भरवाँ बैंगन – नीरजा कृष्णा

“अरे, सुबह से क्या खटर पटर कर रही हो?” अलसाए हुए माधव जी ने अपनी पत्नी मीरा को टोक ही दिया।   “वो… वो…कुछ खास नहीं। आज मोतियाबिंद का ऑपरेशन होना है। फिर आठ दस कुछ देख सुन नहीं पाऊँगी ना।”   वो चिढ़ गए,”इतनी सुबह फ्रिज में क्या हीरे मोती देख सुन रही हो?” … Read more

पापा की परी –  ऋतु अग्रवाल

आजकल यह शब्द बहुत सुनने को मिलता है पापा की परी।तो मेरी कहानी इसी “पापा की परी” पर आधारित है।     मृदुला और निशी अपनी स्कूटी से बाजार जा रहे थे। उनके पीछे वाली स्कूटी पर दो लड़के बैठे थे जो कोई वीडियो बना रहे थे। काफी देर से मृदुल और निशी की स्कूटी आगे-आगे और … Read more

जीम के जाना – सुनीता मिश्रा

मैने सुबह ही होटल से चेक आउट कर लिया।सोचा कंपनी का काम निपट चुका है ,शाम की फ्लाईट है तो पूरा दिन अपने बचपन के दोस्त राकेश के साथ बिताऊँगा ।अपने आने की खबर मैने उसे कल रात मे फोन पर दे दी थी। उसके घर जब मै पहुँचा तो देखा पुराने छोटे से घर … Read more

अमर प्रेम – रंजना बरियार

हरी मख़मली घास की शीतल छुअन निर्मला जी के तन मन को  शीतल कर रही है। तपती दोपहरी, उसपर से बत्ती गुल, किसी तरह से धीमी गति सें पंखे का घूमना.. बड़ी मुश्किल से दोपहर कट पाई थी..अब सूरज का अस्ताचल हुआ है..माली अभी-अभी लॉन में पानी पटा कर गया है, निर्मला जी और राकेश … Read more

उपहार- मनवीन कौर

शांता बाई मेरे आने से पहले ही ऑफ़िस झाड़ पोंछ कर तैयार रखती थी ।सुगंधित ताजे फूलों का गुलदस्ता मेरा स्वागत करता नज़र आता। मेरे आते ही अभिवादन कर अलमारी से फ़ाइल निकाल  कर मेज़ पर रख देती थी ।कोई काम कहो ,”जी मेडम ,”कह कर  तुरंत काम में लग जाती । बड़ी प्यारी  बच्ची … Read more

संजीवनी बूटी सा मायका — डॉ उर्मिला शर्मा

ट्रैन से उतरकर नम्रता ने आंखों में गहरे उतार लेने वाली नजरों से प्लेटफार्म को देखा। मन एकसाथ घोर अपनापन और परायापन दोनों से भर उठा। यह उसका अपना शहर, अपना मायका है। वह यहां एक दिन के लिए एक सेमिनार में आई थी। घर से निकलते समय पड़ोसन शिल्पा ने उसे लगेज के साथ … Read more

सुकून – अनामिका मिश्रा

रिया . ..रिया ..अजय ने आवाज लगाया। रिया मोबाइल में व्यस्त थी। पास आकर अजय ने कहा,”कब से आवाज लगा रहा हूं,..रिया बाबूजी को चाय बना कर दो,..हर समय मोबाइल में व्यस्त रहती हो…आखिर क्या ऐसा करती हो समझ में नहीं आ रहा! “ रिया ने भी कहा, “क्या करती हूं, अपने सारे काम निपटा … Read more

मां की ममता की छांव में(भाग,दो) – सुषमा यादव

भाग 1  सावन में पड़े जब झूले,, भाई ना बहना को भूले, ,,भाग एक में आपने,,शहर के मायके का टूरिस्ट प्लेस पढ़ा,,, अब आप गांव के मायके का टूरिस्ट प्लेस पढ़िए,, ज़ी हां,सच में मायका एक बेटी के लिए टूरिस्ट प्लेस ही होता है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा,, क्यों कि वहां स्वागत , सेवा सत्कार … Read more

काजू -कमलेश राणा

बचपन में कुछ घटनाएं ऐसी घट जाती हैं जो ताउम्र याद रहतीं हैं। उस समय मेरी उम्र लगभग चार वर्ष थी।पापा की पोस्टिंग उन दिनों छिन्दवाड़ा में थी। उन दिनों आज जैसा माहौल नहीं था।जीवन बहुत ही सरल था। एक दिन हम 4-5बच्चे शाम के समय खेल रहे थे।जब घर आये तो सभी को उल्टियाँ … Read more

फर्ज – सपना चन्द्रा

रत्ना देवी की उम्र हो चली थी। अपने सत्तर बसंत में बीस तो वैधव्य में गुजारा। चार बेटों,तीन बेटियों की माँ थी। पति की मृत्यु के पश्चात बेटों ने बँटवारे में छोड़ा तो सिर्फ रत्ना देवी को। कोई अपने हिस्से में ज्यादा लेना नहीं चाहता था।पुरी ईमानदारी बरती थी उनलोगों ने। बेचारी!.. उसी शहर में … Read more

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