रिटर्न गिफ़्ट – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

नमिता की पोती गार्गी का चौथा जन्मदिन था । नमिता और उनकी बहू आरती इस बार के जन्मदिन को लेकर बहुत उत्सुक थी क्योंकि गार्गी का स्कूल में मनाया जाने वाला यह पहला जन्मदिन था। आरती को तो अपने क्लीनिक और मरीज़ों से कम ही समय मिलता था पर बीच-बीच में नमिता उसे याद दिला देती –

आरती , तुम दोनों की क्या प्लानिंग है , पहले ही बता दो अगर मैंने एक  बार फ़ाइनल कर दिया तो मुझे मत कहना ।

कुछ नया आइडिया आता ही नहीं मम्मी!  ऐसा करेंगे कोई पार्टी हॉल बुक कर लेते हैं । ना तो मुझे टाईम मिल रहा है और ना ही अनुज को । पापा की तबियत भी इन दिनों ठीक नहीं चल रही । फिर सारी ज़िम्मेदारी आप पर आ जाएगी । ठीक है ना ?

आरती ने अपनी बात पूरी की  और तुरंत एक हाथ में सैंडविच तथा दूसरे में गाड़ी की चाबी उठाकर चल पड़ी- 

बॉय मम्मी ! शाम को मिलते हैं ।

नमिता मन ही मन बड़बड़ाई – खाना खाने का तो तुम्हारे पास समय नहीं, प्लानिंग क्या ख़ाक करोगे । अरे , होटल में जाकर खाना खिला देना , केक कटवा देना , ये तो सब करते हैं । मैं तो कुछ ख़ास करना चाहती हूँ । चलो इनसे ही बात करती हूँ ।

नमिता ने घर का काम समाप्त किया । पति नरेश जी को कई दिनों से खाँसी- जुकाम चल रहा था । वे अदरक की चाय बनाकर लाई और उन्हें देते हुए बोली- अब कैसी हालत है ? मौसम बदल रहा है ना , इसलिए सर्दी पकड़ ली । 

हाँ, असल में मैंने थोड़ी लापरवाही कर दी थी । वो बाज़ार से आकर  पसीने में उस दिन फ्रिज का पानी पी लिया बस उसी दिन से गला ख़राब है । तुमने तो मना किया पर मुझे लगा कि थोड़ा सा ही तो मिलाया है । 

वैसे दवाई ले रहा हूँ, चलो एक – दो दिन में ठीक हो जाएगा । गर्म चाय से बड़ी राहत मिलती है । तुम कुछ कह रही थी, बोलो ।

मैं ये कह रही थी कि गार्गी का जन्मदिन आ रहा है । हमें ही तैयारियाँ करनी है । बच्चों को तो मरीज़ों से फ़ुरसत नहीं ।

अरे , ऐसी बात नहीं है । भला अपने बच्चे के लिए किसे फ़ुरसत नहीं होती । दरअसल अनुज और आरती जानते हैं कि हमारे रहते हुए उन्हें सोचने की क्या ज़रूरत है । एक तो वे दोनों हमें मान देते हैं , ऊपर से शिकायत करती हो ।

अच्छा- अच्छा । ज़्यादा हिमायती ना बनो ।

नमिता जानती थी कि घर के सारे छोटे- बड़े फ़ैसले वही लेती है । ईश्वर की कृपा से पति और बेटे- बहू ने उसके लिए निर्णय में कभी उफ़ तक नहीं की । मन ही मन गौरवान्वित नमिता ने कहा – गार्गी के आने का समय हो गया है । थोड़ी देर बरामदे में बैठ लो , पूरा दिन बिस्तर पर लेटे- लेटे भी बीमारी का अहसास ज़्यादा होता है । अपना मॉस्क लगा लेना । दूर से ही गार्गी से बात करना , जी बहल जाएगा । 

यह कहकर नमिता पोती गार्गी को बस स्कूल के छोड़ने के स्थान पर चली गई ।

उनके जाने के बाद नरेश जी ने गर्म पानी से अपने मुँह- हाथ धोए और मॉस्क लगाकर बरामदे में पड़ी आराम- कुर्सी पर बैठ गए । 

तभी दूर से चहकती गार्गी की आवाज़ कानों में सुनाई पड़ी- दादू, मैं आ गई । आज बताऊँ, क्या हुआ ।

अपनी ओर आते देखकर नरेश जी बोले – अरे , बेटा दूर से .. दादू को जुकाम है ना । तुम्हारी दादी कहाँ है ?

