वापसी ( रिश्तों की) भाग–4 – रचना कंडवाल

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा अपनी बेटी सुनिधि को उसके पिता के बारे में बताती है। कि बाइस साल पहले उन दोनों के बीच क्या हुआ था?? उनके अलग होने की वजह क्या थी?? सुनिधि पूछती है कि क्या आपने उनसे दोबारा मिलने की कोशिश की?? अब आगे– नहीं कभी नहीं। वो सिहर … Read more

बेटी की कीमत – गोविन्द गुप्ता

हरियाणा की एक छोटी सी बस्ती में एक सेठ थे रघुवर सेठ , सैकड़ो बीघे खेती के मालिक ओर चार ट्रैक्टर ,सफारी गाड़ी बड़ी बड़ी मूंछे थी सेठ जी की, खुद का बड़ा खानदान था 5 भाई और 5 बहने सभी सम्पन्न कोई कमी नही  एक दिन सभी एक पास बैठे तो सभी भाई बहन … Read more

रक्त लाल ही होता है, – गोविन्द कुमार गुप्ता

रोशनलाल एक सम्पन्न व्यक्ति थे भरा पूरा परिवार 6 भाई 3 बहन व उनके बच्चे साथ ही प्रतिष्ठा में भी कोई कमी नही थी, खेती के साथ ही व्यापार भी था जो उनके दो बेटे संजय व अजय देखते थे, रोशनलाल खेती में ही व्यस्त रहते थे , सभी बहनो की शादी हो चुकी थी … Read more

विदाई का मंडप – डा.मधु आंधीवाल

आज मां की विदाई का मंडप सजाया जा रहा था । अरे सब सोच रहे होंगे ये कैसे संभव है। नमिता हां यही तो है कनिष्क, शौर्य,रुचि,संवेदना,चारू,तोषी की यशोदा मां । उसने समाज का दंश झेला था  क्योंकि यह किन्नर थी । कोई रात के अन्धेरे में इसे कचरे के ड्रम में कपड़े में लपेट … Read more

अतृप्त.  (हॉरर) – सोनिया निशांत कुशवाहा

जून महीने की तपती दुपहरी में तकरीबन 2 बजे दीप्ति के दरवाजे पर दस्तक हुई। घर में सभी लोग खा पीकर आराम फरमा रहे थे। कूलर पूरी ताकत से गरम हवा की लपटों को ठंडी शीतल बयार में बदलने का प्रयास कर रहा था फिर भी नाकाम सा नज़र आ रहा था। बाहर भीषण लू … Read more

बड़ा भाई पिता समान होता है? – मधु वशिष्ठ

बाबू जी आपके दोनों बेटों के बीच में दरार का कारण आप स्वयं ही हैं। माना आप दोनों बच्चों के सम्माननीय पिता हो और सबके सामने जो कह रहे हो कि मैं अपने दोनों बेटों को बहुत प्यार करता हूं यदि छोटा बेटा बड़े की बुराई भी करता है तो मैं वह भी चुप करके … Read more

एक अनजाना रिश्ता – बालेश्वर गुप्ता,

अरे छोटू, एक आइसक्रीम तो लाकर दे.    तब के इलाहाबाद और आज के प्रयाग में मैं एक मध्यम श्रेणी के होटल में रुका हुआ था. एक लगभग 13 वर्ष का बालक बड़ी ही फुर्ती से वहाँ काम करता रहता था.    अचानक वह मेरे पास आया और बोला साहब बुरा ना माने तो एक बात बोलू? … Read more

प्रारब्ध* – रेखा मित्तल

आंसू झरझ़र बहे जा रहे थे!! कल्याणी देवी बहुत परेशान थी। बार-बार यही बोले जा रही थी, “मेरा बेटा आने वाला है वह बोल कर गया है, कुछ खाने के लिए लेकर आएगा!”      बस स्टैंड पर सुबह से कल्याणी देवी बैठी हुई थी। जब बहुत देर हो गई हो गई तो उसने पुणे जाने वाली … Read more

बूढ़ी अम्मा – सरला मेहता

शीतला सप्तमी होने से सास बहू नहा धोकर रात में ही रसोई में जुट जाती हैं। पूड़ी सब्ज़ी, दही बड़े, गुलगुले आदि भोग के लिए अलग रख दिए हैं। नौकरी पेशा बहू भलीभांति सासू माँ के आदेशों का पालन करती है। पिछली बार चुन्नू को चेचक के प्रकोप से देवी माँ ने ही बचाया, ऐसा … Read more

बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है। – गीतांजलि गुप्ता

“ओ छोरे ठीक से काम कर वर्ना निकाल दूंगा नौकरी से। आलसी कहीं का जल्दी जल्दी हाथ चला कर टेबलें साफ़ कर फिर बर्तन भी धो पोंछ कर लगा सारे।” रोज डयूटी पर आते ही नवीन लाल की यही आवाज़ चौदह वर्ष के कांशी के कानों को चीरती और बेचारा भूखा बच्चा जल्दी जल्दी काम … Read more

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