कच्चे धागे, पक्के रिश्ते – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ बेटा अभि, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है, फरी है तो आ बैठ मेरे पास, कुछ देर के लिए”। हंसराज ने बिस्तर पर बैठे बैठे ही बेटे को आवाज दी।        अभि ने सुना या नहीं, लेकिन रसोई में काम कर रही सोनिया के कान जरूर खड़े हो गए।     “ अभी आया पिताजी, अभि ने … Read more

कठोर कदम – गीता अस्थाना : Moral Stories in Hindi

विवाह एक ऐसी हृदय की आन्तरिक आनन्दानुभूति है जो प्रत्येक कन्याओं के हृदय में सुनहरे सपनों के संसार में विचरण कराती है। “अपना घर होगा,पति का साथ,उसका प्यार और मां की तरह वह भी गृहस्वामिनी बनेगी। घर के सदस्यों के साथ उसका भी वर्चस्व होगा ” इन्हीं सुनहरे सपनों की चादर नलिनी बुनती रहती थी। … Read more

औरत हो, गाय नहीं..! – रोनिता कुंडु

आपने देखा? नियति को इस घर में आए हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं और घर में सभी को उसकी पसंद और नापसंद का भी पता लग गया। आज उसके जन्मदिन पर सबने उसे उसके पसंद की चीज़े दी, यहां तक की खाना भी आज सारा उसकी पसंद का बना है, नहीं, मतलब मैं … Read more

तू लालची हो गया हैं !! – स्वाती जैंन

नीलम ने जैसे ही दरवाजा खोला , सामने अपनी सासू मां मालती जी को देखकर चकित रह गई क्योंकि मालती जी जिस तरह से नीलम से बुरा व्यवहार करके घर छोड़कर गई थी , कभी लगा नही था कि फिर कभी वापस आएंगी !! अपने पति शांतीलाल जी के गुजरने के बाद वह नीलम को … Read more

ये बँधन सिर्फ़ कच्चे धागों के नहीं हैं – के कामेश्वरी

शारदा कमरे से अपना और प्रदीप का आवश्यक सामान निकालकर बाहर हाल में एक जगह रख रही थी ।  प्रदीप ने कहा शारदा इतनी मेहनत क्यों कर रही है…….  इतना समझ लो कि तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारी मदद करने कोई नहीं आएगा । वे हमारे ही बच्चे हैं जी ….. वे साल दो … Read more

कठोर कदम – डाॅ संजु झा

विनिता आज की घटना से हतप्रभ -सी वेदना के महासागर में डूब गई।आज जो घर में घटित हुआ,उस अग्नि की तपिश में वह चारों बेटियों के साथ झुलसकर रह गई।पति के रौद्र रूप से उसके मन में दरक रही  वेदना का बाॅंध अचानक से टूट पड़ा। ज़िन्दगी में पहली बार कठोर कदम उठाते हुए चारों … Read more

कठोर कदम – करुणा मलिक

मम्मी! कितनी देर से फ़ोन कर रही हूँ , कहाँ थी ?  अरे , वो संध्या को मायके जाना पड़ गया तो बस , तुम्हारे पापा के लिए रोटियाँ सेंक रही थी । ये पीछे से कैसी आवाज़ आ रही है, कहीं गई हुई है क्या ? मम्मी, मैं ट्रेन में हूँ और घर आ … Read more

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं- मनीषा सिंह ।

“चाचा जी” मुझे नहीं जाना ससुराल! प्लीज मां-बाबूजी को समझाइए कि मुझे वहां नहीं भेजें!  पर हुआ क्या बेटा!जो तू अपने ससुराल नहीं जाना चाहती? बाता तो सही!  सब कुछ बुरा हो रहा है•• कुछ भी सही नहीं है! कहते हुए नीलू रो पड़ी। भतीजी को रोता देख, उसे गले लगा लिया और उसके आंसू … Read more

पेंशन – प्रतिमा श्रीवास्तव :

 Moral Stories in Hindi बेटा मुझे कुछ पैसे की जरूरत है शांति जी बेटे रवि से चार दिन से बोल रहीं थीं पर रवि हमेशा अनसुना करके कोई ना कोई बात घुमा कर वहां से निकल जाता। शांति जी स्कूल में अध्यापिका थीं तो हर महीने उनको  अच्छी – खासी पेंशन मिलती थी।जब तक शरीर … Read more

“ये बंधन कच्चे धागों का नहीं है – समिता बढ़ियाल :

 Moral Stories in Hindi माँ , इस बार आप राखी पर मामा के घर नहीं जाओगे , अभिषेक ने अपनी माँ सुशीला जी से कहा।  सुशीला जी बोलीं , बेटा अभि , ये रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं , एक बार बिखर गए तो बिखर गए।  फिर जितना भी संभालो , नहीं संभलते।  अभिषेक माँ … Read more

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