बुआ जी का हिस्सा – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दादा जी गुजर गए थे और वसीयत लिखी है की नहीं किसी को पता नहीं था। घर के बाहर अंतिम दर्शन करने वालों की भीड़ इकट्ठी थी लेकिन उनके चारों बेटे अंदर जमीन जायदाद के लिए झगड़ रहे थे। “पिता जी ने कभी कुछ बताया ही नहीं की किसको क्या – क्या मिलेगा? भइया क्या … Read more

बेटी के माँ-बाप पराए क्यों? – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

श्रेया ऑफिस मे अपने प्रजेटेंशन की तैयारी कर रही थी।वह नहीं चाहती थी कि उसके काम मे किसी तरह का व्यवधान पड़े, इसलिए उसने अपना मोबाईल भी बंद कर के रखा था। कल उसका प्रजेटेंशन है और अभी तक उसका काम पूरा नहीं हो पाया है । वह भी बेचारी क्या करती वर्किंग वीमेन की … Read more

पत्थर दिल – मधू वशिष्ट : Moral Stories in Hindi

मां आप इतनी पत्थरदिल और  कठोर कैसे हो सकती हो? रिवान आपका पोता है और इस वक्त उसको अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। आपको पता तो है गिन्नी और मैं कितने व्यस्त रहते हैं। रिवान के लिए हमने ₹30000 महीना देकर जो आया रखी थी कल जब मैं जल्दी घर आया तो मैंने देखा रिवान … Read more

ऑंसू पीकर रह जाना – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

कुछ दिनों पहले डॉक्टर निभा के पिता का स्वर्गवास हो गया।क्रिया-क्रम समाप्त हो चुका है। उसने अपने  छोटे भाई   और दोनों बहनों को नम ऑंखों से विदा किया। उनलोगों के जाने के बाद अतीत की डगर पर चलते-चलते ऑंखों के सामने ज़िन्दगी की हर घटना किसी फिल्म की तरह प्रतिबिंबित होने लगी थी। घर … Read more

पत्थर दिल – के आर अमित : Moral Stories in Hindi

कमरे में फैली हुई दारू और सिगरेट की वद्द्बु जिससे उबकाई आ रही थी। एक चारपाई के बराबर का कमरा उसपर एक टूटा फूटा से गद्दा जिसमे न जाने कितने मर्दों के पसीने की बदबू समाई हुई थी। कमरे में घुसने के बाद दस पन्द्रह मिनट तो उस माहौल में खुद को ढालने में लग … Read more

पत्थर दिल – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

आनंदी सुबह उठते ही सबसे पहले घर के पिछवाड़े में पहुँची और पिंजरे में बन्द तोते को पिंजरा खोलकर आज़ाद कर दिया……. तोता थोड़ी देर तक आँगन में इधर उधर भटकता रहा …… जैसे पंखों में दम भर रहा हो…. फिर अपनी पूरी शक्ति लगाकर वहाँ से उड़कर आसमान की ओर चला गया । आनंदी … Read more

कभी कभी पत्थर दिल का बनना पड़ता है – प्रतिभा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

“देखिए मां जी अगर आपको दूध, चाय पीना है तो दूध तो आपको ही लाना पड़ेगा, ये लीजिए डिब्बा और ले आइए….वरना फिर मत कहना कि मुझे चाय नहीं दी…और हां आप जो कहती रहती हैं न कि रात को दूध आता तो है….तो मैं आपको बता दूं कि वो दूध रात को ही खत्म … Read more

पत्थर दिल – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

लोग कैसे ”पत्थर दिल” हो गए हैं ,कहते हैं -‘भगवान पत्थर के हैं किन्तु तब भी उनसे अपेक्षा रखते हैं ,उम्मीद रखते हैं, कि वो पत्थर का भगवान अवश्य ही उनकी परेशानी सुनेगा , समझेगा ,उसकी विनती सुनकर उन पर कृपा करेगा जबकि स्वयं इंसान बेरहम हो गया है। उसके’ दिल’ नहीं रह गया है … Read more

मत भूलो, कि ये भी मेरा परिवार है। – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

सिया का जब से विवाह हुआ है ,तबसे ससुराल में आकर, अपनी घर -गृहस्थी में रम गयी। अपने मायके में उसका जाना कम ही हो पाता। चलते समय माँ ने कहा था -”ससुराल जा रही हो ,वहां अच्छे से रहना ,कभी लड़कर यहाँ मत आना ,अब वही परिवार तुम्हारा अपना है।”  माँ !ये क्या कह … Read more

घर की मालकिन मैं हूं – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बहू तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई कि,” तुम घर के निर्णय में अपनी राय दे रही हो। मैं जब तक जिंदा हूं, तुम मालकिन बनने के सपने देखना भी छोड़ दो। सास बनने की कोशिश नहीं करो तुम।अपने काम से काम का ही मतलब रखा करो” शोभा जी ने रत्ना को बहुत ही भला बुरा कहा … Read more

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