” दूजा ब्याह” – उषा गुप्ता

“अरे , बहुत बुरा हुआ !” “कोई उम्र नहीं थी उनकी …पर यह कैंसर किसे छोड़ता है ?” “घर में कोई औरत नहीं बची ,कैसे घर चलेगा ?” “बड़ा बेटा-बहू विदेश में है ।यहाँ बस छोटा बेटा और मिस्टर श्रीवास्तव ही बचे हैं ।” यह खुसर-पुसर चल रही थी पांचवें माले पर रहने वाली मिसेज … Read more

“माँ” – ऋतु अग्रवाल

वो तड़पती ही रह जाती थी जब कोई अक्सर उसे बाँझ कह देता।शादी के आठ वर्षों बाद भी वो नि:संतान थी। दो-तीन सालों तक तो ध्यान नहीं दिया। पर फिर मन अकुलाने लगा उन नन्हें हाथों की छुअन के लिए जो सहला देते उसके अंतर्मन को। तरस जाते कान उन मीठी किलकारियों के लिए जो … Read more

कीमती धन – दर्शना जैन

धनतेरस पर निशा ने कॉलोनी के दोस्तों को खाने पर बुलाया था, वे आधे घंटे में आने वाले थे। डाइनिंग टेबल साउथ इंडियन, पंजाबी और इटालियन पकवानों से सज चुका था, पति राजेश की आँखें खुली की खुली रह गयी। निशा ने कहा – चौकिये मत, ये सब हॉटल से नहीं बुलवाया है, अपने हाथों … Read more

काश मैं पक्षी होता – दर्शना जैन

निखिल और उसकी पत्नी उमा खिड़की के पास बैठे थे। दोनों की निगाहें बाहर पेड़ पर बने एक घोंसले की ओर गयीं।       घोंसले में एक चिड़िया बैठी थी। शायद कमजोरी के कारण वह उड़ नहीं सकती थी। एक छोटा चिड़िया का बच्चा अपनी चोंच में दाने लाकर चिड़िया की चोंच में संभलते हुए डालकर यूँ … Read more

चुडैलों में बदलती स्त्रियां – – Kishwar Anjum

अम्मा! तुम क्यों डांटती हो इसको इतना? सब काम तो करती है ख़ामोशी से, कितनी सीधी सादी बहु है तुम्हारी। बेटे ने मां से शिकवा किया। कुछ बोलती नहीं, कितना भी ताना दे लो। बड़ी बड़ी आंखों से ख़ामोश देखती है। कुछ जवाब दे तो बब्बू को कहूं भी कि अपनी दुल्हन की नकेल कसे।  … Read more

संजीवनी—– कंचन श्रीवास्तव 

सारे मेहमानों के जाने के बाद अब आखिर में बचा सभी की अदायगी हां भाई जिस जिस को सहेजा था सभी एक ज़वान पर आए,क्या गेस्ट हाउस वाला और क्या रोज़ के नौकर चाकर किसी ने भर शादी मुंह नहीं खोला। यही वजह है कि रमा का हाथ और खुल गया।और बेटे की शादी के … Read more

लौट के बुद्धू घर को आये – भगवती सक्सेना गौड़

एक रिश्ते की ननद की शादी थी, 2005 में, तब मैं यू पी के एक शहर में थी। वैसे तो बेटी बोर्ड के एग्जाम की पढ़ाई में व्यस्त रहती थी, पूरे दिन मैं भी इसी कारण व्यस्त और उनकी खातिरदारी करती रहती थी। पढ़ाई में इतना डूब जाती थी, कि उसे खाने पीने का भी … Read more

अपना गाॅ॑व – माता प्रसाद दुबे

“सुनो जी अब तो ट्रेन चलने लगी है, हम लोग अपने गाॅ॑व चलते हैं?”रमा अपने पति प्रकाश से बोली। “क्यूं क्या हो गया?”प्रकाश रमा को हैरानी से देखते हुए बोला। “अरे ये कहिए की क्या नहीं हुआ बीमारी का डर..लोगों की भीड़..लापरवाह लोग..मुझे हमेशा डर लगता है..आपके और हमारी नन्ही गुड़िया शुभि की सुरक्षा को … Read more

जीवन एक ख्वाब नहीं बल्कि हकीकत है – पुजा मनोज अग्रवाल

माता पिता की इकलौती लाडली बेटी सिम्मी , प्यारी मनमोहक मुस्कान  , संस्कारी, सबके साथ सामंजस्य बिठाने में माहिर , हर कार्य में दक्ष , गुणों की खान थी सिम्मी  । माता पिता को मयंक अच्छे लगे तो उन्होंने छोटी उम्र में ही उसका विवाह कर दिया ।      नव विवाहिता सिम्मी अपनी  आंखों  में रंगीन … Read more

महक का रिश्ता – तृप्ति उप्रेती

आज बहुत अरसे बाद मेहरा निवास में खुशियों ने दस्तक दी थी। परेश मेहरा और उनकी पत्नी विभा मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। उनकी आंखों में बसी गहरी उदासी किसी से छुपी नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने दर्द के साथ जीना सीख लिया था। आज उनके बेटे राज की शादी पूर्वी से होने जा … Read more

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