पत्थर दिल – खुशी : Moral Stories in Hindi

राघव एक जिंदा दिल लड़का था जो सोते जागते दूसरों की मदद को तैयार रहता सब कहते इसका दिल सोने का है सबकी मदद करता है।घर में दो भाई और मां थे। बड़ा भाई विनय खेती करता था और छोटा भाई मेकेनिक था। उसी को काम करता देख राघव कहता मै भी बड़ी बड़ी गाड़ियों … Read more

“पत्थर दिल” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

गीतू एकदम पत्थर दिल बन गई थी आजकल ।जबसे पति चले गए तब से न किसी से कुछ बोलती न किसी से मिलती।बस अपने घर में अपने काम से मतलब रखती ।गीता नाम था उसका लेकिन गौरव हमेशा प्यार से गीतू बुलाने लगे थे।उसे भी गीतू सुनना अच्छा लगता ।सोलह साल की रही होगी जब … Read more

“जब पत्थर दिल पिघलने लगा” – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

शहर की भीड़भाड़ में एक आलीशान अपार्टमेंट था — ऊँची इमारतें, चमकते फ्लैट, और भीतर रहने वाले वो लोग जो अपनी-अपनी दुनिया में उलझे थे। इसी अपार्टमेंट की दसवीं मंज़िल पर रहते थे संजय वर्मा, एक रिटायर्ड बैंक अफसर, उम्र लगभग 70 साल। सफेद बाल, चेहरे पर समय की लकीरें, और आंखों में गहराती तन्हाई। … Read more

पत्थर दिल – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

प्रज्ञा अपनी सहेली से मिलकर घर लौटी तो उसने देखा कि उसकी मम्मी उसकी भाभी पर ताने कस रही हैं। मम्मी कह रही थीं, इनके तो नखरे ही खत्म नहीं होते। एक हमारा जमाना था, जब नौ महीने पेट में बच्चा लिए रहते थे तब भी, घर का सारा काम करते थे। दस लोगों का … Read more

गुरु गोविन्द दोउ खड़े – सरिता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुबह और शाम की भागदौड़ में बस दोपहर का ही समय थोड़ा राहत देने वाला होता है- जब आधे अधूरे कामों को पूरा करने और कुछ नया प्लान करने, साथ ही साथ थोड़ी थकान मिटाने को एकान्त मिलता है। इस एकान्त का भरपूर लाभ उठाती हूँ मैं। आज भी कुछ हिसाब-किताब जोड़ रही थी तभी … Read more

कुछ पाना , कुछ खोना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ध्रुव, उठ जाओ बेटा, वरना बहुत देर हो जाएगी”, आनंद ने बेटे का कंबल हटाते हुए कहा। “ ओह पापा, बस थोड़ी देर और, बहुत नींद आ रही है” ध्रुव ने मचलते हुए कहा।   नहीं , अब और नहीं, और आनंद ने उसे उठाकर बिठाते हुए कहा।पहले ही पांच बजकर दस मिंट हो गए है। … Read more

पत्थर दिल – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मेरी शादी को दो साल हो चुके थे। मैं इस घर की बहू बनकर आई थी । मैं एक साधारण, कामकाजी, पढ़ी-लिखी लड़की। सब कुछ ठीक चल रहा था। घर में सास-ससुर, जेठ-जेठानी, ननद और मेरे पति रोहित थे। सबके अपने-अपने तौर-तरीके थे, लेकिन मैंने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। सुबह जल्दी उठती, … Read more

पति-पत्नी: एक प्यारा रिश्ता या सुंदरता का बंधन – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

एक संयुक्त परिवार, जो दिल्ली के एक पॉश इलाके में स्थित था ।  एक अच्छा-खासा, खाता-पीता, संस्कारी परिवार जहाँ आपसी समझदारी और प्रेम से जीवन की गाड़ी सरपट दौड़ती थी। घर में माता-पिता थे, बड़े भाई-भाभी और उनके दो चुलबुले बच्चे थे, और सबसे छोटा था अमन। रौनक ऐसी कि घर में हर समय त्योहार … Read more

दामाद पराया नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

“देख सुमि,दो और भी बहुएं हैं उस घर में।बड़ी बहू ने तो स्कूल में नौकरी करके अपनी अलग गृहस्थी बसा ली।ले गई ना पति को अपने साथ।बस अनाज में हिस्सा लेने आ जाती है।छोटी बहू तो अभी भी छोटी ही बनी हुई है। कभी बड़ी होगी भी नहीं।बस रसोई में आकर जिज्जी-जिज्जी कर देती है,और … Read more

बुआ जी का हिस्सा – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दादा जी गुजर गए थे और वसीयत लिखी है की नहीं किसी को पता नहीं था। घर के बाहर अंतिम दर्शन करने वालों की भीड़ इकट्ठी थी लेकिन उनके चारों बेटे अंदर जमीन जायदाद के लिए झगड़ रहे थे। “पिता जी ने कभी कुछ बताया ही नहीं की किसको क्या – क्या मिलेगा? भइया क्या … Read more

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