विषय “#एक_रिश्ता” के विजेता

 नमस्कार दोस्तो, मार्च  माह के प्रथम सप्ताह (27 फरवरी – 5 मार्च ) का विषय था #एक_रिश्ता  और इस विषय पर सभी लेखकों ने बहुत ही प्यारी कहानियां भेजी , समूह उनके प्रयास की सराहना करता है। इस साप्ताहिक विषय पर लिखी हुई कहानियों मैं से जिन लेखकों की कहानियां पाठकों ने सर्वाधिक पढ़ी और … Read more

एक प्रेम कहानी ऐसी भी – अनिल कान्त 

एक प्रेम कहानी ऐसी भी – अनिल कान्त  रात लौट आई लेकर फिर से वही ख्वाब कई बरस पहले सुला आया था जिसे देकर थपथपी कमबख्त रात को भी अब हम से बैर हो चला है अक्सर कहानी शुरू होती है प्रारंभ से…बिलकुल शुरुआत से…लेकिन इसमें ऐसा नहीं…बिलकुल भी नहीं…ये शुरू होती है अंत से…जी … Read more

अब भेदभाव नहीं सहूँगी – अर्चना कोहली “अर्चि”

जैसे ही सुमिता ने घर में प्रवेश किया, उसे बिठाकर बिना किसी भूमिका के दादी ने एक ही साँस में कई प्रश्न दाग दिए। मानो कोई परीक्षक परीक्षा ले रहा हो। सभी प्रश्नों का मुख्य केंद्र सिर्फ़ शशांक ही था। “शशांक कैसा लड़का है? कब से तुम्हारे साथ काम करता है? स्वभाव कैसा है? कितनी … Read more

माँ माँ में भेदभाव क्यों – सुभद्रा प्रसाद

“मम्मी जी, मेरी माँ की तबियत खराब है |पापा ने सुबह फोन किया था| मैं दो चार दिन के लिए मायके जाना चाहती हूँ |” नैना ने सुबह की चाय देते हुए अपनी सासू माँ मालती जी से कहा|         “निखिल से पूछ लिया? क्या कहा उसने ? ” मालती जी ने पूछा |           “उन्हें अभी … Read more

प्यार है,भेदभाव नहीं – विभा गुप्ता

 बहुत दिनों से मेरी इच्छा थी ‘गोल्डन टेम्पल’ देखने की।कभी बच्चों की परीक्षाएँ हो जाती तो कभी पति को ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिलती और हमें अपना बनाया हुआ प्रोग्राम कैंसिल कर देना पड़ता था।अब इन ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो गये तो पिछले दिसम्बर में हमने अमृतसर जाना तय किया और वो भी ट्रेन से … Read more

“भेद नजर का” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

सीमा सुबह से तैयारियां कर रही थी। सबके लिए  नाश्ते बनाने के बाद उसे खुद के लिए तैयार होना था। काम इतना बढ़ गया था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सासु माँ बार- बार किचन में आकर बोल रही थीं “-  बहू जल्दी करो,जल्दी से काम निपटा लो और तैयार … Read more

उधार – मीनाक्षी सिंह

ये लिजिये काका ,,आपके पैसे ब्याज़ सहित ! कौन ???? हाथों में लाठी लिए हुए सुरेश जी चश्में को नीचे करते हुए बोले ! मैं पहचाना नहीं ! कौन हो बेटा तुम ! और मैं कौन होता हूँ किसी को उधार देने वाला ! अपनी  खुद की दो वक़्त की रोटी मुश्किल से कमा पाता … Read more

** काम का जेंडर से क्या लेना-देना ** – डॉ उर्मिला शर्मा

 दीपा के घर उसकी सालों पुरानी सहेली अंजली आयी थी। वैसे भी लॉक डाउन के बाद भी कहाँ कोई किसी के घर आता जाता है। दोनों सहेलियां एक दूसरे के घर की सारी अंदरूनी बातें जानती थीं। जब भी मिलती ढेरों बातों के साथ अपनी दुःखम- सुखम बतियाती। भारतीय परम्परानुसार दीपा पति- पत्नी में अनबन … Read more

वृद्धाश्रम – हरीश पांडे

वृद्धाश्रम की अपनी चारपाई पर बैठे 70 वर्षीय जगजीवन शर्मा ‘वृद्धाश्रम’ पर ही एक लेख लिख रहे थे। लेखन हमेशा से ही उनकी हॉबी थी पर जवानी में व्यवसाय और पैंसे कमाने में ऐसे उलझे कि फिर अपने विचारों को सलीके से शब्दों में तब्दील करने के शौक को कहीं पीछे ही छोड़ आये। अब … Read more

हँसना रोना – नीलिमा सिंघल

अचानक हुई घर के मालिक की मौत से परिवार गहरे सदमे में डूब गया। रजनी के पति समीर की हृदयाघात से अचानक मृत्यु हो गए थी वैसे उन्हें कोई भी खास बीमारी नहीं थी। सगे सम्बन्धियों और पड़ोसियों की भीड़ जमा हो गई थी, रजनी अपने इकलौते बेटे वेद को गोद में लिए बैठी सिसक … Read more

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