दिखावा – उमा वर्मा

रवि को आफिस भेज कर निश्चिन्त होकर बैठी तो एक कप और चाय पीने का मन हो आया ।रसोई में गैस पर चाय चढ़ाया और तबतक घर को व्यवस्थित कर लिया ।जब तक सब अपने अपने काम पर निकलते नहीं तबतक घर लगता है कुश्ती का अखाड़ा बना रहता है ।चाय तैयार हो गई ।कप … Read more

  “दिखावा ” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

एक जरूरी मीटिंग के सिलसिले में सुधा लखनऊ आयी थी। लखनऊ आने से पहले वह सोच कर ही आयी थी कि मीटिंग खत्म होने के बाद वह अपनी  छोटी सी दस साल की भतीजी पीहू से मिलकर जायेगी। मीटिंग खत्म होते ही सुधा भाभी की बहन के घर की ओर चल पड़ी। जैसे ही बरामदे … Read more

माफ़ी – किरण केशरे

राजवीर आज बहुत ही दुखी और अपमानित होकर काॅलोनि में बने छोटे से पार्क में आकर बैठ गया था  ,बीता हुआ समय चलचित्र की भाँति आँखों से गुजरने लगा ; पत्नी लता के साथ माता-पिता की मर्जी से विवाह किया था, जो साधारण  पर सुसंस्कृत परिवार से थी।  लता घर में आते ही सबमें घुलमिल … Read more

दो बोल प्यार के –  पुष्पा जोशी

   ‘रजनी जल्दी उठो मुझे बहुत तकलीफ हो रही है’ शेखर बाबू ने कराहते हुए कहा। सुबह की ५ बजी थी। रजनी ने उठकर देखा शेखर से बैठा भी नहीं जा रहा था। उसने उसे तकिये का सहारा लेकर बिठाया और बेटे को आवाज दी  ‘रानू  ! देखो तुम्हारे पापा को क्या हो रहा है?’रानू उनका … Read more

संभलते रिश्ते  – ऋतु गर्ग

अनुजा अपनी बहन से बहुत प्यार करती थी । जब भी कुछ सामान लाती तो अपनी छोटी बहन के लिए लाना कभी नहीं भूलती और वह आशा करती कि सभी भी दोनों बहनों को समान रूप से प्यार और सम्मान दे।  माता-पिता को लगता कि अनुजा तो बड़ी है उसे हर बात को समझना चाहिए … Read more

 प्यार की खुशबू – संगीता श्रीवास्तव

शीतल नाम था उसका जो अब शीतली के नाम से जानी जाती है। बहुत प्यारी, गोरी चिट्टी, अच्छी कद -काठी की। मुझे बीते दिन याद आने लगे जब वह मुझे पहली बार मिली थी ।क्या सलीका था- उठने बैठने ,बोलने चालने और पोषाक! पोषाक के तो क्या कहने, जिसे देख कर ही‌ ऐसा लग रहा … Read more

ऐसे भी लड़के वाले होते हैं – मीनाक्षी सिंह

रंजना आज किंजल को देखने लड़के वाले आ रहे हैं ,सब तैयारी कर लेना ! लिस्ट बना दो जो जो सामान लाना हो ले आऊँ ! कितने लोग आ रहे हैँ ?? यहीं कोई आठ लोग ! कोई बात पक्की हो जायें तो इतने लोग आयें भी तो ठीक लगे ! उनकी आवभगत करो फिर … Read more

प्यार का जाल – नंदिनी

बड़े नाजों से पली दो बहनें नीरू ,खुशबू  कभी भी नीरज शुभांगी ने कोई कमी नहीं रहने दी, हर  ख्वाहिश को पूरा किया । बढ़ती उम्र के साथ मौज मस्ती ,घूमना , दोस्ती यारी स्वाभाविक है ।  ऐसे में बड़ी नीरू की दोस्ती मोहित से हुई , पहला साल कॉलेज का अलग ही उत्साह उमंग … Read more

माफ़ी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

रामदिन काका ने प्रभा के कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़े होकर आवाज लगाई। “बहुरिया आपके बाबूजी आए हैं मिलना चाहते हैं। उन्हें बुला लूँ अंदर !” काका को ही पूरे घर के देख -रेख की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रभा जब से ब्याह कर इस घर में आई थी तब से ही देखा था … Read more

जिम्मेदारी घर की – नंदिनी

रोहन बड़ा खुशमिजाज था,जहाँ नोकरी करता था अंजली भी आई कुछ महीने पहले ,नोकारी नई थी रोहन ने सब काम समझाने में सहायता की ,थोड़ी बहुत बातें हो जाती थीं  धीरे धीरे  दोपहर का खाना भी साथ होने लगा और दोनों को अहसास हुआ कि वो एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं ,रोहन ने … Read more

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