धनलोभ – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“ईश्वर के लिए #वक़्त से डरो बेटा ! तुम्हारी  दो बेटियाँ हैं वैसे ही तुम्हारी ये बहनें हैं । आज पापा जिंदा होते तो ये दिन न मुझे देखने पड़ते न ही मुझे तुम्हारे आगे घुटने टेकने पड़ते “।  ज्योति ! तुम कुछ बोलो न बहु, समझाओ न विवेक को ,तुम भी तो एक बेटी … Read more

कल कल बहती पाताल गंगा – Moral Stories in Hindi

सुमन तेरा चेहरा बता रहा है आज फिर तुम परेशान हो ,फिर से बेटे बहू में झगड़ा हुआ है क्या! सुमन ने एक लंबी सांस लेकर कहा -अब तो यह रोज की कहानी हो गई है, समझ में नहीं आता- दोनों इतने बड़े इंजीनियर हैं !बड़ी कंपनी में काम करते हैं! बढ़िया कमाते हैं! फिर … Read more

वसीयत – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

वृंदा को नए शहर के इस मुहल्ले में आए दो महीने होने को आए, पंरतु अभी तक किसी से भी उसकी ठीक से जान पहचान नहीं हुई थी। कुछ समय तो वो भी व्यस्त रही, बच्चों की स्कूल कालिज की एडमिशन और घर सैट करने में। पति की बैंक की नौकरी के कारण हर तीन … Read more

हर आंसु का हिसाब हुआ पूरा – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“मां, आप फिर रो रही हैं?” बड़ी बेटी ने आधी रात को जागकर मां को तकिए में मुंह छिपाकर सिसकते देखा। राधा ने सिर फेरते हुए कहा, “नहीं बेटा, ये तो बस थकान है।” “मां, अब हम बच्चे नहीं हैं, आपकी आंखों के हर आंसू का मतलब समझते हैं।” राधा ने उन्हें सीने से लगा … Read more

मां की कीमत – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेवकूफ औरत.. मन में तो आता है अभी तेरे गालों पर दो थप्पड़ लगा दूं किंतु मेरी मां ने मुझे किसी औरत पर हाथ उठाने के संस्कार भी तो नहीं दिए किंतु तेरी जैसी घटिया औरत अगर घर में हो तो एक बार तो भगवान भी शर्मा जाए, तू एक बेटे से अपनी मां को  … Read more

मैं तुम्हारा बाप हूँ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 “ बेटा नवीन, अगर हैं तो पाचं सौ रूपए देता जा, तेरी मां की शूगर की दवाई खत्म हो गई है,दवाई खाए बगैर वो खाना नहीं खा सकती”।      अभी पिछले हफ्ते ही तो दिए थे एक हजार रूपए, अब कहां से लाऊं इतने पैसे, दुकान तो घाटे में जा रही है, यह कह कर नवीन … Read more

आंचल पसारना – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

सरिता जी रसोई से निकलकर ड्राइंगरूम की खिड़की के पास आकर बैठ गईं। हाथ में चाय की प्याली थी, लेकिन नज़र कहीं दूर ठहरी थी। उनके पति, श्याम बाबू, आज अपना बासठवां जन्मदिन मना रहे थे। घर शांत था। मोमबत्तियाँ, मिठाई की थाली, और केक — सब कुछ था… सिवाय बच्चों की आवाज़ के। नीरज … Read more

सावन के झूलें – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

सिद्धार्थ जब भी घर आते तो मेघा अजीब सी परेशान हो जाती । कुछ अस्त व्यस्त सी बड़ी अनमनी सी । पानी का गिलास सिद्धार्थ के बजाए पापा को पकड़ाने चली जाती और किताब काॅपी किचन में रख देती और  जाकर कोने में खड़ी हो जाती । फिर उसके पापा आवाज़ लगाते तब आकर बैठती … Read more

वक्त से डरो – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

देवकी जी का बड़े बेटे सूरज पर  कुछ ज्यादा ही स्नेह बरसता था। वह जब भी कुछ मीठा बनाती, तो सूरज के पसंद का ही मीठा बनाती थी ।यहां तक की कोई खाने की वस्तु भी होती, तो अपने बड़े बेटे सूरज को थोड़ा ज्यादा देती ।  अक्सर शर्मा जी अपनी पत्नी देवकी से बोल … Read more

वक्त से डरो – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

बात करोना काल की थी। कोरोना अपने उग्र रूप में था। हॉस्पिटलों में जगह ही नहीं मिल रही थी। वहीं हॉस्पिटल के बाहर खड़ा राजन दिखने में तो शांत लग रहा था लेकिन अंदर ही अंदर उसे बहुत कुछ कचोट रहा था। उसके इकलौते बेटे पवन को आज सुबह से ही सांस लेने में तकलीफ … Read more

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