बेटी – श्यामला संभारा

बेटी अपने पापा से पिछले तीन, चार दिनों से उसके साथ कॉलेज चलने के लिए कह रही थी कॉलेज में एडमिशन लेने के समय उसे लगता था कि उसके पापा उसके साथ में तो अच्छा रहेगा ऑफिस मे काम की अधिकता के कारण वे समय नहीं निकाल पा रहे थे। बेटी ने रात में अपने … Read more

काश… – अविनाश स आठल्ये

Congratulations !!! Mrs सीमा बत्रा… इस वर्ष हमारी वेबसाइट पर सबसे ज्यादा आपकी ही कहानियों को पसन्द किया गया…इतने ज्यादा व्यू तो हमारी लेखक.कॉम वेबसाइट के इतिहास में आज तक किसी को नहीं मिले..हमारी “लेखक डॉट कॉम” टीम की तरफ़ से इस वर्ष का सबसे पसंदीदा लेखक का अवार्ड आपको दिया जा रहा है। अवार्ड … Read more

 प्रायश्चित – मनीषा देबनाथ

“कास बुरे का साथ ना दे कर मैं अच्छाई के साथ खड़ी रहती तो आज मैं इतनी अकेली ना होती… कास मैने अपने परिवार का साथ दिया होता!” आज मन में चिंतन मनन करती हुई रागिनी बहुत अकेली थी। क्यों की रागिनी ने अपने परिवार का साथ ना दे कर अपनी मायके की भाभी वंदना … Read more

एक देवरानी ऐसी भी  – मीनाक्षी सिंह

कविता सुबह से ही जोर जोर से बर्तनों की आवाज कर रही थी..यह रोज का था …छोटी देवरानी निक्की घर का कोई काम नहीं कराती थी …उसके ब्याह को अभी 8 माह ही हुए थे ….बेचारी कविता सोचती ये महारानी उठती हैँ…कुल्ला ,ब्रश करती हैँ …नहाती हैँ…नाश्ता किया …खाना लगाया…माँ जी के पैर भी नहीं … Read more

मोहब्बत का रंग – स्नेह ज्योति

राहुल तुम आ रहे हो या नहीं और कितना इंतज़ार करूँ ?? आ रहा हूँ बस थोड़ा ट्रैफ़िक की वजह से देरी हो गयी । राहुल जैसे ही पहुँचा टिया कहने लगी “हमें जल्दी शादी करनी पड़ेगी “ राहुल -लेकिन क्यों ?? एक साल हो गया है हमें एक दूसरे को जानते हुए और कितना … Read more

गलत राह – माता प्रसाद दुबे – Hindi Moral Stories

शाम के चार बज रहे थे, रामप्रताप जी,जो एक शिक्षक थे, स्कूल में बच्चों को पढ़ाकर छुट्टी होने पर विद्यालय से घर जा रहें थे,तभी रास्ते में कुछ लोगों की चिल्लाने की आवाज सुनकर वह  रूक गए,उन्हें बड़ी हैरानी हुई जब उन्होंने देखा कि उनका भतीजा सुशील कस्बे में रहने वाले एक आटो ड्राईवर को … Read more

 अभिमान – अनामिका मिश्रा 

एक कंपनी में दो दोस्त काम करते थे। राकेश और अमित नाम था। पर स्वभाव में दोनों के काफी अंतर था। राकेश चापलूस था और उधर अमित स्वाभिमानी था।  राकेश उससे कहता ,”ज़माने के हिसाब से चल,स्वाभिमानी रहोगे तो पीछे ही रह जाओगे!” अमित ने कहा “नहीं यार, ये मुझसे नहीं होगा, मैं  तेरी तरह … Read more

क्यों ना करूँ अभिमान – ऋतु अग्रवाल

    “भई, वाह! सुधा, बहू तो तुम हीरा चुन कर लाई हो। देखने-भालने में ख़ूबसूरत,पढ़ी-लिखी,सभ्य, सुसंस्कृत,इतनी मीठी वाणी और सोने पर सुहागा यह कि इतना बढ़िया भोजन! साक्षत अन्नपूर्णा है बहुरानी। आज तो पेट के साथ आत्मा भी तृप्त हो गई।” सुधाकर जी अपने बेटे की नई-नवेली बहू के हाथों का भोजन प्रथम बार कर रहे … Read more

माँ  जैसी कोई नहीं – उमा वर्मा

रात के बारह बज रहे थे ।नींद कोसों दूर है ।बेटा बहू सो चुके हैं ।मदर्स डे  चल रहा है ।खूब लेख लिखा जा रहा है ।माँ की तो बात ही अलग होती है पर पिता कुछ कम नहीं होते।मुझे भी उम्र के छठे पड़ाव पर, अपने अकेले पन में माँ बहुत याद आ रही … Read more

 अभिमान – अविनाश स आठल्ये

ये देखो नितिन, हर्षल गुप्ता भी तो तेरे साथ पढता था न, उसे भी बैंक में जॉब लग गया है, उसके माँ बाप का भी सीना गर्व से  किंतना चौड़ा हुआ होगा सोचो.. नितिन की माँ सुंगधा ने कहा। तुझे पता है, विभा भी सिविल सर्विसेज के लिए सिलेक्ट हो गई है, तू कुछ बनेगा … Read more

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