सिंहनी – सारिका चौरसिया
फुर्ती से सारी जिम्मेदारियां निभाती मन ही मन जानती भी थी कि रिश्ते सिर्फ़ वक्ती हैं,, चाह कर भी ना नहीं कर पाती। हँसती खिलखिलाती वह सदैव हर एक कि मदद को तैयार रहती। उम्र बीतती गयी,, बालों में सफ़ेदी झांकती गयी, गहरी लाल बिंदी और गहरी तथा चेहरे पर मुस्कान की रेखा छोटी! और … Read more