ममता -भावना कुलश्रेष्ठ : Moral Stories in Hindi
बरामदे में पड़ी झूली हुई सी कुर्सी अब भी वहीं थी — जहाँ वह हर शाम बैठा करती थी। दीवार पर घड़ी की टिक-टिक चलती रही, लेकिन कमरे में कोई आवाज़ नहीं थी। ना ही, अब यहाँ कोई उसे “माँ” कहकर पुकारता। कांता देवी — नाम जितना तेज, अब जीवन उतना ही मद्धम। एक समय … Read more