“बहू क्या कान भरे हैं तुमने मेरे बेटे के जो आज उसने मुझसे सवाल जबाव करने की हिम्मत की है ” कुसुम जी बौखलाई हुई मीता के पास आईं।जिस बेटे ने मेरे सामने निगाह उठा कर भी बात नहीं किया आज वो तुम्हारी वकालत करने को खड़ा हो गया है। कुसुम जी के इगो पर गहरी चोट लगी थी क्योंकि उन्होंने अपने दोनों बेटों को इस तरह बड़ा किया था कि उठो तो उठ गए,बैठो तो बैठ गए।
मीता जब से शादी करके आई थी उसे बहुत ही अजीब लगा था देख कर कि दोनों बेटों के मुंह में जुबान ही नहीं है ना ही समझ।बस मम्मी ने कह दिया तो पत्थर की लकीर हो गई। इसी बात का कुसुम जी भरपूर फायदा उठातीं भी थीं।
कुसुम जी पूरे घर की बागडोर अपने हाथों में ले रखीं थीं, यहां तक की क्या सामान आएगा, क्या खाना बनेगा यहां तक की आलमारी की चाभी भी। मजाल है कोई पत्ता उनके पूछे बैगर हिल जाए।कब किसको जाना है नहीं जाना है,उनकी इजाजत के बगैर घर से बाहर कदम नहीं रख सकता।बेटे भी छोटी-छोटी बातों के लिए मां से इजाजत लेते थे।
अब लेकिन उनका सिंहासन हिलता नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था की सत्ता ना छिन जाए।इसी वजह से वो आज बौखलाई हुई थी क्योंकि गौरव ने इतना ही कहा था कि,” मम्मी मैं और मीता कुछ दिनों के लिए घूमने जा रहें हैं।मेरा ऑफिस का टूर है तो मैंने मीता का भी टिकट करा लिया है।घर में रहकर बोर हो जाती है और हम लोग भी शादी के बाद कहीं गए नहीं हैं तो थोड़ा घूमना हो जाएगा।”
बड़ी हिम्मत जुटा कर गौरव ने धीरे से कुसुम जी से कहा था और बहुत बड़ा बवाल मच गया था।
” किससे पूछ कर टिकट करा लिया तुमने? ऑफिस के काम से जा रहे हो तो काम पर ध्यान देना चाहिए ना की घूमने टहलने पर। मैं भी तो नहीं गई हूं कितने दिनों से कही।मेरा ख्याल नहीं आया की मां को साथ ले जाएं।कल की आई लड़की तुम्हें इशारों पर नचाने लगी और तुम नाचने लगे। तुम को एक बार नहीं लगा की मां से पूछें। अगर ऐसे ही मनमानी चलती रही तो इस घर में सभी अपने – अपने फैसले लेने लग जाएंगे। मां की तो कोई इज्जत ही नहीं है।आज तुम ऐसा कर रहे हो कल तुम्हारा भाई भी ऐसा ही करेगा। बीवी का गुलाम बन कर ना रहो, वरना पूरी उम्र उंगलियों पर नचाएंगी।” कुसुम जी तो पूरी तरह से आपे से बाहर हो गई थी।
गौरव को लग रहा था कि आखिर इतनी बड़ी भी गलती क्या हो गई। शादी के बाद हनीमून पर भी मम्मी नहीं जानें दी थीं।उस समय भी अचानक ही बीमार पड़ गई थी। कहीं ऐसा तो नहीं मीता सच ही कह रही थी कि मम्मी नहीं चाहतीं की हम दोनों ज्यादा वक्त साथ रहें क्योंकि ऑफिस से आते अपने पास घंटों बिठा लेती हैं।हम दोनों को साथ में चाय तक नहीं पीने देती। कभी भी कहीं जाने का सोचो तो खुद पहले तैयार हो जाती हैं।जरा सा समय नहीं देती की पति पत्नी अपने लिए वक्त निकालें।
शादी के बाद मां को लगता है कि उसका बेटा बहू का ना होकर रह जाए। अगर उसके बस में हो गया और मां को भूल गया तो क्या होगा।शायद ये डर ज्यादातर मांओं को होती होगी और यही वजह है कि वो ऐसी हरकतें करने लग जातीं हैं जिससे बेटे – बहू को उनके साथ रहने में घूटन महसूस होने लगती है और बेवजह ही रिश्तों में मधुरता खत्म होने लग जाती है। अगर सभी रिश्तों को अपने स्थान पर रखा जाए तो ऐसी नौबत कभी नहीं आती है।एक औरत ही हमेशा दूसरी औरत के लिए मुश्किलें खड़ी करती है।गौरव को अब समझ में आने लगा था लेकिन अब ये समझ में नहीं आ रहा था कि मीता को साथ ले जाए की नहीं क्योंकि मीता बहुत खुश थी ये जानकर की कुछ दिनों के लिए दोनों एक साथ वक्त बिताएंगे। पति-पत्नी को भी तो वक्त चाहिए साथ में घूमने फिरने का और दूसरी तरफ मम्मी की बातें उसके कानों में गूंज रहीं थीं कि जैसे उसने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो। मम्मी से पूछ कर ही टिकट कराना चाहिए था वो मन ही मन सोच रहा था।
