एक पश्चाताप ऐसा भी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शुभम-“पापा, कल मेरे स्कूल में फंक्शन है। सबके पेरेंट्स आ रहे हैं। आप और मम्मी भी मेरा डांस देखने के लिए आना।”  पापा जिनका नाम नवीन था-“बेटा, तुम्हें तो पता है मैं नहीं आ सकता। मुझे बहुत सारे पेशेंट देखने है। मम्मी से कहना आने के लिए और यह क्या … Read more

अपमान : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  मां! “आज आप मेरी निगाहों से गिर गईं ।एक औरत हो कर आपने सरे आम इतने सारे रिश्तेदारों के बीच काव्या के घर वालों का मजाक बनने दिया। आपने जरा सा नहीं सोचा कि उसके दिल पर क्या गुजर रहा होगा जब उसकी गरीबी का मजाक बन रहा था और … Read more

एक बार फिर (भाग 29) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

पिछले भाग में शेखर अपने और रिनी के रिश्ते के बारे में प्रिया को सब कुछ बताता है। प्रिया सोचती है कि शेखर रिनी को हराने के लिए इस शादी को करना चाहता है। उसका मकसद रिनी को नीचा दिखाना है। इसलिए वह कोर्ट मैरिज का प्रपोजल रख रहा है। वो नाश्ते पर दी के … Read more

वो सुबह कभी तो आएगी – पूनम वर्मा

मोबाइल पर स्क्रॉल करते हुए एक तस्वीर पर अचानक नजर ठिठक गई । अरे ! यह तो बिंदिया है ! क्या बात है !बिंदिया आज हवाई जहाज में सफर कर रही है ! अपनी बेटी और दामाद के साथ उसकी तस्वीर कितनी प्यारी लग रही है । उसके चेहरे की आभा आकर्षित कर रही है … Read more

गलती कर दी घर से भागकर- अनिता शर्मा बुंदेलखंडी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुनसान सड़क के बीचों बीच आंखों में आंसू लिए खड़ी निया समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर वो किस तरफ जाए। उसने एक बार फिर नजरें उठाकर चारों तरफ देखा सारा शहर नींद के आगोश में जा चुका था। उसे लग रहा था कि सड़क के दोनों ओर … Read more

एक नारी का संघर्ष – संजु झा

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।” वर्षों पूर्व   कवि मैथिलीशरण  गुप्त  द्वारा नारी  के प्रति कही गई  उपरोक्त पंक्तियों में अब बदलाव देखने को मिल रहें हैं।अब नारी के आँचल में केवल दूध और आँखों में पानी नहीं रह गया है,बल्कि उनके जीवन में संघर्ष भी … Read more

सदा सुखी रहो – प्रीति आनंद

आज इंदू के विवाह की पच्चीसवीं वर्षगाँठ थी… क्या कहते हैं इसे … सिल्वर जुबली! “तो मैडम कैसे मनाना है ये दिन?” जतिन ने प्यार से ठुड्डी उठाते हुए उसके नयनों की गहराइयों में झाँकते हुए कहा, “पार्टी दें दोस्तों को?” “न-न बस हम-तुम और बच्चे ही साथ में मनाएँगे, किसी और की क्या ज़रूरत?” … Read more

अनचाही पत्नी –  मुकुन्द लाल 

   जम्मू जंक्शन से गाड़ी खुल गई थी। राजेश सात वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर की सीमा से अवकाश लेकर अकेले ही घर लौट रहा था। क्योंकि विशेष परिस्थिति में उसकी पत्नी को छुट्टी नहीं मिली। वह सीट पर बैठा बाहर के घूमते हुए पेङों, पहाड़ों, खेतों को देख रहा था। ज्यों-ज्यों गाड़ी कश्मीर के इलाकों से … Read more

समझौता – पुष्पा पाण्डेय 

कांता जीवन भर समझौता ही तो करती आई है। अब जीवन के इस मोड़ पर वह थक चुकी है। मानसिक थकान असहनीय हो चुकी है। बचपन से लेकर आज तक समझौता ही तो किया।——– बचपन से डाॅक्टर बनने का सपना देखा था, पर पिता जी विज्ञान विषय से दूर रहने को कहा, क्योंकि उसके लिए … Read more

” ज़िंदगी से लड़कर कथिर से कुंदन बन गई” – भावना ठाकर ‘भावु’ 

वंदना आज कलेक्टर की कुर्सी संभालने जा रही थी, उस सम्मान में एक समारोह रखा गया। पूरा हाॅल बड़े-बड़े  अधिकारियों और कुछ रिश्तेदारों से खिचोखिच भरा हुआ था। वंदना खोई-खोई दोहरे भाव से जूझ रही थी गरीबी, ससुराल वालों की प्रताड़ना घर-घर जाकर खाना बनाकर पाई-पाई जोड़कर पढ़ना वगैरहे एक-एक घटना किसी फ़िल्म की तरह … Read more

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