विश्वास की डोर – के आर अमित : Moral Stories in Hindi

अब हर रोज वो गुड मॉर्निंग गुड़ नाईट का मैसेज करता। खाना खाया की नही क्या बनाया आज बगैरह बगैरह। काफी दिन तक राधा उसे नजरअंदाज करती रही मगर मैसेज पढ़ती रोज थी ये बात साकिब को पता थी।

कुछ दिन बाद साकिब ने शुभरात्रि का मैसेज किया किस्मत से राधा उस बक्त ऑनलाइन थी। जैसे ही मैसेज सीन दिखा तो साकिब ने साथ के साथ आठ दस मेसेज और कर दिए कैसे हो ,क्या कर हो ,आप तो बात ही नही करते, हम इतने भी बुरे नही है, बात करने से क्या होता है ,हम कौन सा आपको फ़ोन से निकलकर खा जाएंगे।

राधा ने मेसेज तो पढ़े मगर जवाब नही दिया अब साकिब ने आखरी दांव चला और मैसेज किया एक इमोशनल इमोजी के साथ और लिखा कि चलो कोई बात नही आप शायद हमसे बात नही करना चाहते हमारी शक्ल आपको इतनी बुरी लगी चलो कोई बात नही अच्छा सिर्फ एक बात का जवाब दो बस वायदा करता हूँ आज के बाद मेसेज नही करूँगा। साथ मे हाथ जोड़ने वाला इमोजी भेज दिया।

अब राधा ने सोचा कि इतने दिन से मेसेज कर रहा है चलो एक जवाब देने में क्या है। राधा ने लिखा आप हो कौन क्यों आप इतने दिन से मेसेज कर रहे हो आपको समझ नही आ रहा कि मैं आपसे बात नही करना चाहती। 

साकिब ने झट से जवाब दिया और कहा कि अरे नही मैं माफी चाहता हूं कि इतने दिन आपको परेशान किया मैं तो सिर्फ आपसे एक बात पूछना चाहता था अगर आप बुरा न माने तो छोटा सा सवाल है प्लीज।

राधा ने लिखा बोलो जल्दी मेरे पास ज्यादा टाइम नही है।

साकिब ने मेसेज किया कि मुझे सिर्फ ये जानना था कि आप नाश्ते में फेयर एंड लवली खाती हो या कोई हर्बल क्रीम?😊😊

राधा ने जवाब दिया ये क्या बेहुदा सवाल है क्रीम कौन खाता है नाश्ते में?

बस अब साकिब ने उसे जवाब देने का मौका ही नही दिया और लगातार दस बारह मैसेज कर दिए

वो दरअसल आपका चेहरा सूरज की रोशनी की तरह चमकता है इतना ग्लो है आपके चेहरे पे ये किसी बटर क्रीम से तो नही आ सकता न? इसलिए मुझे लगा कि शायद..

आप अपनी आंखों को देखिए किसी शांत समन्द्र की तरह शीतल और गहरी है मेरे जैसा कोई अनजान आदमी जिसे तैरना न आता हो एक बार देखे तो इनमें डूबकर ही मर जाए।

अपनी इन काली जुल्फों को देखिए सावन के महीने के काली घटाओं की तरह लहलहाती हुई कोई जंगल का मोर देख ले तो काले बादल समझकर नाचना शुरू कर दे।

आपका ये पूर्णिमा के चांद सा गोल चेहरा ऐसा रोशन की आपको रात में बिजली जलाने की जरूरत ही नहीं पडती होगी आप अंधेरे कमरे में बैठ जाएं तो कमरा बैसे ही जगमगा उठता होगा।

राधा अभी कुछ टाइप करने ही लगती है कि… अगला मेसेज

और आपके ये गुलाब की पंखुड़ियों से गुलाबी होंठ शायद गुलाब भी इन्हें देखकर शर्मा जाता होगा।

और हां आपके ये मोतियों से चमकते दांत जब आप मुस्कुराती हो तो ऐसा लगता है मानो कई मोती एकसाथ चमक रहे हों।

राधा अब मन ही मन मुस्कुराती है और कहती है आपको ये सब कैसे मालूम आपने मुझे कहाँ देखा?

