काश ! अपने व्यवहार के लिए एक बार तो सोचा होता – चंचल : Moral Stories in Hindi

आज फिर से रमा पुरानी यादों में खुद को ना चाहते हुए भी ले गई । बहुत कोशिशें की थी उसने अपने रिश्तों को बचाने की लेकिन नहीं बचा सकी । नई नई दुल्हन बन के आई थी और बड़े अरमानों से गृह प्रवेश किया था ।

चारों तरफ खुशनुमा माहौल था ।

अवंतिका जी तो रह रह कर रमा की नजर उतार रही थी । उसकी बड़ी ननद सौम्या भी बड़ी खुश थी । और खुश हो भी क्यों न उसके इकलौते भाई रमन की शादी जो थी ।

सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था । शादी के बाद

कुछ दिन रहकर सौम्या भी अपनी ससुराल चली गई

और रमा रमन संग घूमने या फिर कह सकते हैं हनीमून के लिए चली गई । वापस आकर सभी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए ।

कुछ ही दिन बीते की घर में फिर से खुशियों की किलकारी गूजने वाली थी , जी हाँ रमा माँ

बनने वाली थी ।

लेकिन कहते हैं न कि ख़ुशियों को नजर लगते समय नहीं लगता । वही रमा के साथ हुआ । एक रात ऑफिस से घर लोटते समय रमन की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया

और वह उसी क्षण इस दुनिया को अलविदा कह गया ।

रमा का तो जैसे सब कुछ खतम हो गया था लेकिन जो सास और ननद नजरे उतारते नहीं थकते थे अचानक से बदल गए ।

रमन के मरने पर जो भी पैसा मिला सब उन्हीं लोगों ने रख लिया । अब ऐसी स्थिति में रमा खाने की

भी मोहताज हो गई । घरवाले अपसुगनी और अभागन जैसे शब्दों के व्यंग्य वाण छोड़ने से नहीं चूकते लेकिन रमा को तो अपने पेट में पल रहे रमन की आखिरी निशानी के लिए जीना ही था ।

कुछ दिनों बाद रमा ने एक

प्यारी सी बिटिया को जनम दिया । अब तो सास ननद और ज़्यादा तंग करने लगे क्योंकि कहीं न कहीं वो जानते थे

कि बालिग होने पर वो बेटी अपना हक़ ज़रूर माँगेगी । इसलिए चालाकी से सौम्या ने सारी जायदाद ख़ुद के

नाम करा ली । और रमा को घर से निकाल दिया । अब सौम्या अपनी माँ को संग तो रखती लेकिन नौकरानी बना के ।

उधर रमा ने एक स्कूल में नौकरी शुरू कर दी और बेटी का दाख़िला भी वहीं करा दिया । समय बीता

और रमा की बेटी पढ़ लिख कर एक डॉक्टर बन गई । सौम्या ने बीमार और बुजुर्ग होने पर अपनी माँ को घर से निकाल दिया ।

अचेत अवस्था में अवंतिका जी एक गाड़ी से टकराई और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया ।

रमा की बेटी भी उसी हॉस्पिटल में डॉ थी । जब रमा अपनी बेटी से मिलने आई तो उसकी नजर अपनी सास पर पड़ी ।

उनकी ऐसी स्थिति देख उसे दया आ गई । तभी डॉ रोमा अवंतिका जी को देखने आई तो उन्हें पता

लगा कि वो उसकी दादी हैं । खूब रोए मिलकर तीनों । और रमा की आँखो में बस एक ही सवाल की काश आपने मेरे साथ ऐसा व्यवहार न किया होता ।

   चंचल

  दुबई

#मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगे कभी सपने में भी नहीं सोचा था

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