मुखौटे पर मुखौटा – सुषमा यादव

नीलू मार्केट गई थी,उसका फोन बार बार बजे जा रहा था। घर आकर देखा तो उसके मामा ससुर के पोते का फोन था,चार पांच मिस्ड कॉल थे। फिर फोन आया, उसने हेलो कहा और व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ कहा,,कहो, आज़ ढाई साल बाद कैसे मेरी याद आई, उधर से रमेश की आवाज आई, अरे,आप … Read more

नक़ाब – ममता गुप्ता

अरे!! मोहनदास जी आप हमे तो बस रोटी बेटी चाहिए।। हमारे पास भगवान का दिया सबकुछ है,बस कमी है तो सिर्फ एक बहू के रूप में बेटी की।। और मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारी बेटी रिया को कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी नही होगी…गर वो शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी … Read more

बाल-विधवा – पुष्पा पाण्डेय

काकी थकी हारी हाट से आई, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की चमक थी। आज उसके सारे अमरूद, नींबू बिक चुके थे। उसकी टोकरी में जो दो अमरूद बचे थे उसे काकी हाट के गेट पर बैठी उस बच्ची के  हाथ में थमा दिया जो माँ के साथ भीख मांग रही थी। काकी घर आकर … Read more

गलती से भी मुझे कमजोर मत समझना- निभा राजीव “निर्वी”

मानसी के पिता के असामयिक निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार और सभी क्रिया कर्म हो चुके थे। आज सभी मेहमान भी जा चुके थे। माँ अब भी दीवार से पीठ टिकाए हौले हौले सिसक रही थी। मानसी की आंखों में भी बेबसी के आंसू भर आए।             पिता के मृत्यु के एक दिन पूर्व ही … Read more

दोगला और निर्लज्ज – गीता वाधवानी

कमरे के दरवाजे पर ठक -ठक की आवाज सुनकर नई नवेली दुल्हन करुणा की आंख खुल गई। उसने देखा कि सुबह के 9:00 बज रहे हैं।  उसने दरवाजा खोला तो सामने सास खड़ी थी, उसे लगा कि शायद देर हो जाने के कारण वह उन्हें जगाने आई है, और वह तो दरवाजा खुलते ही धड़धड़ाती … Read more

आखिरकार – डॉ उर्मिला सिन्हा

गोपू निढाल होकर बिस्तर पर जा गिरा।बुरी तरह थक गया था। अन्दर से वार्तालाप , ठहाकों का मिला-जुला शोर मानों उसे चिढा रही थी। आधुनिक कोठी के पिछवाड़े सेवकों के लिए बने हुए छोटे-छोटे कमरे। जिसमें गोपू अपनी मां के साथ रहता है। मां के आंचल का सुख उसे यहीं मिलती है। थका-हारा जब वह … Read more

बहु का दर्द – पूजा मनोज अग्रवाल

मम्मी जी सुनिए ,,,”ये टिफिन पैक किया है ,,,आप पार्क मैं टहलने जा रही है । तो जरा जाते हुए यह टिफिन नीचे वाले फ्लोर पर सुशीला आंटी को दे दीजियेगा और कुछ जान पहचान कर लीजिएगा । सुशीला,,,? बहु ,,कौन है यह सुशीला,,,? मम्मी जी ,अभी कल ही मैं सुशीला आंटी से मिली , … Read more

समय का चक्र – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”

“तू अब तक यहीं बैठी है, चल जा यहाँ  से।” “माॅ जी ऐसा मत करिये। मैं कहा जाउॅंगी। अब यही मेरा घर है। मुझे अन्दर आने दीजिये। मैं जिन्दगी भर आपकी नौकरानी बन कर रहूंगी।’’ कामिनी अपनी सास के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी।  “हमे नौकरानी नहीं, पैसा चाहिये। जाओ अपने बाप से एक लाख रूपये … Read more

मुखौटा – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज कामिनी बाज़ार में कुछ सामान ले रही थी तभी उसकी मुलाकात अपने चचेरे भाई से हो गई। जिनसे वो काफी समय के अंतराल पर मिल रही थी। भाई से मिलते ही उसका मन खुश हो गया वैसे भी पिताजी की मृत्यु के बाद उसका मायके के सभी रिश्तेदारों से संबंध ना के बराबर ही … Read more

शादी या सौदा..? – रोनिता कुंडू

हमें तो लड़की बहुत पसंद है अमित जी..! अब आप लोग भी अपना बता दे, ताकि आगे की तैयारी शुरू की जा सके..। अमित जी:   हमें भी इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है, बस आप भी लेनदेन का बता देते तो..? शंकर जी:   अरे अमित जी..! हमें तो कुछ भी नहीं चाहिए..। … Read more

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