औरतों की जिम्मेदारियां तो मरते दम तक भी पूरी नहीं होती!! – सरोज प्रजापति

” अरे जिज्जी आज अचानक कैसे कोई खबर भी ना दी!!” निर्मला अपनी बड़ी बहन सरला से गले मिलते हुए बोली। ” तू तो बिल्कुल निर्मोही हो गई। सिर्फ तुझे अपने बच्चे और पोते पोतियो का ख्याल रहता है। एक बड़ी बहन भी है तेरी उसकी भी कभी खोज खबर ले लिया कर। खुद तो … Read more

 सॉरी या अकड़ – नीलिमा सिंघल

“नहीं खाना,,तुम्हारे हाथ का खाना” गुस्से मे चिल्लाते हुए तरुण ने खाने की थाली सरकाई,,और वही सोफ़े पर औंधे मुहँ पड़ गया,,, तन्वी ने आँखों मे आयी नमी को पोछा और अपना खाना भी फ्रिज मे रख दिया, और कमरे मे आकर बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी,,,,,  “अब ये आए दिन की बात हो … Read more

बेटी से बहू तक का सफ़र – स्नेह ज्योति

संयुक्त परिवार में पली रत्ना बचपन से ही आलसी ,कामचोर रही । काम करने की ज़्यादा आदत ना होने के कारण जल्द ही थक जाती और दूसरों को अपने काम थमा तफ़रीह पे चली जाती । जब तक छोटी थी तब तक सब ठीक था जैसे-जैसे वो बड़ी हुई घर के प्रति जिम्मेदारी काम के … Read more

सास से पंगा.. – संगीता त्रिपाठी

 “मम्मी जी आपके झुमके बहुत सुन्दर है, आप पर बहुत अच्छे लग रहे “बहू प्रीति ने सासू माँ ऊषा की तारीफ करते कहा..।          “तुम्हे पसंद है बहू तो तुम पहन लो, “उषाजी ने कहा    “अरे नहीं माँ, आप उतरिये मत ..,आप का झुमका इतना सुन्दर है मै तारीफ से अपने को रोक ना पाई,”बहू की … Read more

अग्नि परीक्षा – ऋतु गर्ग

अग्नि परीक्षा लक्ष्मी ने आँखों के सपने लिए हुए ससुराल की दहलीज पर कदम रखा तो उसे बहुत सुखद का अहसास हुआ। उसे यह घर अपना लगने लगा।    क्योंकि मायके में हर वक्त यह सुनते सुनते ऊब चुकी थी की एक दिन तुम्हें तो अपने घर जाना है।  यह वाक्य लक्ष्मी के दिन मन को … Read more

विषय “#एक_रिश्ता” के विजेता

 नमस्कार दोस्तो, मार्च  माह के प्रथम सप्ताह (27 फरवरी – 5 मार्च ) का विषय था #एक_रिश्ता  और इस विषय पर सभी लेखकों ने बहुत ही प्यारी कहानियां भेजी , समूह उनके प्रयास की सराहना करता है। इस साप्ताहिक विषय पर लिखी हुई कहानियों मैं से जिन लेखकों की कहानियां पाठकों ने सर्वाधिक पढ़ी और … Read more

एक प्रेम कहानी ऐसी भी – अनिल कान्त 

एक प्रेम कहानी ऐसी भी – अनिल कान्त  रात लौट आई लेकर फिर से वही ख्वाब कई बरस पहले सुला आया था जिसे देकर थपथपी कमबख्त रात को भी अब हम से बैर हो चला है अक्सर कहानी शुरू होती है प्रारंभ से…बिलकुल शुरुआत से…लेकिन इसमें ऐसा नहीं…बिलकुल भी नहीं…ये शुरू होती है अंत से…जी … Read more

अब भेदभाव नहीं सहूँगी – अर्चना कोहली “अर्चि”

जैसे ही सुमिता ने घर में प्रवेश किया, उसे बिठाकर बिना किसी भूमिका के दादी ने एक ही साँस में कई प्रश्न दाग दिए। मानो कोई परीक्षक परीक्षा ले रहा हो। सभी प्रश्नों का मुख्य केंद्र सिर्फ़ शशांक ही था। “शशांक कैसा लड़का है? कब से तुम्हारे साथ काम करता है? स्वभाव कैसा है? कितनी … Read more

माँ माँ में भेदभाव क्यों – सुभद्रा प्रसाद

“मम्मी जी, मेरी माँ की तबियत खराब है |पापा ने सुबह फोन किया था| मैं दो चार दिन के लिए मायके जाना चाहती हूँ |” नैना ने सुबह की चाय देते हुए अपनी सासू माँ मालती जी से कहा|         “निखिल से पूछ लिया? क्या कहा उसने ? ” मालती जी ने पूछा |           “उन्हें अभी … Read more

प्यार है,भेदभाव नहीं – विभा गुप्ता

 बहुत दिनों से मेरी इच्छा थी ‘गोल्डन टेम्पल’ देखने की।कभी बच्चों की परीक्षाएँ हो जाती तो कभी पति को ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिलती और हमें अपना बनाया हुआ प्रोग्राम कैंसिल कर देना पड़ता था।अब इन ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो गये तो पिछले दिसम्बर में हमने अमृतसर जाना तय किया और वो भी ट्रेन से … Read more

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