वो बुला रही है मुझे” (भाग – 2 ) – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मित्रों कल पोस्ट की हुई इस कहानी में आपने पढ़ा कि नन्हा बालक माधव अपने पिता की सीख “यह पेड़ हमारा साथी बनकर आजीवन साथ देगा” को मन में गाँठ बानकर रख लेता है, वह उस पेड़ की अच्छे से देखभाल करता है, 12-13 वर्षों में माधव युवा हो चुका … Read more

वो बुला रही है मुझे” – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : माधव की उम्र तब मात्र 4 वर्ष का थी, जब एक दिन वह पिताजी की उंगली पकड़कर घर से थोड़ी दूर स्थित छोटी पहाड़ी पर उछलते-कूदते जा रहा था, तभी उसने देखा कि आम के एक पौधे को बकरी खा रही है.. पिताजी ने उस बकरी को भगाकर, उस पौधे … Read more

गलती कर दी घर से भागकर- अनिता शर्मा बुंदेलखंडी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुनसान सड़क के बीचों बीच आंखों में आंसू लिए खड़ी निया समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर वो किस तरफ जाए। उसने एक बार फिर नजरें उठाकर चारों तरफ देखा सारा शहर नींद के आगोश में जा चुका था। उसे लग रहा था कि सड़क के दोनों ओर … Read more

लड़के वाले (भाग -13) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेशजी और उनके परिवार को अपने बड़े बेटे उमेश के लिए लड़की शुभ्रा पसंद आ चुकी हैं… पर उमेश के अनाथ होने का पता जब लड़की वालों को चलता हैं तो बड़ी असमंजस की स्थिति आन पड़ती हैं कि एक अनाथ लड़के … Read more

पन्ना का रिश्ता – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पति की तेरहवीं पर किशोरवय बेटी का हाथ पकड़े लिपट कर रोती हुई पन्ना बेबस सी सास और ननद का ये इल्जाम मेरे बेटे को मेरे भाई को यही मनहूस खा गई.. उफ्फ लग रहा है जैसे कलेजे में खंजर घुसेड़ कर घुमा दिया हो.. आज का दिन हीं मिला … Read more

*नसीहत* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

किशोर कक्षा दसवीं का छात्र था। वह धनवान माता पिता की इकलौती संतान, पढ़ने लिखने में होशियार, एक अच्छा खिलाड़ी था। मगर उसमें एक बुराई थी, स्कूल में कोई भी गतिविधि होती तो वह अपनी टॉंग अड़ाए बिना नहीं रहता, उसे कोई काम करना नहीं रहता। वह बस सब कार्य के बीच टांग अड़ा कर … Read more

एक नारी का संघर्ष – संजु झा

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।” वर्षों पूर्व   कवि मैथिलीशरण  गुप्त  द्वारा नारी  के प्रति कही गई  उपरोक्त पंक्तियों में अब बदलाव देखने को मिल रहें हैं।अब नारी के आँचल में केवल दूध और आँखों में पानी नहीं रह गया है,बल्कि उनके जीवन में संघर्ष भी … Read more

सदा सुखी रहो – प्रीति आनंद

आज इंदू के विवाह की पच्चीसवीं वर्षगाँठ थी… क्या कहते हैं इसे … सिल्वर जुबली! “तो मैडम कैसे मनाना है ये दिन?” जतिन ने प्यार से ठुड्डी उठाते हुए उसके नयनों की गहराइयों में झाँकते हुए कहा, “पार्टी दें दोस्तों को?” “न-न बस हम-तुम और बच्चे ही साथ में मनाएँगे, किसी और की क्या ज़रूरत?” … Read more

अनचाही पत्नी –  मुकुन्द लाल 

   जम्मू जंक्शन से गाड़ी खुल गई थी। राजेश सात वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर की सीमा से अवकाश लेकर अकेले ही घर लौट रहा था। क्योंकि विशेष परिस्थिति में उसकी पत्नी को छुट्टी नहीं मिली। वह सीट पर बैठा बाहर के घूमते हुए पेङों, पहाड़ों, खेतों को देख रहा था। ज्यों-ज्यों गाड़ी कश्मीर के इलाकों से … Read more

समझौता – पुष्पा पाण्डेय 

कांता जीवन भर समझौता ही तो करती आई है। अब जीवन के इस मोड़ पर वह थक चुकी है। मानसिक थकान असहनीय हो चुकी है। बचपन से लेकर आज तक समझौता ही तो किया।——– बचपन से डाॅक्टर बनने का सपना देखा था, पर पिता जी विज्ञान विषय से दूर रहने को कहा, क्योंकि उसके लिए … Read more

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