बहू तुम बड़ी पत्थर दिल हो – अर्चना खण्डेलवाल
सुबह -सुबह मेघना जी उठकर रसोई में गई, तो उन्हें वहां कुछ समझ नहीं आया, फिर भी उन्होंने दो -चार रेक खोलकर चाय पत्ती, शक्कर और चाय का बर्तन ढूंढ ही लिया, गांव में तो खुली रसोई थी, सब कुछ सामने ही मिल जाता था, पर ये शहरों की रसोई हर चीज छुपी होती है, … Read more