कन्यादान – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

ओ. रामपति बहन, सभी दो दिनों के लिए हरिद्वार जा रहे हैं तू भी चल! नहीं बहन.. एक बार बेटी का कन्यादान कर दूं फिर गंगा नहाऊं! जवान बेटी को अकेली कैसे छोड़ कर जाऊं? एक बार बेटी ससुराल चल जाए फिर मेरी जिम्मेदारी खत्म! बेटी की चिंता अकेली मां के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी … Read more

गंगा नहाना जरूरी तो नहीं… – मंजू तिवारी : Moral Stories in Hindi

 हम दोनों बहनों की शादी नहीं हुई थी तब मेरे पापा से लोग बातों बातों में ही कहते रहते थे दोनों बेटियों की शादी करने के बाद गंगा नहाना… एक बार की बात है ।कि मैं वहीं खड़ी थी और मेरे पापा ताई जी से बात कर रहे थे ताई  जी बेटियों की शादी के … Read more

खानदान – मंजू ओमर: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : सेठ दीनानाथ के आंखों से नींद कोसों दूर थी सोंचते सोंचते वे अपने जीवन में लिए गए फैसलों पर शर्मिंदा हो रहे थे । दीनानाथ और उनकी पत्नी पांच बेटियों और दो बेटों का भरा पूरा परिवार था। बेटे दोनों बड़े थे और बेटियां बेटों से छोटी थी । बेटों … Read more

समय समय की बात है…. – रश्मि प्रकाश : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “ लो फिर से आ गई महारानी अपने दोनों बच्चों को लेकर…. अब इनके लिए भी खाना बनाओ… देखो जी कहे देती हूँ… आपको आदत है हर दिन पराठे खाने की तो आपको तो दे दूँगी पर उन दोनो के लिए नहीं बनाने वाली … तो बस भूल से भी … Read more

पहले क्यों नहीं बताया (भाग 1) – रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मोबाइल पर रिंग होते अनुज जल्दी से मोबाइल लेकर बालकनी में जाकर धीरे-धीरे बातें करने लगा। लगभग महीने भर से ये सिलसिला चल रहा था… पत्नी मनस्वी ये सब देख कर अनुज पर अब शक करने लगी थी… बहुत बार वो कोशिश करती देखे तो सही किसका फ़ोन आ रहा … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( अंतिम भाग ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“टिंग, टोंग”, बातें करते करते विनया की ऑंख लगी ही थी कि मुख्य द्वार की घंटी किसी के आगमन की सूचना देने हेतु मुखर हो उठी। विनया हड़बड़ा कर उठ बैठी, “ओह हो, चाय का समय हो गया और मेरी ऑंख लग गई। दरवाजे पर कौन है।” घंटी की आवाज पर संपदा को उठकर दौड़ते … Read more

“भेद नजर का”(भाग 2 ) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

शहर के एक महंगे होटल में लड़की देखने की व्यवस्था लड़की वाले ने की थी। लड़की तो समान्य थी। नयन नक्स भी उतने तीखे नहीं थे   लेकिन उनके  खातिर दारी और तैयारियों के चकाचौंध में सभी ने लड़की पसंद कर लिया। लड़की के पिता ने बिन मांगे ही बिदाई में उपहारों की ढेर लगा … Read more

“भेद नजर का”(भाग 1) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

सीमा सुबह से तैयारियां कर रही थी। सबके लिए  नाश्ते बनाने के बाद उसे खुद के लिए तैयार होना था। काम इतना बढ़ गया था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सासु माँ बार- बार किचन में आकर बोल रही थीं “-  बहू जल्दी करो,जल्दी से काम निपटा लो और तैयार … Read more

गर्व- संगीता श्रीवास्तव: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “नहीं मां! तुम आज काम पर नहीं जाओगी। पिछले कई दिनों से तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं और तुम्हें काम पर जाना पड़ रहा है। अभी तुम आराम करो जब ठीक हो जाओगी तब जाना। मैं चली जाती हूं न! जब तक तुम ठीक नहीं हो जाती मैं जाऊंगी बर्तन -चौका … Read more

पहले क्यों नहीं बताया (भाग 2) – रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “ तभी फिर से अनुज के मोबाइल पर उसी नम्बर से फ़ोन आया… अनुज जल्दी से कमरे से निकल कर बात करने लगा…तभी मनस्वी उठकर उसके पीछे पीछे गई और फोन छिन कर बोली ,” कौन हो तुम … मेरे पति से ऐसे चोरी छिपे बात क्यों करती हो… पता … Read more

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