दोहरी मानसिकता – संगीता अग्रवाल

” अरे अरे ये क्या राघव तुमने ये चिप्स का खाली पैकेट बाहर क्यो फैंका ?” तृप्ति अपने पति से बोली। ” अरे क्या फर्क पड़ता है एक पैकेट ही तो है बाकी लोग भी तो फैंकते है ना !” राघव लापरवाही से बोला। ” लोग फैंकते है तो जरूरी नही हम भी फेंके सभी … Read more

दोहरी राजनीति – गुरविंदर टुटेजा

 संजीव बाहर इतना शोर क्यों हो रहा है…?? अरे रचना आज जुलुस निकल रहा हैं…सब अलग-अलग आएगें हाथ जोड़कर वोट मांगने…और बड़े-बड़े वादे कर जायेंगे…!!!!  कल पीछे वाली भाभी बोल रही थी कि पार्षद के लिए उनके पहचान के कोई खड़ें हैं…उनको ही वोट दें और जुलुस में भी चलना…!! मैंने तो साफ मना कर … Read more

भाभी आपको शर्म नही आती – किरन विश्वकर्मा

रमेश जी रेलवे में नौकरी करते थे, पत्नी माया जी के साथ रेलवे के ही क्वार्टर में रहते थे बेटी शादी के बाद कोलकाता में रह रही थी और बेटा दिल्ली में नौकरी करता था तो वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहता था। एक दिन रमेश जी रात को सोये तो फिर … Read more

सुनीता आंटी-तूफ़ान एक्सप्रेस – रश्मि सिंह

सुनीता- बहुरानी दरवाज़ा खोलो वरना झाड़ू-पोछा किए बिना चली जाइब। सीमा- आज तो संडे है, आप आज भी जल्दी आ गई। पहले नीचे का काम निपटा लीजिए फिर ऊपर का करिएगा। सुनीता- नीचे का तो हुई गवा हैं। अगर कहो तो हम ज़ाई। सीमा- रुको आंटी आपसे कौन जीत सकता है। सुनीता-तो काहे कोशिश करत … Read more

माँ जी सहारे की ज़रूरत आपको होगी ,,मुझे नहीं – मीनाक्षी सिंह

ख़ुशी – माँ जी कितनी बार कहाँ हैँ आपसे मेरे पीछे मत पड़िये ! मैं कोई दो साल की बच्ची तो नहीं जो आपकी मर्जी से चले ! मुझे पता है मुझे प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए क्या  नहीं ! डॉक्टर ने मुझे डाईट चार्ट दिया हैँ ! मैं उसे फौलो कर रही हूँ ! … Read more

वसूली…… विनोद सिन्हा “सुदामा”

मैं जब भी उन्हें अपनी माँ से बातें करती देखती तो जाने क्यूँ मुझे बहुत गुस्सा आता… दूसरी मुझे इस तरह रोज रोज़ उनका मेरे घर आना जाना भी काफी नापसंद था… कभी कभी तो देर रात तक सिर झुकाए घंटों बैठे रहते… मैंने एकाध बार दबी जुबान से इसका विरोध करते हुए अपनी माँ … Read more

मां का चेहरा – चाँदनी झा

निशा अपनी मां का ये चेहरा देखकर,… आवाक रह गई। मां तो बस,…सबकी सुनती हुई, सबकुछ सहती हुई एक सामान्य महिला लगती थी। पर आज…जब निशा की बात आई तो एकदम से शेरनी हो गई। मां के इस चेहरे से हमेशा अनजान थी, निशा,….तो क्या हर किसी के दो चेहरे होते हैं? निशा के मन … Read more

नकाबपोश – पूनम अरोड़ा

पान्डे जी की फैमिली बहुत खुश थी। उनका वर्षों का सपना जो पूरा हुआ था, पॉश कॉलोनी में अपना एक भव्य, आलीशान बंगला बनाने का। सफेद मारबल से लकदक फर्श, नये डिजाइन की टाइलों से चमचमाती दीवारें, अत्याधुनिक व महंगे फर्नीचर से सुसज्जित ड्राईंगरूम व कमरे, बेशकीमती झाड़फानूस व तरह तरह के बल्बों लाइटों से … Read more

 ‘कोमल हूँ, कमज़ोर नहीं ‘ – विभा गुप्ता

  ” मैं तुमलोगों को छोड़ूँगी नहीं, दोहरे चेहरे का मुखौटा उतारकर समाज को तुम्हारा असली रूप न दिखाया तो मेरा नाम कृतिका नहीं।”।एक भद्दी-सी गाली देते हुए बदहवास-सी कृतिका सारंग के कमरे से निकली और लगभग दौड़ती हुई घर चली गई।           तीन महीने पहले ही कृतिका ‘ग्रीनलैंड इंटरनेशनल’ में होटल रिसेप्शनिस्ट के पद पर अपाॅइंट … Read more

दोहरा चेहरा (हाथी के दाँत खाने के कुछ तो दिखाने के कुछ) – के कामेश्वरी

रामचंद्र जी एक छोटे से गाँव में स्कूल टीचर थे । उनकी दो बेटियाँ और एक बेटा था । पत्नी राधिका पति के कमाए हुए पैसों से ही बच्चों को पढ़ाते हुए उसने अपने घर को स्वर्ग बना लिया था । घर में सुख शांति थी। बड़ी बेटी की शादी भी उन्होंने अपने तरीक़े से … Read more

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