नहीं पता था, तेरे भी दो चेहरे है – अर्चना कोहली “अर्चि”

“अम्मा। ओ अम्मा”। ऑफिस से आते ही चाय पीने के बाद सुधीर चिल्लाया। क्या बात है मुन्ना। क्यों चिल्ला रहा है”। “अम्मा, कितनी बार कहा है, मुझे मुन्ना न कहा करो। अब मैं बहुत बड़ा ऑफिसर हूँ। कोई सुनेगा तो मज़ाक बन जाएगा”। “नाराज़ न हो बेटा। भूल जाती हूँ। उम्र का तकाजा है। अब … Read more

बूढ़ी सास रसोई में खपे और बहू मजे करे- आरती झा आद्या

नई नवेली दुल्हन राखी शर्माई सकुचाई सी सुबह पांच बजे ही उठकर तैयार होकर कमरे से बाहर निकली तो सामने ही सासु मां दिख गई। राखी उन्हें देखते ही झुककर पैर छू कर खड़ी हो गई। इतनी सुबह सुबह क्यों जाग गई बहू…वो तो हमारा जमाना था जब सास से पहले बहुओं के जागने का … Read more

मित्रता और पद – संजय मृदुल

मंच पर परिचय का सिलसिला जारी है, एक एक कर परिवार आते जा रहे हैं और सबके सम्मुख अपने और परिवार के बारे में बता रहे हैं। स्कूल के पुराने छात्रों का मिलन समारोह चल रहा है। रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में देश विदेश में निवास कर रहे पूर्व छात्रों … Read more

वृद्धाश्रम – सीमा पण्ड्या

चलो आज माँ को वृद्धाश्रम दिखा ही लाता हूँ। बड़े बेटे ने अपनी पत्नी से कहा तो ७५ वर्षीय सावित्रीदेवी भौंचक हो कर बेटे का चेहरा देखने लगीं। बेटे के चेहरे पर गंभीरता थी बोला “ माँ एक नयावृद्धाश्रम बना है, जल्दी से तैयार हो जाओ, आज आपको वहाँ की सब सुख- सुविधाएँ दिखा लाता … Read more

मुखौटे पर मुखौटा – सुषमा यादव

नीलू मार्केट गई थी,उसका फोन बार बार बजे जा रहा था। घर आकर देखा तो उसके मामा ससुर के पोते का फोन था,चार पांच मिस्ड कॉल थे। फिर फोन आया, उसने हेलो कहा और व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ कहा,,कहो, आज़ ढाई साल बाद कैसे मेरी याद आई, उधर से रमेश की आवाज आई, अरे,आप … Read more

नक़ाब – ममता गुप्ता

अरे!! मोहनदास जी आप हमे तो बस रोटी बेटी चाहिए।। हमारे पास भगवान का दिया सबकुछ है,बस कमी है तो सिर्फ एक बहू के रूप में बेटी की।। और मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारी बेटी रिया को कभी भी किसी तरह की कोई परेशानी नही होगी…गर वो शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी … Read more

बाल-विधवा – पुष्पा पाण्डेय

काकी थकी हारी हाट से आई, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की चमक थी। आज उसके सारे अमरूद, नींबू बिक चुके थे। उसकी टोकरी में जो दो अमरूद बचे थे उसे काकी हाट के गेट पर बैठी उस बच्ची के  हाथ में थमा दिया जो माँ के साथ भीख मांग रही थी। काकी घर आकर … Read more

गलती से भी मुझे कमजोर मत समझना- निभा राजीव “निर्वी”

मानसी के पिता के असामयिक निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार और सभी क्रिया कर्म हो चुके थे। आज सभी मेहमान भी जा चुके थे। माँ अब भी दीवार से पीठ टिकाए हौले हौले सिसक रही थी। मानसी की आंखों में भी बेबसी के आंसू भर आए।             पिता के मृत्यु के एक दिन पूर्व ही … Read more

दोगला और निर्लज्ज – गीता वाधवानी

कमरे के दरवाजे पर ठक -ठक की आवाज सुनकर नई नवेली दुल्हन करुणा की आंख खुल गई। उसने देखा कि सुबह के 9:00 बज रहे हैं।  उसने दरवाजा खोला तो सामने सास खड़ी थी, उसे लगा कि शायद देर हो जाने के कारण वह उन्हें जगाने आई है, और वह तो दरवाजा खुलते ही धड़धड़ाती … Read more

आखिरकार – डॉ उर्मिला सिन्हा

गोपू निढाल होकर बिस्तर पर जा गिरा।बुरी तरह थक गया था। अन्दर से वार्तालाप , ठहाकों का मिला-जुला शोर मानों उसे चिढा रही थी। आधुनिक कोठी के पिछवाड़े सेवकों के लिए बने हुए छोटे-छोटे कमरे। जिसमें गोपू अपनी मां के साथ रहता है। मां के आंचल का सुख उसे यहीं मिलती है। थका-हारा जब वह … Read more

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