पड़ोसी-धर्म – विभा गुप्ता

  ” अरे सुनो, डी-44 में चहल-पहल सुनाई दे रही है,लगता है कोई आया है।” मियाँजी का चेहरा गुलाब-सा खिला हुआ था।ऐसा पहली बार तो हुआ है नहीं।पिछले पच्चीस बरस में पतिदेव के बाल सफ़ेद हो गये,तोंद निकल आई, चेहरे की चिकनाहट भी लुप्त हो गई लेकिन नहीं कुछ बदला है, तो वह है उनका स्वभाव।नई … Read more

परित्यक्ता

हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में एक बड़े से चीड़ के पेड़ के नीचे बनी बेन्च पर माधवी बैठी थी। वह अपनी सासू माँ नर्मदा के पुराने गठिया, दमा व स्नोफीलिया के उपचार के लिए यहाँ नारायण बाबा की शरण में आयी थी। आज तीसरा दिन है। प्रकृति की गोद में बनी हज़ारों झोपड़ियों में से … Read more

अनमोल रिश्ता – आरती झा आद्या

नौ बज गए मम्मी.. ओह आज तो मैं देर हो गई मम्मी… सब इंतजार कर रहे होंगे… निदा दूध और बिस्किट के पैकेट उठाती बोल रही थी। कोई इंतजार नहीं कर रहा होगा। क्या सनक सवार है इस लड़की पर। ऐसे कोई काम कहो तो कान में तेल डालकर बैठी रहती है…बड़बड़ाती निदा की मां … Read more

एक रिश्ता – नताशा हर्ष गुरनानी

कल पतिदेव के साथ घूमने निकली तो रास्ते में सब्जी मंडी आ गई तो ये  कहने लगे सब्जी ले ही लेते है।  मैने कहा ठीक है आप लीजिए क्योंकि सब्जी वही लेते है मैं तो बस बनाने का काम करती हूं। वो सब्जी ले रहे थे तब एक गाड़ी मेरे पास रुकी उसमें से एक … Read more

अंजाना हक़ – पूनम अरोड़ा

शैक्षिक प्रशिक्षण से सेवा निवृत हो चुके अनिल जी ने  कुछ आमदनी प्राप्त  करने के लिए और कुछ अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने घर के एक पोर्शन को किराए पर उठाने का फैंसला किया । जल्दी  ही उन्हें  एक किराएदार मिल भी गया । एक युवा दम्पति  और उनकी ढाई साल की … Read more

एक अनजान रिश्ता  – डॉ. सुनील शर्मा

संजीव आज अपने माता पिता के साथ दूसरे शहर में विवाह के लिए लड़की देखने जा रहा था. शिक्षा पूरी करने के बाद उसे एक प्रतिष्ठित विद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी मिल गई थी.वेतन भी अच्छा था.माता पिता चाहते थे कि अब विवाह कर घर बसा ले. संजीव को भी यह ठीक ही लगा. अच्छा … Read more

अनोखा रिश्ता – मंगला श्रीवास्तव

क्या रिश्ता था मेरा उससे कुछ नही, वह सड़क पर मिल था मुझे बारिश की एक रात में भीगते हुए। ठंड से कांप रहा था वह ,मुश्किल से एक महीने का होगा शायद अपनी माँ से बिछड़ गया था। वह मेरी गाड़ी के नीचे आते आते बचा था। जब मैंने उसको उतर कर देखा तो … Read more

एक रिश्ता – के कामेश्वरी

सुलोचना ने आवाज़ लगाई- दुर्गा कहाँ है अभी तक कपड़े घड़ी करना हुआ है या नहीं?क्या कर रही है? सो गई है क्या ? दुर्गा ने उनकी बातें सुनकर भी अनसुनी कर दी थी । माँ उसके कमरे में पहुँची और उसे सोते देख कर उस पर चिल्लाने लगी थी । उनकी कर्कश आवाज़ सुनते … Read more

दो चेहरा -नीलम सौरभ

पूरे मोहल्ले की खबरी विमला बाई पोंछा लगाते घर की मालकिन मेनका जी को बताने लगी, “अम्माँ जी! आपने सुना, पड़ोस वाले मिसिर जी का बेटा सक्षम एक लड़की को भगा लाया है! …माँ-बाप दोनों सदमे में हैं, दूसरे जात की लड़की..फिर 15-20 लाख का नुकसान भी हो गया न, तिलक की रकम का!” एक … Read more

दिनचर्या  – त्रिलोचना कौर

भारती दोपहर खाने के बाद आराम करने जा ही रही थी कि बेटे अभिराज का फोन आ गया” माँ,एक वर्ष के लिए मेरी पोस्टिंग ऐसी स्थान पर हो गई है। मै वहाँ सौम्या और बच्चों को लेकर नही जा सकता अत: इसी हफ्ते मै इन लोगों को छोड़ने घर आऊंगा”                          भारती खुशी से फूली नही … Read more

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