साकिब कहता है आपकी तसबीरें जो हैं फेसबुक पे आप खुद ही देखो न आप कितने खूबसूरत दिखते हो।

ओके अब तारीफ बहुत हो गई मुझे सोना है आप तो लगता है फ्री हैं कोई काम नही है आपको मुझे सुबह जल्दी उठकर घर के काम भी करने हैं। bye

 साकिब ने भी जवाब में कहा..  थैंक यू आपने अपना इतना कीमती समय दिया मुझे तो उम्मीद ही नही थी कि कभी आपसे बात हो पाएगी कभी आप जवाब देंगी अच्छा अब गुस्सा मत होना आज के लिए ये आखरी मेसेज है bye शुभरात्रि।

राधा की आंखों से नींद गायब हो चुकी थी वो बार बार सामने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में कभी अपनी आंखे निहार रही थी कभी जुल्फें तो कभी अपना चेहरा। जैसे कैसे वो सोई सुबह उठी तो देखा साकिब ने फूलों के साथ गुड मॉर्निंग मेसेज किया था। राधा ने भी गुड मॉर्निंग लिखके भेज दिया।

अब क्या था अब तो लगभग हर शाम को दोनों चैट करते अपने दिल की बाते सांझा करते क्या खाया क्या बनाया तबियत कैसी है अपना ख्याल रखा करो किसी चीज की जरूरत हो तो

मुझे बताना कोई टेंशन मत लेना मुझे अपना दोस्त ही समझो क्या हुआ जो हम आपके सगे नही है कभी मिले नही जरूरी तो नही की अच्छे दोस्त होने के लिए मिलना ही जरूरी है कुछ रिश्ते दिलों के होते हैं रूहों के होते हैं जो असल रिश्तों से ज्यादा गहरे होते हैं।

ऐसी ही बातें थी जो राधा के मन मे एक कोने में घर बना रही थीं धीरे धीरे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए। राधा को अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता जिसको सुनने के लिए कई सालों से उसके कान तरस गए थे।

अब तो मानो राधा की नीरस जिंदगी में बहार आ गई थी सबकुछ खूबसूरत लगने लगा था अब वो अचानक ही हंसने लगती और सपनों की दुनिया मे खोई रहती। वो भूल गयी कि उसका एक पति और छः साल का बेटा भी है।

दरअसल राधा का पति सोलन में एक फैक्ट्री में काम करता था और वहीँ किराए के कमरे में रहता था बारह घण्टे की ड्यूटी के बाद थका हुआ कमरे में आता आकर रोटी सब्जी बनाना उसे समय ही नही मिलता राधा को फोन करने का हफ्ते में छुट्टी के दिन ही वो बात करता बात भी क्या वो ही हाल चाल गांव मोहल्ले की बात पूछता और कह देता की अभी मार्किट जाना है

सब्जी लाने पूरे हफ्ते की एक ही बार लानी होती थी। राधा को ये सब बुरा लगता वो सोचती थी कि मेरा पति मुझे प्यार नही करता कभी रोमांटिक बातें नही करता कभी मेरी तारीफ नही करता मेरी कोई कद्र ही नही है

मैं तो बस नौकरानी हुन उसके घर का ख्याल रखूं उसके बच्चे को देखूं झाड़ू पोछा करूँ बस। मगर वो ये नही सोचती की वो दिन रात काम कर रहा है ताकि उसकी बीबी बच्चा खुश रह सके ताकि उन्हें कोई कमी न हो ये प्यार नही तो क्या है। 

इधर राधा और साकिब की दोस्ती गहरी होती गई मौका देखकर साकिब ने उसे मिलने का प्रस्ताव रखा जिसपर राधा ने साफ इंकार कर दिया मगर साकिब चालाकी से उसे कहता है कि मिलने को मैं कौन सा अकेले में बुला रहा हूँ इतना भी भरोसा नही है क्या हम सिर्फ बस अड्डे के पास दो मिनट के लिए मिलेंगे आप चाहो तो एक एक कप चाय पी लेंगे बस और मैं कहाँ आपसे कह रहा हूँ

कि कुछ और। राधा थोड़ा आनाकानी करते हुए बोली मगर आप हैं कहाँ से ,आप कैसे आओगे बस अड्डे, हमने तो कभी एकदूसरे को देखा तक नही है? इसपे साकिब झट से कहता है कि आप फ़िकर न करें आप धरती के जिस भी कोने में होंगे मैं पहुंच जाऊंगा आप तो बस इतना बताओ कि आप कब आओगे मार्किट में सामान लेने के लिए।

