पाणीग्रहण – किरण केशरे : Short Stories in Hindi

ढोलक की थाप पर विवाहगीतों की ध्वनि बिखर रही थी शादी के पंडाल में और ढोल पर सरिता की सहेलियाँ और बहन नाच रही थी, इत्र, और ताजे गेंदा, गुलाब के हार जयमाल की रस्म के लिए टोकनी में रखे थे ;

सरिता को छोटी बहन ने बहुत ही सुंदर तैयार किया था,सुर्ख जोड़े में बहुत में बहुत सुंदर और सौम्य लग रही थी, इसी वर्ष उसने एमबीए किया था, जॉब सर्च कर ही रही थी की राजेश के यहाँ से उसके लिए रिश्ता आ गया था,

इस आश्वासन के साथ की सरिता शादी के बाद भी अगर जॉब करना चाहेगी तो हमें कोई एतराज नही होगा। सरिता की इच्छा नही थी लेकिन छोटी एक बहन और भाई  भी था, पिताजी के रिटायरमेंट को भी ज्यादा समय नही बचा था,एक स्कूल में प्रायमरी शिक्षक थे सदाशिव जी ;

ऐसे में सामने से इतना धनी और अच्छा रिश्ता आया था, राजेश भी अच्छी कम्पनी में था और एक छोटी बहन थी नीरा , राजेश के पिता रिटायर अधिकारी थे कुल मिला कर परिवार सम्पन्न था।
सरिता भी पिता की मजबूरी समझ रही थी, इसलिए वह राजी हो गई थी शादी के लिए !

बाहर बारात आ गई, बारात आ गई का शोर मच गया था, सरिता को उसकी सहेलियाँ खींच कर पंडाल के कोने में ले आई थी, घोड़े पर सवार राजेश जोधपुरी सूट और सेहरे में जंच रहा था ।
सहेलियाँ सरिता को छेड़ रही थी, और सरिता शर्म से लाल हुई जा रही थी। बहुत नसीब वाली है हमारी सरिता जो ऐसा वर और संपन्न घर मिला, बड़ी बुआ बलैया लेते नही थक रही थी ;

बारात आने पर द्वाराचार की रस्म हुई ,फेरों का वक्त आ गया था, राजेश अपने मित्रों के साथ मंडप में आ गया ,सहेलियाँ भी सरिता को भी मंडप में ले आई थी राजेश के दोस्त भी अब ज्यादा ही उत्साह में आ गए थे लड़कियों को देखकर…\

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पण्डित जी ने विवाह की रस्में पूरी की और सात फेरे सात वचनों के साथ पूरे हुए फेरों के समय सरिता को महसूस हो रहा था की राजेश के कदम लड़खड़ा रहे थे, साथ ही उसके दोस्त उसे बड़ी होशियारी से सम्हाल भी रहे थे ;
अजीब लग रहा था उसे ; जयमाल की रस्म के लिए दोनों के हाथों में हार दिये पहनाने को तभी; राजेश जयमाल के हारों को देखते ही बोल पड़ा !

ये कैसे हार है ,सस्ते से ! सरिता चौक गई राजेश के शब्दों पर, आवाज़ भी लड़खड़ाती  सी लगी थी,उसके दोस्त भी हँस रहे थे हार को देखकर, सरिता के पिताजी स्थिति को सम्हालने की कोशिश में बोले थे

अरे बेटा ; हम अभी इनसे भी बढ़िया जयमालाएँ बुलवा लेते हैं ; जाओ महेश बहुत बढ़िया से दो हार जल्दी से लेकर आना..सदाशिव जी बेटे से बोले…वो जानते थे की बहुत बढ़िया वाले हार बहुत महंगे आएँगे, लेकिन वे अपने नवीन जमाता को अभी से नाराज नही करना चाहते थे ;
अब रहने भी दीजिये अंकल…इसी से..इसी से…काम चला लेंगे राजेश के शब्द अटक कर निकल रहे थे,पता नही आगे भी ऐसी ही खस्ताहाल सी व्यवस्था ही होगी खैर…पिता..पिताजी का आदेश तो मानना ही पड़ा सो शादी तो…करना ही थी, कहकर राजेश उपेक्षा से मुस्कुराने लगा ;सरिता को लगा मानो कोई चलचित्र  दु:स्वप्न सा ही गुजर रहा था ,

आँखों के सामने पिताजी का उतरा हुआ अपमानित चेहरा उसके सामने था, राजेश के शब्दों से उसके आत्मसम्मान को भी चोट लगी थी,और राजेश के डगमगाते कदमों देखकर तो जैसे गुस्से से बिफर ही पड़ी, अपने चेहरे का घुँघट को एक झटके से ऊपर करते ही बोली, महानुभव, आपके पास मेरे पिता नही आए थे,आपके ही पिता ने रिश्ता भिजवाया था मेरे पिताजी के पास !

लेकिन आपकी  आज की स्थिति देखकर मैं समझ सकती हूँ की आपके पिता ने क्यों गैर बराबरी में मुझ जैसी साधारण घर की कन्या को लेने का निर्णय क्यों लिया होगा !
मेरे पिता ने अपनी क्षमता के अनुसार विवाह की अच्छे से अच्छी व्यवस्था करने का प्रयास भी किया था,

लेकिन अब मैं इस विवाह को नकारती हूँ, जो इंसान मेरे जन्मदाता का मानभंग अभी मेरे सामने ही कर रहा है,वह कभी मुझे भी जीवन में सम्मान नही दे सकता! और मैं अपने पिता का अपमान कभी सह नही सकती।

आप मेरे लायक नही है!
बेटी ये क्या कह रही हो ? सदाशिव जी कातर स्वर में बोल उठे ,तुम्हारा पाणीग्रहण हो चुका है,अब बारात खाली हाथ जाएगी तो लोग तरह तरह की बातें बनाएँगे ; सदाशिव जी का  कंठ रुंध गया था।
सरिता अपने पिता के हाथों को अपने हाथ में लेकर भीगे स्वर में कहने लगी, पापा आपने जब मेरे रिश्ते की बात कही थी तब मैं विवाह नही करना चाहती थी, लेकिन आपके कहने पर मैं विवाह के लिए राज़ी हो गई थी,

क्योंकि आपने हम भाई बहनों के लिए माँ की भूमिका भी निभाई है और माँ की कमी कभी महसूस नही होने दी,और आज एक व्यक्ति जो मुझे जीवन भर साथ रखेगा वही आपका अपमान सरे राह कर रहा है वो ;

अहंकारी व्यसनी *पुरुष* मुझे भविष्य में सम्मान से साथ में रख पाएगा क्या ? हम कमजोर परिस्थिति वाले हैं तो क्या हमारा सम्मान कम हो गया ? नही पापा ; मैं इस रिश्ते को अब स्वीकार नही कर पाऊँगी! सरिता ने कहा और सदाशिव जी का हाथ पकड़कर मंडप से निकल पड़ी।

 
किरण केशरे

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