बाबुजी – पुष्पा पाण्डेय

पंडित जी! सुने है अपनी बिटिया की शादी वकील साहब के बेटे से कर रहे हैं?” “सही सुना है आपने रामदीन जी।सब भगवान की कृपा है।” पंडित जी की बेटी वाणी भी तो रूप और गुण दोनों की मल्लिका थी। सितार वादन में निपुण काॅलेज की टाॅपर थी। वाणी आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन पिता … Read more

ससुराल में उपहारों से नहीं, प्यार  से सम्मान मिलता हैं.. – -संगीता त्रिपाठी

    ” मम्मी आप इतनी कम मिठाइयाँ भेज रही हो,मेरी ससुराल वाले क्या कहेँगे ड्राई फ्रूट्स भी कम हैं।शुभ अवसरों पर मेरी देवरानी के घर से इक्कीस किलो से कम मिठाई आती ही नहीं। आपने मेरी सासु माँ की सोने की जंजीर भी हल्की खरीदी जबकि प्रिया के घर से तो पूरा सेट आया था सासु … Read more

डैडी  – सीमा बी.

#पितृ दिवस विशेष हम भाई बहन जहाँ पैदा हुए थे वे एक छोटा सा गाँव था। किसान परिवार था। आज से तकरीबन 50 साल पहले गाँव में पापा को बाऊजी, पापा या बाबूजी के संबोधन से ही बुलाया जाता था पर हम पापा को डैडी कहते थे। हमारा ननिहाल दिल्ली में था तो ये शब्द … Read more

मेहमान – अनु मित्तल “इंदु”

दीवाली से कुछ दिन पहले ही हमारे सब दोस्तों के यहाँ ताश के सेशन शुरू हो जाते थे। दिवाली के अगले दिन अन्नकूट पर मैं सब को इनवाइट  कर लेती थी।सारा खाना 56 भोग बड़े शौक़ से  तैयार करती थी।हमारा छःसात फ्रेंड्स का ग्रुप था। सभी अपने परिवार सहित आते थे। कुल मिला कर 30-35 … Read more

 ” श्रेया फिर चीख पडी ” – उमा वर्मा

#चित्रकथा श्रेया अब बडी  हो गई है ।वह शादी शुदा है और एक अच्छी और सुखी जीवन बिता रही है ।लेकिन बीता हुआ कल आज भी उसका पीछा नहीं छोड़ता ।कुछ साल पहले की ही तो बात है जब—– ” क्या हुआ बेटा ” क्यो चीख रही थी तुम ” कोई बुरा सपना देखा क्या? … Read more

वादा – प्रीति आनंद

“आँटी जी, आप हमें कबसे पढ़ाना शुरू करेंगी?” नन्ही-सी लक्ष्मी का सवाल सुन सुमन चौंक गई। अतीत के अंधकार में जी रही सुमन को मानो उस छोटी बच्ची ने वर्तमान में घसीट लिया हो! कोठियों पर काम करने वाली महिलाओं के बच्चों को वह काफ़ी सालों से घर पर पढ़ा रही थी परंतु पति के … Read more

अनमोल तोफा – पुष्पा पाण्डेय

मुस्कान और खुशी दोनों बहनें अपने पापा की धड़कने थीं। माँ की मौत के बाद पापा ने ही तो माँ-बाप दोनों बनकर अपनी बच्चियों की परवरिश की। मुस्कान शायद अपनी माँ को याद करती हो, पर खुशी के लिए तो माँ भी और पापा भी दोनों एक ही थे। तब खुशी छे साल की रही … Read more

अनुत्तरित प्रश्न…!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

सच कहूँ तो पितृ दिवस क्या होता है..कभी जाना और महसूस ही नहीं किया मैने….. एक अरसा हुआ आपको मुझे और हम सभी को यूँ अकेला छोड़ कर गए हुए..तब से लेकर आज तक जाने कितने पल आएं और कितने गएं,ना जाने कितने ही रंग शामिल हुए जीवन में मेरे..लेकिन उस दिन के बाद मेरे … Read more

आखिरी बार – कंचन श्रीवास्तव

सुबह के चार बजे थे जब रेखा की आंख बुरे स्वप्न के कारण खुली  , देखती भी क्यों ना आज साल भर होने को आया अस्पताल से घर और घर से अस्पताल की होके रह गई है।सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया है ना समय से खाना ना पीना और न होना, बिल्कुल अनियमित दिनचर्या … Read more

वो अंतिम कुछ क्षण,पापा के संग – डॉ पारुल अग्रवाल

#पितृदिवस पापा,कहने को छोटा सा शब्द पर अपनेआप में पूरी दुनिया समेटे हुए।आपकी कमी को कोई नहीं भर सकता। सब कहते हैं कि मायका माँ से होता है पर मेरे लिये तो मेरा मायका आपसे शुरु होता था। बहुत सारी बातें बिना कहे रह गई। पापा मेरे से दूर उस समय चले गए जब करोना … Read more

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