ता हूँ। “ट्रुथ या डेअर” खेल में मुझे टास्क मिला है कि किसी लड़की को प्रपोज़ करूँ।”
इतना कहकर उसने अपने ग्रुप की ओर इशारा किया।
जैसे ही सबकी निगाह उधर गईं, सुमि का दिल जोर से धड़का — वो विकास और उसके दोस्त थे।
सफेद शर्ट और ब्लैक ट्राउज़र में खड़ा विकास हमेशा की तरह भीड़ में अलग चमक रहा था। नज़रें मिलते ही वो भी ठिठक गया—ये… यहाँ? पहले कभी नज़र ही न आती थी, और आजकल हर जगह नज़र आने लगी है। अपनी ही सोच पर वो हल्का मुस्कुरा उठा।
समीर ने लड़कियों की तरफ़ नज़र दौड़ाई और उम्मीद भरी आँखों से बोला—
“तो… कौन मदद करेगा मेरी?”
“सुमि, तुम ही इसकी मदद कर दो न ?” कशिश हँसी ।
विकास ने तुरंत वो बात सुन ली। शरारत भरी मुस्कान के साथ बोला—
“लड़की कोई भी चलेगी… बस उस लाल दुपट्टे वाली को छोड़कर।”
“अबे इतनी शर्तें रखनी हैं तो क्यों न खुद ही कर ले ये काम?” समीर बोला —
“और अगर इस लड़की ने ‘हाँ’ कह दी… तो पार्टी का पूरा बिल आज मैं दूँगा।”
सुमि की मासूमियत भरी शक्ल देखकर समीर मन ही मन अंदाजा लगा ही चुका था कि ये लड़की कभी “हाँ” कह ही नहीं सकती है।
“बस इतनी-सी बात? अब मान ले समीर, आज का बिल तेरा ही जाना है।” इतना कहकर विकास ने सुमि की तरफ़ कदम बढ़ाए।
हर नज़र उसी पर टिक चुकी थी। वो सुमि के करीब आया।
होंठों पर आधी मुस्कान, आँखों में चमक। हल्के से झुककर बोला—
“फिल्म चाँदनी देखी होगी न? बस वही डायलॉग… बोल, हाँ के ना?”
सुमि का दिल धड़क रहा था, जैसे कोई ढोल बज रहा हो।
उसे लगा, पूरा ग्रुप, पूरा आसमान, सब उसकी चुप्पी को सुन रहे हैं।
हाथ पसीने से भीग गए, गाल तपने लगे।
उसके भीतर जैसे दो आवाज़ें लड़ रही थीं—
“ना कह दो… वरना सबके सामने मज़ाक बन जाएगा।”
“पर… अगर न कह दिया तो विकास शर्त हार जाएगा।”
नज़रें झुकाकर वो ठिठकी रही।
समय मानो थम गया था।
उसके काँपते होंठों से निकला…
“हाँ…”
बस यही एक शब्द था—लेकिन सुनते ही आसपास शोर फट पड़ा।
सब स्तब्ध थे।
कशिश, सिमरन, और मेहुल की आँखों में हल्की जलन और हैरानी झलक रही थी, कुछ लोग हँसते हुए माथा पकड़ रहे थे। विपुल की नज़रें सुमि पर टिक गईं, चेहरे पर गुस्से और हैरानी के मिले-जुले भाव।
पर… पर विकास के दोस्तों के चेहरे पर उत्साह था ।
विकास की मुस्कान और गहरी हो चुकी थी।
सुमि के चेहरे पर लाली, आँखों में चमक, और मन में एक धीमी-सी पुकार—
काश, ये पल यहीं थम जाए…
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अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’
क्रमशः…