“बाहरी” – नीरजा नामदेव

अलीना को पढ़ना बहुत पसंद था ।जब भी समय मिलता है पत्रिकाएं पढ़ती। अब तो इंटरनेट पर भी उसे पढ़ने को बहुत सारी सामग्री मिल जाती थी। एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब वह पढ़े बिना रह पाती। आज ही उसने एक पत्रिका में कहानी पढ़ी शीर्षक था ‘आउटसाइडर’ जिसमें बेटा विदेश पढ़ने जाता … Read more

औरतों का श्रिंगार ( हास्य )  – मीनाक्षी सिंह

हुआ कुछ यूँ कि हमारे मियां जी ने हमसे कहा कल मेरी ऑफिस की मैडम शालिनी हैं ,उनकी शादी की 25वीं सालगिरह हैं !! बड़े धूम धाम से होटल में मना रही हैं ! हमें भी परिवार सहित बुलाया हैं !! मैं ऑफिस से आऊंगा तब तक बच्चों को तैयार रखना और तुम भी तैयार … Read more

लाजवाब तोहफ़ा – *नम्रता सरन “सोना”*

“हेप्पी बर्थडे टू यू…..और कितना जिएगा यार तू….हेप्पी बर्थडे टू यू….हा…हा….हा….हा…”सभी बुज़ुर्ग तालियां बजाते हुए माथुर साब का जन्मदिन मना रहे थे। ये सुबह की सैर पर बना बुज़ुर्गों का एक मित्र समूह था…जहाँ ये लोग रोज़ मिलते… सैर के साथ हँसी ठहाके लगाते….त्यौहार और एक दूसरे के जन्मदिन मनाते और जी भर कर एक … Read more

यात्रा – कमलेश राणा

हैलो,, आप नीता बोल रही हैं नहीं,,राँग नम्बर मोबाइल में दुबारा रिंग आती है,, मुझे यही नम्बर दिया गया है,, नीता से बात करा दें प्लीज़ आपको बोला न,, यहाँ कोई नीता नहीं रहती,, मोबाइल पर दूसरी तरफ एक और आवाज़ सुनाई देती है,, किसका फोन है,, पता नहीं, कोई महिला है,, कह रही है … Read more

किसी के कांधो का सहारा क्यो मांगू मैं  संगीता अग्रवाल

जिंदा हूँ अभी कोई लाश नही हूँ। क्यो किसी के हाथो मे खेली जाऊं एक औरत हूँ कोई ताश नही हूँ। क्यों उम्मीद करूँ कोई दे मुझे आसरा सक्षम हूँ खुद से कोई बेसहारा नही हूँ। मैंने तो चाहा कोई हाथो मे मेरे हाथ दे सहारे का एहसान नही अपना साथ दे। यूँ तो अकेले … Read more

दूसरा आदमी ! – रमेश चंद्र शर्मा

============ राहुल (पत्नी प्रियंका से) ” आज दोपहर बाद तुम्हारे ऑफिस गया था। तुम वहां नहीं थी”? प्रियंका “हां राहुल, हमारे साहब की माताजी सीरियस हो गई थी ।उन्हें देखने गए थे “। राहुल “हां,तुम्हारा बाँस जो ठहरा। उनकी मां के हाल चाल लेना बहुत जरूरी है”। प्रियंका “स्टाफ के और भी लोग साथ थे। … Read more

अंजाना बंधन – निभा राजीव “निर्वी”

रीमा के घर के सामने वाली सड़क के उस पार कुछ दूर आगे चलकर ही एक वृद्ध आश्रम था। रीमा अक्सर वृद्धों को देखा करती थी कभी सड़क पर टहलते… कभी-कभी पास वाली पार्क में भी वे घूमने आया करते थे। रीमा प्राय: जब प्रात: भ्रमण के लिए पार्क में जाती थी तो वहां कुछ … Read more

क्या सच में औरत सुरक्षित हैं ?? – मीनाक्षी सिंह 

रिया – भईया ,,रामनगर चलोगे क्या ?? अौटो वाला – नहीं बहन जी ,,वहां नहीं जा रहा !! रात के 9 बज रहे हैं !! रिया की आज आफिस में मीटिंग थी !! इसलिये आज बहुत रात हो गयी !! घबरायी हुई ,,पसीने से तर बतर अौटो के इंतजार में खड़ी हैं !! उसने कम्पनी … Read more

“आज के बेटों का संघर्ष” – ऋतु गुप्ता

बेटियां ही नहीं आज बेटे भी पराया धन हो जाते हैं, पढ़ने के लिए जब वो घर छोड़ विदेश जाते हैं…   छोड़ जाते हैं पीछे गिटार और म्यूजिक सिस्टम अपना, हर चीज से मोह और लगाव घर पर ही भूल जाते हैं… जब वो घर छोड़ विदेश….   कल तक करते थे जो हजार … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी – सीमा बी

भोलाराम, बंसत कुमार और घनश्याम दास तीनो ही दिल्ली के सदर बाजार में एक ही लाइन में अपनी अपनी दुकान संभाल रहे थे। तीनो पड़ोसी होने के नाते एक दूसरे की इज्जत किया करते थे। भोला राम और बसंत कुमार अच्छे परिवारों से थे तो वहीं घनश्याम दास की गिनती भी खाते पीते परिवार में … Read more

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