“बहु नहीं बेटी है हमारी” – सुधा जैन

 मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी … Read more

आग – नीलम सौरभ

सुन्दर, सुशील और शान्त स्वभाव की होने के बाद भी सुजाता जी को उनकी बहू हिया कभी पसन्द नहीं आ सकी। हिया का दोष मात्र इतना था कि सुजाता जी के इकलौते बेटे अर्णव ने उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर उससे लव मैरिज की थी, जबकि वे अपनी बचपन की सहेली तरुणा की बेटी तन्वी … Read more

पापाजी…बस अब और नहीं!! – मीनू झा

भाभी…सुहानी और सोम आएं तो उन्हें घर की ये चाबियां दे दीजिएगा प्लीज़…अचानक से एक कॉल आ गई है तो मुझे जाना होगा…पर हां उनसे कह दीजिएगा कि शाम पांच छह तक मैं आ जाऊंगी और उनको पक्का बाहर लेकर जाऊंगी–सुलक्षणा ने अपने घर की चाबियां पड़ोसन को थमाते हुए कहा। ठीक है भाभी दे … Read more

‘असली चेहरा ‘ –  विभा गुप्ता

 मेरे ताऊजी की बेटी की शादी थी।वर पक्ष शहर का एक प्रतिष्ठित परिवार था।मेरे ताऊजी दहेज लेने और देने के विरोधी थें,इसलिए कई जगह दीदी का रिश्ता बनते-बनते रह जाता था।जब वर के पिता ने ताऊजी से कहा कि भगवान का दिया हमारे पास सब कुछ है, हमें तो बस आपकी बेटी ही चाहिए, और … Read more

चेहरे पे चेहरा  – गोमती सिंह

_मेघा बहुत देर से राजेश को समझाने का प्रयास कर रही थी ।  ” देखो राजेश ! मैं अपनें मम्मी पापा के खिलाफ जाकर शादी नहीं करना चाहती ।”    ” क्या मतलब ! ” राजेश अचंभित होते हुए कहा।    ” तुम क्या कहना चाह रही हो स्पष्ट कहो मेघा ! “  समझने की कोशिश करो … Read more

कहीं आप के भी तो दो चेहरे नहीं? – भाविनी केतन उपाध्याय

” ला दे रितु, मैं बाकी की रोटियां सेंक लेती हूॅं जाकर अपने कमरे में आराम कर…. सुबह से लगी है काम में थक गई होगी ” काव्या ने प्यार और अपनेपन से अपनी देवरानी से कहा। ” नहीं दीदी,बस आठ दस रोटियां ही सेंकने की बाकी है मैं कर लूंगी, वैसे भी पूरा काम … Read more

ज़िंदगी-सुख दुःख का संगम। – रश्मि सिंह

सावित्री- सुनिए! राशि के पापा, राशि की दिखायी घर पर ना कराकर किसी मंदिर में कराए। राजेश जी- हाँ ये सही है, पर पहले राशि को तो तैयार करो चलने के लिए। राशि कमरे में आते ही- मैं किसी से मिलने नहीं जाऊँगी। सावित्री-बस इस बार चल मेरी गुड़िया रानी, और अबकी बार तू अपने … Read more

एहसान फरामोश – कमलेश राणा

सुजीत जी और विनय की बहुत अच्छी दोस्ती थी। सुजीत के पिताजी शहर के जाने माने डॉक्टर थे पैसा भी बहुत था ऐसा नहीं कि यह सब उनका ही कमाया हुआ हो उनके पुरखे भी काफी संपत्ति छोड़ गये थे लेकिन इसके बाद भी उन्हें और सुजीत को घमंड छू भी नहीं गया था बहुत … Read more

असली चेहरा – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

माँ को खुशी का ठिकाना नहीं था।वह अपने आँसू रोक नहीं पा रही थी। आखिर बहू-बेटे ने काम ही ऐसा किया था ! बहू ने रोजमर्रा के काम में आने वाले कुछ जरूरी समान साथ में दे दिये हैं।  अभी तक जिस नये घर का गृह प्रवेश भी नही हुआ था उसमें बेटा अपनी माँ … Read more

” मुखौटों की दुनिया ” – डॉ. सुनील शर्मा

मिसेज शर्मा आज किटी पार्टी में ख़ास मूड में थीं. सब को बताते हुए नहीं थक रही थीं कि उनके बेटे का रिश्ता बैंगलौर के एक उच्च व्यापारी घराने की लड़की से तय हो गया है. लड़की एम बी ए है तथा किसी विदेशी मल्टीनैशनल कंपनी में ऊंचे पद पर कार्यरत है. क्योंकि विवाह बैंगलौर … Read more

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