मीता भी सासू मां की बातों से हैरान थी कि उन्होंने उस पर ऐसा इलज़ाम क्यों लगाया।उसे तो पता भी नहीं था की गौरव ने टिकट कराया है और करा भी लिया तो गलत क्या है।
कुसुम जी सुबह से मुंह फुलाकर अनशन पर बैठ गईं थीं। मीता चाय लेकर गई तो बोल पड़ी कि,” मुझे नहीं पीना तुम्हारे हांथ की। जहां दिल में इज्जत ना हो बाहरी दिखावे का कोई मतलब नहीं होता है।”
मम्मी जी!” मुझे एक बात समझ में नहीं आई की आप मुझसे क्यों नाराज़ हैं? अगर गौरव ने सोचा की वो मुझे भी साथ ले जाएं तो क्या ग़लत है। मैं तो हनीमून पर भी नहीं जा पाई थी, चलिए कोई शिकायत की बात नहीं है। आपकी तबियत ठीक नहीं थी हमारी जिम्मेदारी थी की आपको अकेले नहीं छोड़ कर जाएं लेकिन अभी क्या वजह है।” मीता समझ गई थी सासू मां की चाल को।उसे पता था कि गौरव ज्यादा कुछ नहीं कह पाएंगे और मम्मी जी फिर से कामयाब हो जाएंगी अपनी चाल में। उसने मन ही मन सोच लिया था की वो तो जाएगी इस बार।
घर का माहौल नरम गरम चल रहा था। आखिर कैसे समस्या का समाधान होगा की मां भी खुश रहे और पत्नी भी।गौरव की समझ में ही नहीं आ रहा था। मां क्यों ऐसा बर्ताव कर रहीं हैं उसके मन में उथल-पुथल मची हुई थी।
मम्मी!” चाय पी लो और फालतू का ग़ुस्सा नहीं करो वरना बीपी बढ़ जाएगा आपका।सच बताओ क्या चाहती हो आप? गौरव ने पूछा और कुसुम जी जैसे बिफर पड़ी।
” सब लोग अपने-अपने मन के हो गए हो।जिसको जहां जाना है जाओ।मेरा क्या मेरी तो किस्मत ही फूटी है। इसी घर में सड़ूंगी अकेले” कुसुम जी ने इतना क्लेश कर दिया था की अब गौरव के मन का उत्साह ठंडा होने लगा था।
” ठीक है मम्मी….अब तो टिकट हो गया है फ्लाइट का।इस बार तो जाना ही पड़ेगा और गौतम ( छोटा भाई) आ जाएगा आपके साथ रहने के लिए।” गौरव ने अपनी बात कही और ऑफिस के लिए निकल गया।
सबकुछ इतनी जल्दी बदलेगा कुसुम जी ने सोचा नहीं था।उन्होंने इतने सालों से बच्चों को मुट्ठी में रखा था और एक झटके से ऐसे निकलना असहनीय सा हो रहा था।दूसरी तरफ गौरव ने साफ शब्दों में कह दिया था की वो मीता को साथ ले जा रहा है। कुसुम जी का इतना नाटक और गुस्सा कुछ काम नहीं आया था।
“बीवी का गुलाम हो गया है।जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो दूसरों का क्या कहूं।” कुसुम जी मीता को सुनाते हुए कमरे में चली गई थी।
मीता का मन भी खराब हो गया था। कितनी खुश थी वो की पहला मौका था उन दोनों के लिए ऐसे घूमने टहलने का और वक्त बिताने का। कोई भी काम जब खुशी – खुशी होता है तो उसका आंनद ही कुछ और होता है।अगर किसी भी काम की शुरुआत नाराजगी और खींचा तानी से होता है तो आधा मन ही मर जाता है।
एक सप्ताह के बाद दोनों चले गए थे। कुसुम जी का मूंह सूजा ही हुआ था। गौतम तो बेचारा क्या समझता लेकिन वो भइया – भाभी के लिए खुश था।
वक्त के साथ-साथ चीजें भी बदलतीं हैं और इंसान को भी बदलना जरूरी है। तभी परिवार में सब खुश रहेंगे वरना एक दूसरे के पीछे पड़ने से रिश्ते में टकराव भी आ जाती है और दरार भी। मां को भी समझना चाहिए की बेटा सिर्फ बेटा नहीं है वो किसी का पति भी है। जब उनका बेटा ही नहीं खुश रहेगा तो क्या मां खुश रहेगी। पता नहीं इस सवाल का जवाब तो वही मां जाने जिसकी सोच ऐसी होती है। रही बात बीवी का गुलाम होने की ये तो समझ के बाहर की बात है। पति-पत्नी को एक दूसरे की बात का भी सम्मान रखना चाहिए और भावनाओं का भी। तभी जीवन खुशहाल रहेगा। मां को भी समझना चाहिए की वो भी तो किसी की पत्नी थी और एक पत्नी की कुछ तो इच्छाएं होती हैं और वो पति ही पूरा कर सकता है।हर रिश्ते का अपना दायरा है और मर्यादा भी ये हर किसी को याद रखना चाहिए।
प्रतिमा श्रीवास्तव
नोएडा यूपी