गौरी दीदी – कान्ता नागी

#बड़ी_बहन  गौरी अपने भाई सुमित से अगाध स्नेह करती थी,उसका एक ही सपना था सुमित पढलिखकर अपने पैरों पर खड़ा हो जाए।गौरी के पापा बैंक मे मैनेजर और मां मंजरी देवी कुशल गृहिणी थी। गौरी जब भी अपने घर की छत पर जाकर आकाश पर उड़ते विमान को देखती तो सोचती -वह भी एक दिन … Read more

सबसे अनमोल – नीरजा कृष्णा

अशोक जी अपनी पत्नी के  साथ अपनी रिटायर्ड जिंदगी बहुत हँसी खुशी गुजा़र रहे थे। उनके तीनों बेटे अलग अलग शहरों में अपने अपने परिवारों के साथ थे। उन्होनें नियम बना रखा था….दीपावली पर तीनों बेटे सपरिवार उनके पास आते थे…वो एक सप्ताह कैसे मस्ती में बीत जाता था…कुछ पता ही नही चलता था। कैसे … Read more

निष्प्राण – सुनीता मिश्रा

मेरी निष्प्राण देह जमीन पर पड़ी थी। कोई नहीं रो रहा था, न कोई शोक मना रहा था। न मेरे माँ बाप थे, न भाई बहिन न रिश्तेदार। मैं अचंभित था, नहीं पता किसी की वासना या जननी की भूल, नाले के पास पाया गया मैं। कुत्ते नोच रहे थे, कुछ दूरी पर चर्च था। … Read more

कन्यादान – कंचन श्रीवास्तव 

घूंघट के भीतर से आंखों ने रेनू को ढूंढ़ लिया और जैसे ही दोनों की नज़रें मिली दोनों ही फफक पड़ी रेनू के सामने रिया का वही दुधमुंहा चेहरा सामने घूम गया जब हो रूई के फाहे से उसे दूध पिलाया करती थी। और रिया भी  आंचल में मुंह डालके सारे आंसुओं को उड़ेल देना … Read more

सत्संग – अनुज सारस्वत

सुबह का समय था दादी घर के मंदिर में सभी भगवानों को स्नान करा रही थी उनके पास बेटे का गिफ्ट करा हुआ बलूटूथ स्पीकर था जिस पर हल्की मध्यम आवाज में भजन बज रहा था। “श्याम से मिलने का सत्संग एक ठिकाना है । कृष्ण से प्रीत लगी उनको भी निभाना है। एक दिन … Read more

शहर में घर – हरेन्द्र कुमार 

दीना नाथ जी रेटियार्ड होकर घर आ चुके थे। गृह मंत्रालय में क्लर्क का काम करते थे। अच्छी खासी रकम मिली थी सेवा- निवृत्ति (रिटायरमेंट) के बाद। गृह मंत्रालय में ऊपर की आमदनी भी थी। नौकरी करते वक्त उन्होंने गांव में बारह बीघा जमीन खरीद ली थी। दो लड़का और एक लड़की का परिवार था … Read more

सुधा – नीलिमा सिंघल

सुधा बहुत बौखलाए हुए घूमे जा रही थी इधर से उधर, उधर से इधर राजन ने चश्मा ठीक करते हुए कहा “सुधा बैठ जाओ कब तक चक्कर काटती रहोगी तुम्हें देखकर अब तो मुझे खुद चक्कर आने लगे हैं। “तुम तो चुप ही रहो”, सुधा बैचेन होते हुए बोली ,तुम्हें क्या पता मैंने शांति के … Read more

हाय मैं शर्म से लाल हुई – प्रीती सक्सेना

ये कहानी मेरी पाठिका द्वारा भेजी गई है, वो चाहती हैं, मैं अपने स्टाइल में उसे लिखूं, मैं पूरी कोशिश करुंगी नीलम जी उस दिन सुबह सुबह मैं अपने बगीचे में पौधों को पानी दे रही थी, अचानक एक साइकिल रिक्शा मेरे घर के सामने रूका, मैंने ताज्जुब से देखा, एक ग्रामीण परिवेश में अधेड़, … Read more

मां मुझे नहीं जाना ** – –डॉ उर्मिला शर्मा

 प्रकाश मेहता और उनकी पत्नी नमिता रात का खाना खाकर सोने की तैयारी कर ही रहे थे कि फोन की घण्टी बजी। नमिता का दिल धड़क उठा। बेटी स्मृति को लेकर मन आशंकित हो गया। फोन प्रकाश जी ने उठाया। “आपकी बेटी ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। फांसी लगा ली उसने। आकर ले जाएं … Read more

बन्धन – रीमा ठाकुर

लघु कथा” आज क्या हुआ बहेन तुमने फिर से, सबसे लडाई की “ नहीं भाई ,,मैं आपको कैसे बताऊ”आपका आना जाना हमारे ससुराल वालो को पसंद नहीं। तो हम नहीं आऐगे कल से “बहेन अपने घर में खुश रहे एक भाई को और क्या चहिए “मायूस होकर बोला नदीम “ इतने सालो का बँधन कैसे … Read more

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