तभी नमिता अंदर आते हुए बोली- बस से उतरते ही बैग उतरवा के भाग पड़ी घर की तरफ़, मैं तो चिल्लाती ही रह गई कि धीरे चल , गिर पड़ेगी । पर कहाँ सुनती है । 

गार्गी न जाने क्या-क्या बातें बताती गई और नमिता उसके कपड़े बदलकर हाथ- पैर धुलवाकर बरामदे में पड़ी कुर्सी पर बैठने के लिए कहकर रसोई में चली गई ।

दादू ! अभी मुझे दूर से बात करनी है । दादी ने कहा है कि फ़ाइव डेजस के बाद आप ठीक हो जाएँगे । आज मेरी फ्रैंड रोमी का बर्थडे था । मेरा भी बर्थडे है ना , मैं भी अपनी मैम के लिए बड़ा सा चॉकलेट लेकर जाऊँगी । रोमी के मॉम- डैड आए थे । सबको चॉकलेट के साथ नई पेंसिल भी मिली । मुझे येलो कलर की पेंसिल मिली है ।

नमिता चुपचाप गार्गी की बातें सुनती रही फिर उसके लिए लाए दाल- चावल खिलाते हुए पूछा –

गार्गी, रोमी  ने तुम्हें घर भी बुलाया है क्या ?

पर गार्गी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया । नमिता समझ गई कि अभी इसे फ्रैंड्स को घर बुलाने का नहीं पता मतलब रोमी की ओर से ऐसा कोई निमंत्रण नहीं था ।

चलो ये तो अच्छा है कि उस बच्चे के माँ- बाप ने घर आने के लिए नहीं कहा वरना मुसीबत हो जाती । वैसे भी इतने छोटे बच्चों को पहले छोड़कर आओ फिर लेने जाओ , चिंता अलग कि कहीं चोट ना लगवा लें ।

नमिता ने बिना किसी का नाम लिए अपने पति से कहा ।उसे पता था कि  अपना या अपनी सहेली का नाम सुनते ही गार्गी सौ सवाल करेगी । 

दादी के हाथ से खाना खाकर गार्गी उनकी गोद में सो गई । 

नमिता , गार्गी को अंदर लिटा दो और तुम भी थोड़ा आराम कर लो , मैं यहीं बैठकर किताब पढ़ता हूँ ।

हाँ, जा रही हूँ । अब पहले जितना काम नहीं होता । थक जाती हूँ।

नमिता गार्गी के साथ ही लेट गई । काफ़ी देर लेटने के बाद भी नींद नहीं आई तो बैठ गई । मन ही मन गार्गी के जन्मदिन को लेकर आइडियाज़ आ- जा रहे थे ।

अचानक वे उठी और पति के पास आकर बोली – सुनिए , आपको कंम्पयूटर पर ऑनलाइन इंविटेशन कार्ड बनाना आता है?

तुम काम बताओ, आजकल सब कुछ गूगल पर मिल जाता है । नहीं आता तो पढ़कर सीख लेंगे ।

प्लीज़ पढ़ लीजिए । गार्गी के जन्मदिन का कार्ड बनवाऊँगी । जल्दी नहीं बस जब आपकी तबियत ठीक हो तो देख लेना ।

सोई नहीं तुम , इसके बारे में ही सोचती रही ।

हाँ, जब अनुज और रीना छोटे थे तब ऐसे ही सोचती थी । कितने सालों के बाद फिर वैसी ही ख़ुशी महसूस हो रही है । मैंने सब सोच लिया ,  बस आपकी तबियत थोड़ी ठीक हो जाए तो तैयारी शुरू कर दूँगी ।

हफ़्ते के भीतर ही नरेश जी चुस्त दुरुस्त हो गए और दोनों अपनी पोती के जन्मदिन की तैयारियों में व्यस्त हो गए । 

आरती और अनुज ने घर में होने वाली हलचल को देखकर अंदाज़ा लगा लिया कि मम्मी ने मोर्चा सँभाल लिया है ।

गार्गी के जन्मदिन से दस दिन पहले ही नमिता और नरेश जी पार्टी के लिए एक हॉल भी बुक कर आए । वे जानते थे कि बेटा- बहू भले ही कुछ न कहें पर अपने मिलने- जुलने वालों के साथ एक छोटी सी गैट टू गैदर अवश्य चाहते हैं । 

अनुज- आरती , ये कुछ सामान की लिस्ट तुम्हारे लिए है । तीन- चार दिन पहले नमिता ने कहा । 

