विश्वास की डोर – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi
जानकी.. आजकल मन बहुत व्यथित हो रहा है एक डर है जोमुझे अंदर ही अंदर खाए जा रहा है समझ नहीं आ रहा तुमसे कैसे कहूं.? कहूंगा तो तुम हंसोगी, 70 वर्षीय रामनारायण जी ने अपनी पत्नी जानकी से कहा! तब जानकी बोली… नहीं जी बिल्कुल नहीं हंसूंगी आप बताइए तो सही आपको ऐसा कौन…
विश्वास की डोर – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi
ऑफिस में बैठे आलोक के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। “हैलो…?” फोन उठाते ही एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी — “भैया… मैं सावित्री बोल रही हूँ।” “अरे, तुम दोपहर में कॉल क्यों कर रही हो? सब ठीक है?” आलोक ने पूछा। “भैया… मैं कल से काम पर नहीं आऊँगी। भाभी से कह…
घर का आधार – प्रतिमा पाठक : Moral Stories in Hindi
ममता जब ब्याह कर इस घर में आई थी, तबसे ही उसकी दुनिया बदल गई थी। नए रिश्ते, नई जिम्मेदारियाँ और सबसे बड़ी बात हर पल खुद को साबित करने की चुनौती। ममता स्वभाव से सीधी-सादी, समझदार और मेहनती थी। उसने आते ही पूरे घर की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। सुबह सबसे…
माँ-बेटी का रिश्ता – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
रीना की बेटी प्रज्ञा एक सीधी-सादी, शांत स्वभाव की लड़की थी। बचपन से ही उसने कभी झूठ नहीं बोला था। रीना को उस पर आंख बंद करके भरोसा था। प्रज्ञा अपनी माँ से हर छोटी-बड़ी बात साझा करती थी — चाहे वह स्कूल की परेशानी हो, कोई दोस्ती का किस्सा, या दिल की कोई उलझन।…
विश्वास की डोर – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi
बड़े शहर की तेज़ रफ़्तार में, जहाँ हर कोई अपनी धुन में भागा जा रहा था, वहीं एक घर की पहली मंज़िल पर, आरोही ने अपना नया ठिकाना बनाया था। वह एक अनाथ लड़की थी ( माता पिता की एक एक्सिडेंट में मृत्यु होने के बाद दूर के रिश्तेदारों ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया…
विश्वास की डोर – के आर अमित : Moral Stories in Hindi
अब हर रोज वो गुड मॉर्निंग गुड़ नाईट का मैसेज करता। खाना खाया की नही क्या बनाया आज बगैरह बगैरह। काफी दिन तक राधा उसे नजरअंदाज करती रही मगर मैसेज पढ़ती रोज थी ये बात साकिब को पता थी। कुछ दिन बाद साकिब ने शुभरात्रि का मैसेज किया किस्मत से राधा उस बक्त ऑनलाइन थी।…
हर घर की कहानी – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
मोहिनी, आकर्ष को लेकर घर लौटी तो पाया कि दोनों ननदें आई हुई थीं। दोपहर के दो बज रहे थे। जब मोहिनी, आकर्ष को लेने स्कूल गई थी तब तक तो कोई भी नहीं आया था और न ही सासू माँ अंजू ने ऐसा कुछ ज़िक्र किया कि दोनों ननदें आने वाली हैं। ख़ैर, उन्हें…
चट्टान – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
पूरे शहर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी।इस अवसर पर शहर के बड़े पार्क में भी एक बहुत बड़ी योग संस्था और प्रसिद्ध हॉस्पिटल द्वारा सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रेरित करने के लिए योग प्रतियोगिता एवं मैराथन का आयोजन किया गया था। जिसमें आसपास की अन्य सोसाइटी के…
- #अब तो पड़ जाएगी ना , तुम्हारे कलेजे में ठंडक
- #अस्तित्व
- #आंसू बन गए मोती
- #उपहार की क़ीमत नहीं, दिल देखा जाता है
- #एक माफी ने रिश्ते को बिगड़ने से पहले ही बचा लिया
- #कठपुतली
- #तिरस्कार कब तक
- #तुम्हें बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए
- #देखो तुम्हारी चिंता तो जायज है
- #बहू यह मत भूलो कि भगवान सब देखता है
- #मन की गांठ
- #रिश्तों की मर्यादा
- #लघुकथा
- #विश्वास की डोर
- #शुभ विवाह
- #समझौता अब नहीं
- #सास को बहू की तकलीफ नहीं दिखती है
- #स्नेह का बंधन
- #हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई
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- पत्नी तो वह बन गई थी पर बहू और भाभी आज बनी है
- सम्मान की सूखी रोटी
- संयुक्त परिवार
- हमारा बुरा वक़्त हमारे जीवन की दिशा बदल देता है