राधा बोली मार्किट तो मुझे बैसे भी जाना है परसों घर का कुछ सामान लेने तो साकिब बोला कि बस हो गया डन अब परसो ही मिलेंगे मगर एक कप चाय तो पिलाओगे न मुझे? खैर मिलने की बात पक्की हुई वो दोनों तय दिन मिलते हैं

राधा देखकर हैरान हो गई कि साकिब कोई और नही बल्कि बही शख्स था जिससे वो अपना फ़ोन रिचार्ज करवाती थी बहीं से साकिब को उसका नम्बर मिला था और उसने मेसेज किया था मगर साकिब देखने मे एक दम हीरो जैसा था राधा ने उस दिन उसी की दुकान में बैठकर चाय पी साथ मे साकिब ने उसके बेटे को मिठाई और कुछ खिलोने भी लेकर दिए।

अगली ही मुलाकात में राधा बच्चे को स्कूल छोड़कर अकेली मिलने जाती है दो चार  मुलाकातों में ही उनके संवंध बन गए। अब हर पन्द्रह दिन में वो बाजार जाने लगी गांव वालों को शक तो था ही अब कईयों ने उसे साकिब की दुकान पे बैठे कई बार देख लिया। लोगों की नजर से भला ये इश्क मुश्क कबतक छुपते हैं गांव के लड़कों ने एक दिन उसका पीछा किया

और उसे साकिब की दुकान के पीछे बने कमरे में रंगे हाथों पकड़ लिया। अब क्या था बात पूरे गांव से फैलती हुई उसके पति तक जा पहुंची। उसका पति अनिल घर आता है बहस होती है और वो राधा को थोड़ा गली गलौच करके थपड मार देता है। अगली ही सुबह राधा मौका पाकर सारी बात साकिब को बताती है कि मेरे पति ने मुझे बहुत मारा। साकिब गुस्से में लाल होते हुए कहता है

ऐसे जल्लाद के साथ तुम कैसे रह सकती हो एक औरत पे हाथ उठाते उसे शर्म नही आई ऐसे घटिया इंसान के साथ तुम कबतक रहोगी? देखो तुम अभी इसी बक्त मेरे पास आ जाओ मैं तुम्हे इस हालत में नही रहने दे सकता वो थोड़ा और उकसाता है और राधा अपने पति बच्चे को छोड़कर उस रात को ही निकल जाती है। वे दोनों भागकर अम्बाला पहुंच जाते हैं

साकिब ने रहने का इंतज़ाम पहले ही अपने एक दोस्त के यहां करवा रखा था दरअसल साकिब रहने वाला तो बंगाल का था मगर दुकान राधा के शहर में करता था उसके जान पहचान के कई लोग अम्बाला में कपड़े का काम करते थे उन्होंने उनके रहने के लिए एक कमरा किराए पे दिलवा दिया।

उधर अनिल ने राधा की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखवाई अगर इससे पहले की थाने वाले उसे ढूंढते उसने खुद ही अनिल को फोन करके सब बता दिया कि अब वो अपनी मर्जी से साकिब के साथ जा रही है उसे ढूंढने की कोशिश न करे। अनिल ने नौकरी छोड़ दी और अपने बेटे के साथ घर मे रहने लगा बच्चा अभी बहुत छोटा था

इसलिए अनिल पूरा दिन मजदूरी भी नही कर सकता था तो उसने उसके स्कूल के समय तक साईकल पर कुलचे चने बेचने शुरू कर दिए जैसे ही स्कूल का टाइम खत्म होता तो वो साईकल लेकर स्कूल के गेट के बाहर खड़ा हो जाता जिससे उसके कुछ कुलचे और बिक जाते और फिर बाप बेटा एकसाथ घर आ जाते।

अनिल अंदर ही अंदर बदनामी से घुट रहा था मगर वो किसी से खुलकर कुछ नही कहता था बस अपने काम मे लगा रहता चार पांच महीने गुजर गए साकिब अब अपने घर जाना चाहता था राधा भी साथ जाने की जिद्द करने लगी मगर साकिब अभी उसे साथ न ले जाकर कुछ दिन और इंतज़ार करने को कहने लगा राधा की जिद्द बढ़ती जा रही थी वो साकिब को अपने घर बात करवाने के लिए जिद्द करने लगी साकिब कुछ दिन टालता रहा मगर आज राधा अड़ गई

