संवेदनहीन दुनिया – संजय मृदुल

#जादुई_दुनिया आरव नींद में कसमसा रहा है, एक साई फाई फ़िल्म देखी है सोने के पहले, बंद आंखों में कुछ तैर रहा है। इक्कीसवीं सदी का पचासवाँ दशक, भारत का नक्शा बदल गया है। समुद्र के किनारे के अधिकांश शहर सागर तल में जा मिले हैं। अधिकांश धरती रेगिस्तान में बदल गयी है। लोग पहाड़ों … Read more

शुक्रिया अनजान दोस्त – संगीता अग्रवाल

#जादुई_दुनिया ” आज तो काफी रात हो गई निकलने में पता नही इतनी बारिश में इस तरफ कोई ऑटो भी मिलेगा या नहीं !” तृप्ति ऑफिस से निकलते हुए खुद से बोली। उसने अपने बैग से छाता निकाला साथ ही मोबाइल भी जिससे घर में फोन करके पति मनन से बोल सके। पर ये क्या … Read more

तुम कहां चली गई??? – रंजीता अवस्थी

रीना तुम कहां चली गई? अब इन बच्चों को मैं अकेले कैसे पाल पाऊंगा? ये बच्चे किसके सहारे बड़े होंगे? मयंक दहाड़े मार मार कर रो रहा था और उसके बच्चे ये समझ ही नहीं पा रहे थे कि मां कहां चली गई और पापा इतना रो क्यों रहे हैं? शुभम रोते हुए बोला…मम्मी अभी … Read more

तुलसीदल – नीरजा कृष्णा

आज दीपू की गुलाबजामुन खाने की बहुत इच्छा हो रही थी। मन तो दादा जी का भी बहुत था पर संकोचवश चुप थे। शुगर की बीमारी के कारण मीठे पर बहुत कंट्रोल रहता था। आज दीपू के आग्रह पर दादी जी ने चौके में कमान कस ली थी।  थोड़ी देर में पूजाघर में घंटी बजने … Read more

मुझे जन्म देने वाली मेरी माँ – के कामेश्वरी

सुलोचना और अशोक दोनों ही घर में रहते थे । अशोक बैंक में मैनेजर थे ।एक साल पहले ही रिटायर हुए थे । दो बच्चे थे लड़का पंकज विदेश में था और लड़की पल्लवी इसी शहर में थी । सब अपने -अपने घर गृहस्थी में व्यस्त थे । आज पल्लवी का जन्मदिन है ।सुबह से … Read more

हमारी माँ .. – अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

पिछले 5 दिन से सासू मां आईसीयू में एडमिट थीं! पिछले महीने ही पति अविनाश के पैर में फ्रैक्चर होने की वजह से वो पूरे रेस्ट पर थे इसलिए सारा बोझ इकलौती बहू रीना पर आ गया हालांकि दोनों ननदें मां की बीमारी की खबर सुनकर अगले दिन ही आ गई थीं!अब रात भर तो … Read more

कुछ ख्वाब अधूरे से.. – रीटा मक्कड़

अपने दौर की हर लड़की की तरह मैंने भी बहुत से सपने, बहुत से ख्वाब खुली आँखों से देखे थे…जो बस ख्वाब ही रहे उनको पंख कभी नही मिले। उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी लगता है ..मन का एक कोना अभी भी खाली है..कुछ है जो अधूरा रह गया है..कुछ है जो छूट … Read more

इकलौता – विनय कुमार मिश्रा

माँ कुछ परेशान हो कब से इधर उधर देख रही थीं, कभी न्यूज पेपर हाथों में लेती, थोड़ी देर उसे देखती फिर रख देती। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी पापा को देखा, वे भी कभी दीवार घड़ी को कभी दीवार पर लगे पेंटिग्स को गौर से देख रहे थे। आज दोनों का … Read more

 बारिश वाली वो रात” – सीमा वर्मा

फैरेडे हॉस्टल का कमरा नं. छब्बीस मेहुल और हमीदा दोनों बेखबर सोई हैं।रात के करीब पौने बारह बज रहे हैं। अचानक एक धमाका-बिजली की कड़क से मेहुल हड़बड़ा कर उठ बैठी। बाहर जोर से बिजली चमक रही है। बादल गरज रहे हैं। साथ ही उसका दिल भी बुरी तरह धड़क रहा है। मेहुल ने माथे … Read more

ख़्वाब – निभा राजीव 

नन्हीं रुचिका तूलिका लेकर कैनवास पर मनचाहे रंग भर भर कर चित्रकारी का प्रयास कर रही थी पर बार-बार कुछ ना कुछ त्रुटि रह जाती थी। उसने चिढ़ कर तूलिका फेंक दी। उसके मुंह पर जहां-तहां लाल, पीले, नीले रंग लगे हुए थे।उसका नन्हा सा मुंह गुस्से से लाल हो गया था। बरामदे में बैठे … Read more

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