ठीक है मम्मी, हम शाम को लेते आएँगे ।

उसी दिन रात के खाने के बाद नमिता और नरेश जी ने जन्मदिन की सारी योजना बेटे- बहू को समझाते हुए कहा- 

सुबह आठ बजे हवन रखा है । अपने जो रिश्तेदार इसी शहर में हैं उन्हें बुला लेंगे । एक तुम्हारे ताऊजी का परिवार है और एक मेरा भांजा है । रीना से बात की थी उसके स्कूल में पेपर चलेंगे तो छुट्टी नहीं मिल रही । दो- चार पास पड़ोस के हो जाएँगे । 

उसके बाद हम चारों मिलकर गार्गी के स्कूल जाएँगे । उसकी क्लास में तीस बच्चे हैं , तीस पौधे लेकर नर्सरी वाला पहुँच जाएगा। क्लास टीचर से बात कर ली है । हर एक बच्चे को गिफ़्ट के रूप में पौधा देंगे और वही माली हर बच्चे से लगवा भी देगा । आज- कल में जाकर वो गड्ढे बना आएगा । प्रिंसिपल मैडम ने स्कूल माली को भी सहायता करने के लिए कह दिया है ।

गार्गी चॉकलेट देने की ज़िद कर रही थी तो मैंने उसे समझा दिया कि हम सबसे अलग गिफ़्ट देंगे । बच्चों को मनाना कुछ मुश्किल नहीं होता । पूरी क्लास के लिए और सब टीचर्स के लिए  छोटी-छोटी फ्रुट बास्केट बनवा दी है । 

दोपहर के खाने का इंतज़ाम सब मिल बाँटकर घर में ही कर लेंगे । उसके बाद हवन पर आए लोग शाम की पार्टी तक रुकना चाहेंगे, रुक जाएँगे, नहीं तो शाम की चाय पीकर चले जाएँगे ।

वैसे मैंने खोलकर कह दिया कि पार्टी तो बस अनुज और आरती के जानने वालों के लिए बाहर रखी है । 

हाँ, तुम्हारे ताऊजी की बातों से तो ऐसा लगा कि वे दोपहर के खाने के बाद चले ही जाएँगे । और कोई एक आध रुकेगा तो रुक जाए। दस – पंद्रह का एकस्ट्रा हो भी गया तो कोई बात नहीं ।

आरती और अनुज मंद मंद मुस्कुराते मम्मी- पापा की बात सुन रहे थे । सचमुच मम्मी ने कितना अलग सोचा है, उनका तो इस तरफ़ ख़्याल भी नहीं गया ।

कंमप्यूटर पर इंविटेशन कार्ड दिखाते हुए नरेश जी बोले- अरे , मेरी भी तो कलाकारी देखो , मैं कहाँ तुम्हारी मम्मी से कम हूँ ।

हरियाली में ही ख़ुशहाली है , हरियाली में ही ज़िंदगानी है ।

क्यों ना नव आशीषों में, हरियाली को अपनाएँ ?

आओ मिलकर बिटिया गार्गी का जन्मदिवस मनाएँ ।

पापा ! ये आपका आइडिया तो नहीं लगता ? अनुज मुस्कुराते हुए बोला ।

आइडिया किसी का भी हो , चित्र पर तो मैंने उतारा है ।

तभी नरेश जी ने नीचे लिखी पंक्तियों को ऊपर करते हुए दिखाया-

सभी से हाथ जोड़कर निवेदन है कि हमारी पोती के लिए केवल अपना हरा-भरा आशीर्वाद  उपहार स्वरूप लाएँ। 

वाह ! ऐसा अनोखा आइडिया केवल मेरी मम्मी का हो सकता है । अनुज गदगद हो उठा । आरती  ने भी नमिता की सोच की दाद दी।

गार्गी के जन्मदिन के दिन सब कुछ वैसे ही हुआ जैसे सोचा गया था सिवाय एक चीज़ के , जिसे नमिता और नरेश जी ने अनुज- आरती से भी छिपाकर रखा था ।

पार्टी हॉल की निकासी द्वार पर टेबल पर सजे तक़रीबन सौ छोटे- छोटे जूट की थैली और मिट्टी के कुल्हड़ में रखे पौधे जो मेहमानों को दिए जाने थे , सबका ध्यान आकर्षित कर रहे थे । 

पार्टी में उपस्थित हर व्यक्ति उपहार स्वरूप मिलने वाले रिटर्न गिफ़्ट की भूरी- भूरी प्रशंसा कर रहा था । 

करुणा मलिक

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