दोगला और निर्लज्ज – गीता वाधवानी

कमरे के दरवाजे पर ठक -ठक की आवाज सुनकर नई नवेली दुल्हन करुणा की आंख खुल गई। उसने देखा कि सुबह के 9:00 बज रहे हैं।  उसने दरवाजा खोला तो सामने सास खड़ी थी, उसे लगा कि शायद देर हो जाने के कारण वह उन्हें जगाने आई है, और वह तो दरवाजा खुलते ही धड़धड़ाती … Read more

आखिरकार – डॉ उर्मिला सिन्हा

गोपू निढाल होकर बिस्तर पर जा गिरा।बुरी तरह थक गया था। अन्दर से वार्तालाप , ठहाकों का मिला-जुला शोर मानों उसे चिढा रही थी। आधुनिक कोठी के पिछवाड़े सेवकों के लिए बने हुए छोटे-छोटे कमरे। जिसमें गोपू अपनी मां के साथ रहता है। मां के आंचल का सुख उसे यहीं मिलती है। थका-हारा जब वह … Read more

बहु का दर्द – पूजा मनोज अग्रवाल

मम्मी जी सुनिए ,,,”ये टिफिन पैक किया है ,,,आप पार्क मैं टहलने जा रही है । तो जरा जाते हुए यह टिफिन नीचे वाले फ्लोर पर सुशीला आंटी को दे दीजियेगा और कुछ जान पहचान कर लीजिएगा । सुशीला,,,? बहु ,,कौन है यह सुशीला,,,? मम्मी जी ,अभी कल ही मैं सुशीला आंटी से मिली , … Read more

समय का चक्र – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”

“तू अब तक यहीं बैठी है, चल जा यहाँ  से।” “माॅ जी ऐसा मत करिये। मैं कहा जाउॅंगी। अब यही मेरा घर है। मुझे अन्दर आने दीजिये। मैं जिन्दगी भर आपकी नौकरानी बन कर रहूंगी।’’ कामिनी अपनी सास के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी।  “हमे नौकरानी नहीं, पैसा चाहिये। जाओ अपने बाप से एक लाख रूपये … Read more

मुखौटा – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज कामिनी बाज़ार में कुछ सामान ले रही थी तभी उसकी मुलाकात अपने चचेरे भाई से हो गई। जिनसे वो काफी समय के अंतराल पर मिल रही थी। भाई से मिलते ही उसका मन खुश हो गया वैसे भी पिताजी की मृत्यु के बाद उसका मायके के सभी रिश्तेदारों से संबंध ना के बराबर ही … Read more

शादी या सौदा..? – रोनिता कुंडू

हमें तो लड़की बहुत पसंद है अमित जी..! अब आप लोग भी अपना बता दे, ताकि आगे की तैयारी शुरू की जा सके..। अमित जी:   हमें भी इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है, बस आप भी लेनदेन का बता देते तो..? शंकर जी:   अरे अमित जी..! हमें तो कुछ भी नहीं चाहिए..। … Read more

दोहरी मानसिकता – संगीता अग्रवाल

” अरे अरे ये क्या राघव तुमने ये चिप्स का खाली पैकेट बाहर क्यो फैंका ?” तृप्ति अपने पति से बोली। ” अरे क्या फर्क पड़ता है एक पैकेट ही तो है बाकी लोग भी तो फैंकते है ना !” राघव लापरवाही से बोला। ” लोग फैंकते है तो जरूरी नही हम भी फेंके सभी … Read more

दोहरी राजनीति – गुरविंदर टुटेजा

 संजीव बाहर इतना शोर क्यों हो रहा है…?? अरे रचना आज जुलुस निकल रहा हैं…सब अलग-अलग आएगें हाथ जोड़कर वोट मांगने…और बड़े-बड़े वादे कर जायेंगे…!!!!  कल पीछे वाली भाभी बोल रही थी कि पार्षद के लिए उनके पहचान के कोई खड़ें हैं…उनको ही वोट दें और जुलुस में भी चलना…!! मैंने तो साफ मना कर … Read more

भाभी आपको शर्म नही आती – किरन विश्वकर्मा

रमेश जी रेलवे में नौकरी करते थे, पत्नी माया जी के साथ रेलवे के ही क्वार्टर में रहते थे बेटी शादी के बाद कोलकाता में रह रही थी और बेटा दिल्ली में नौकरी करता था तो वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहता था। एक दिन रमेश जी रात को सोये तो फिर … Read more

सुनीता आंटी-तूफ़ान एक्सप्रेस – रश्मि सिंह

सुनीता- बहुरानी दरवाज़ा खोलो वरना झाड़ू-पोछा किए बिना चली जाइब। सीमा- आज तो संडे है, आप आज भी जल्दी आ गई। पहले नीचे का काम निपटा लीजिए फिर ऊपर का करिएगा। सुनीता- नीचे का तो हुई गवा हैं। अगर कहो तो हम ज़ाई। सीमा- रुको आंटी आपसे कौन जीत सकता है। सुनीता-तो काहे कोशिश करत … Read more

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