तो साकिब ने उसे कहा कि अब नही मानती हो तो सुनो मेरी घर मे बीबी और तीन बच्चे हैं बोलो क्या तुम रह लोगी उन लोगों के साथ अगर रह लोगी तो चलो ले चलता हूँ। राधा अबाक सी रह गई उसे लगा कि वो मजाक कर रहा है मगर अब साकिब ने उसके सामने अपनी बीबी को वीडियो कॉल किया और उसे एक तरफ खड़े होकर देखने को कहा

साकिब ने अपनी बीबी बच्चों से बात की तो राधा का गुस्सा आसमान छूने लगा उसने साकिब का गला पकड़कर थप्पड़ रसीद कर दिया और बोली कि मै तुम्हारे खिलाफ पुलिस में जाऊंगी और धोखाधड़ी और रेप के केस में जेल भिजवाऊंगी। साकिब कमरे से बाहर निकल जाता है तो राधा को अब पति की याद आती है वो पति को फ़ोन करके उसे सारी बात बता रही होती है

तब तक साकिब बापिस आ जाता है और दरवाजे के पास खड़ा होकर ये सब सुनकर घबरा जाता है उसे लगता है कि अगर ये बापिस जाकर पुलिस को बता देगी तो उसके सारे पर्दे उठ जाएंगे क्योंकि उसकी जिंदगी में राधा अकेली नही थी वो अपना आपा खो देता है और उसके बाल पकड़कर लात घूसों की बरसात कर दी

पांच मिनट की मार से उसके पूर्णिमा के चांद जैसे चेहरे पे नीले रंग के बादल बन गए उसकी सागर सी गहरी आंखों में पानी तो था मगर वो गहरी न होकर उथली हो गईं थी जो बाहर निकलने को बेताब थीं उसके काली घटाओं से बाल अब साधु की जटाओं जैसे हो गए थे

गुलाबी होंठ काले पड़ गए थे और मोतियों से चमकते हुए कुछ दांत जमीन पर गिरे थे मगर अभी भी साकिब का गुस्सा शांत न हुआ उसने उसके दुपट्टे से उसका गला तब तक घोंटा जबतक वो मर न गई।

जब तक साकिब होश में आया राधा दुनिया से जा चुकी थी साकिब ने कुछ देर सोचा फिर बाजार से जाकर एक सुटकेस लेकर आया उसने राधा को उसमे भरा और रात के अंधेरे में जाकर कचरे के डिब्बे में डाल दिया। अगले दिन सुबह ही वो अपने गांव निकल गया। नगरनिगम की गाड़ी कचरा उठाने आई तो नया सूटकेस देखकर उन्हें शक हुआ

कुछ लोगो ने इकट्ठा होकर सूटकेस खोला तो उनकी आंखें फ़टी रह गई सूटकेस में लाश के पैर उसके सिर से बांधकर डाला गया था। उसके चेहरे के निशान अभी ताज़े थे पुलिस को बुलाया गया पुलिस ने आसपास पूछताछ की तो पता चला कि वो लोग पांच छः महीने पहले ही बहां आए थे। लाश की फ़ोटो अखवार में छपी तो किसी ने अनिल को उसके बारे में बताया

अनिल ने फ़ोटो देखकर राधा की शिनाख्त की और फूट फूटकर रोने लगा और लाश को अपने साथ ले आया अनिल ने पूरे रीति रिवाज से उसका संस्कार किया वो रो रोकर यही कह रहा था कि मैं तुम्हे बहुत प्यार करता था खुद से ज्यादा भरोसा करता था

माना कि वक्त नही दे पाता था मगर उसकी इतनी बड़ी सज़ा दोगी। मैंने कभी सोचा नही था अगर मुझसे कोई गुनाह हुआ था तो उसकी सजा अपने बच्चे को क्यों दी वो कैसे तरसता है तुम्हारे लिए कभी सोचा क्यों नही अब कौन उसका ख्याल रखेगा। कैसे जिएगा वो सारी जिंदगी माँ के बिना एक बार सोच लेती।

लोगो ने उसे ढांढस बंधाने की कोशिश की मगर वो लगातार यही कह रहा था कि ये कत्ल तुम्हारा नही भरोसे की उस डोर का है जिससे हमारी सांसे बंधी थी तुमने भरोसे की वो डोर नही तोड़ी तीन जिंदगियों को खत्म कर दिया।

साकिब ने जो भी पता ठिकाना बताया था वो सब फर्जी था पुलिस अभी भी हर संभावित ठिकाने पर उसे तलाशने की लगातार कोशिश कर रही है।

                 के आर अमित

       अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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