कैसे पुरूष हो पत्नी को खुश नहीं रख सकते ? – अर्चना खंडेलवाल

ये क्या इतनी हल्की साड़ी, ये मै नहीं पहनूंगी, आज मेरा जन्मदिन है,कुछ तो अच्छा लेकर आते,किसी होटल में पार्टी रखते, तुमने तो मेरा मूड ही खराब कर दिया, अभी मधु जीजी के जन्मदिन पर वैभव जीजू ने उन्हें दस हजार की साड़ी दी थी, और ये साड़ी तो दो हजार की ही लग रही है, तुम  क्या जिंदगी भर ऐसे ही रहोगे? कभी कोई अच्छा और महंगा उपहार नहीं दे सकते, कृति ने साड़ी पलंग पर फेंकते हुए कहा तो नवल का चेहरा उतर गया।

कितने दिनों से वो पैसे इकट्ठे कर रहा था, हमेशा कृति को उससे शिकायत ही रहती है,इस बार तो सोचा था वो खुश हो जायेगी पर उसका रवैया अभी भी नहीं बदला है।

कृति हर बात में नवल की तुलना अपने जीजाजी से करती है, नवल की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी है, सीमित आय आती है और उसे उसमें ही घर के खर्च चलाने होते हैं, वहीं वैभव जीजाजी का अपना खानदानी कारोबार है तो उन्हें पैसों की जरा भी कमी नहीं है।

जीजू , जीजी के लिए कितना करते हैं, हर पुरुष को जीजू के जैसा होना चाहिए, मेहनत करो और पैसा कमाओं, कैसे पुरूष हो पत्नी को खुश नहीं रख सकते हो? कृति ताना देकर कमरे से बाहर चली जाती है।

कृति और नवल की शादी को अभी कुछ ही महीने हुए है, दोनों कॉलेज में साथ ही पड़ते थे, एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे, घरवाले शादी को तैयार नहीं थे क्योंकि नवल की प्राइवेट नौकरी थी, ज्यादा कमाई नहीं थी पर कृति नवल के प्यार में डूबी हुई थी, उसे लगता था जीने के लिए सिर्फ प्यार की जरूरत होती है, पैसा तो नवल काबिल है तो और भी कमा लेगा, आखिर अभी जवान खून है मेहनत करेगा तो अपना मुकाम पा ही लेगा।

सबने समझाया कि तू अच्छे परिवार से हैं तो ऐसे नौकरीपेशा परिवार में कैसे निभायेगी?

इस कहानी को भी पढ़ें:

बूढ़ी अम्मा – सरला मेहता

लेकिन कृति की आंखों पर प्यार की पट्टी चढ़ी हुई थी, मधु ने भी समझाया था, कृति शादी केवल प्यार से नहीं चलती है, अपने साथ में सौ तरह की जिम्मेदारी लाती है, जिसे पति-पत्नी को मिलकर निभाना होता है, शादी के बाद जीवन एकदम से बदल जाता है, जीवन पहले जैसा नहीं रहता है, तू रह पायेगी?

हां, जीजी मै नवल के साथ रह लूंगी, फिर नवल आगे दूसरी कंपनी भी तो ज्वाइन कर सकता है, वहां अच्छा पैकेज मिल सकता है, पर मै नवल के अलावा किसी ओर से शादी नहीं कर पाऊंगी, कृति ने जिद की और दोनों की शादी हो गई।

नवल के घर में उसकी दादी, मम्मी -पापा, और दो बहनें थीं, और नवल घर में अकेला कमाने वाला था, दोनों बहनें अभी कॉलेज में पढ़ रही थी और पापा दिल के मरीज थे, घर की सारी जिम्मेदारियों का भार अकेले उसके ही कंधे पर था।

शादी के शुरूआती दौर में तो कृति को सब अच्छा लगा,

पर जब हनीमून के नाम पर नवल उसे पास ही के हिल स्टेशन ले गया तो उसे बहुत ही बुरा लगा। किसी अच्छे से हिल स्टेशन नहीं ले जा सकते थे, वैभव जीजू और जीजी तो हनीमून पर विदेश गये थे।हनीमून तो एक बार ही होता है।

हां अच्छा है ,पर कृति मै वैभव जीजू की तरह पैसे वाला नहीं हूं मैंने अपनी तरफ से अच्छा ही किया है, नवल ने समझाया।

हां, पर कंपनी से लोन तो ले सकते थे, आखिर मेरे रिश्तेदारों को भी लगता कि अच्छी जगह हनीमून पर आये है, इससे अच्छा तो घर पर ही रह लेते, इतने भी पैसे क्यों खर्च किए, ये कहकर कृति नाराज हो गई।

जैसे -तैसे दिन गुजर रहे थे वो चिड़चिड़ी होती जा रही थी।

एक दिन कृति बोली, आज रात की मूवी की टिकट बुक करा दी है, जल्दी ऑफिस से आ जाना, जीजी और जीजू तो मूवी कल ही देखकर आ गये है।

कृति मैंने शादी के वक्त बहुत छुट्टियां ली थी और अब मुझे बचे हुए सारे काम पूरे करने है, फिर आज वीकेंड भी नहीं है, रविवार को सब मिलकर चलेंगे, अब हम दोनों जायेंगे और मेरी दोनों बहनें क्या सोचेगी? इस सन्डे को चलेंगे, ये कहकर नवल ने फोन रख दिया।

इस कहानी को भी पढ़ें:

बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है। – गीतांजलि गुप्ता

कृति का पारा चढ़ चुका था, वो गुस्से से भरी हुई थी, नवल रात को आया तो उसने बात भी नहीं की, और जब उसने बात शुरू की तो कृति गुस्से में बोली, तुम्हारा मेरे प्रति कोई फर्ज है भी या नहीं! कैसे पुरूष हो अपनी पत्नी के लिए इतना भी नहीं कर सकते हो, क्या हम दोनों मिलकर एक मूवी भी नहीं जा सकते हैं? हर समय आपकी बहनों का होना जरूरी है? जीजी और जीजू भी तो शादी के इतने साल बाद अकेले मूवी देखने जाते हैं और एक तुम हो कि कभी भी हां नहीं भरते, एक दिन ऑफिस का काम छोड़ नहीं सकते थे और वो मुंह फेरकर बैठ गई।

नवल की सहन करने की शक्ति कम हो रही थी, परिवार में शांति रहे, वो इसलिए सब सुन लेता था, फिर कृति को समझाना बेकार था, वो नवल से परेशान कम थी वो उसकी तुलना अपने जीजी और जीजू से करके ज्यादा परेशान रहने लगी थी।

कृति तुमने तो शादी के पहले बोला था तुम मेरे साथ हर हाल में रह लोगी, पर तुम रोज-रोज जीजू से मेरी तुलना करोगी तो ना तुम खुश रह पाओगी और ना ही मै खुश रह सकूंगा।

उनका अपना कारोबार है अपना पैसा है, और मेरी उनसे तुलना करके तुम्हें दुख के सिवा कुछ नहीं मिल पायेगा, मै कोशिश करता हूं कि तुम्हें खुश रखूं, अपने परिवार को खुश रखूं, दिन रात ऑफिस में खटता हूं, ओवरटाइम करता हूं ताकि सबकी इच्छाओं को पूरी कर सकूं, अभी दोनों बहनों की शादी भी करनी है, बहुत सारी जिम्मेदारियां बची है, तुम साथ नहीं दोगी तो सब कुछ मै अकेला नहीं कर पाऊंगा।

मुझे तुम्हारा साथ चाहिए, कोई भी पुरूष अपने आप में पूर्ण नहीं होता, उसे स्त्री का हर कदम पर साथ चाहिए, अगर पत्नी समझदार और समझने वाली हो तो गृहस्थी की गाड़ी आसानी से चलती है, तुम ही रोज तानें दोगी इस तरह झगड़ोगी तो आगे की उम्र कैसे निकलेगी?

मुझे तुम्हारी इन्हीं आदर्शवादी बातों से चिढ़ मचती है, काश!! मैंने जीजी की बात मानी होती और तुमसे शादी नहीं की होती, एक अमीर घर में जाती, तुम  तो मेरे छोटे-छोटे सपने भी पूरे नहीं कर पाये हो, जब भी कुछ कहती हूं कभी दादीजी की बीमारी खर्चा आ जाता है, कभी पापाजी के इलाज में पैसा लग जाता है, कभी दोनों बहनों की कॉलेज की फीस भरनी होती है, मेरी जिंदगी तो इन सबके बीच में पिसकर रह जायेंगी? मै जिंदगी भर इस घर परिवार में खटती ही रहूंगी क्या? मै यहां नहीं रह सकती हूं, मै कुछ दिनों के लिए मधु जीजी के घर रहने जा रही हूं, जब मूड ठीक होगा आ जाऊंगी, मुझे बुलाने की कोशिश मत करना।

कृति, इस तरह अचानक जाना ठीक नहीं होगा, अभी सब सो गये होंगे, सुबह उठकर तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो क्या जवाब दूंगा? सब तुमसे कितना प्यार करते हैं, तुम्हारा कितना ख्याल रखते हैं पर तुम तो पैसों के पीछे और दिखावे के लिए भागी जा रही हो, जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता है।

नवल , पैसा ही सब कुछ होता है, आज जीजी और जीजू कितने खुश रहते हैं, हर जगह घुमते रहते हैं, महंगी होटल में डिनर पर जाते हैं, मूवी देखने जाते हैं, मधु जीजी की जिंदगी कितनी सही है, आपने फेसबुक पर उनकी फोटोज नहीं देखी? संसार का सारा सुख उन्हें मिला हुआ है, कृति ने मधु जीजी को फोन लगाया और उन्होंने उसके लिए कार भेज दी। नवल की कोई बात सुने बिना ही कृति चली गई।

इस कहानी को भी पढ़ें:

मेरे भाई पिता से बढ़कर- हेमा दिलीप जी सोनी

मधु जीजी मै आ गई और कृति उनके गले लगकर रोने लगी, मधु ने उसे चुप कराया और खाने के लिए बैठाया,  कृति शानदार डाइनिंग टेबल पर बैठ गई और पूछने लगी कि हमारे वैभव जीजू कहां है? मै उनके साथ ही खाना खाऊंगी?

वो तो देर से आयेंगे, तू तो खा लें और मधु ने उसे प्यार से खाना खिलाया, रात को वो कृति को अपने कमरे में ही लेकर सो गई, पर जब जीजू आयेंगे तो मुझे रात को उठना पड़ेगा, मै अलग कमरे में सो जाऊंगी,कृति ने कहा।

वो आज नहीं आयेंगे, तू सो जा, मधु ने धीमी आवाज में कहा । रात को कृति की नींद खुली तो नीचे शोर सुनकर वो चौंक गई, वो कमरे से बाहर गई तो नजारा देखती ही रह गई, चटाक से एक थप्पड़ जीजी के गालों पर पड़ा और वो जमीन पर गिर गई, ये वैभव जीजू थे जो नशे में धुत्त थे और पीये जा रहे थे।

आप इतना मत पीयो, ये आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है, शराब से किसी का भला हुआ है?

तू चुप कर!! मुझे आज तक तो बच्चा नहीं दे पाई, मै तो आज खुशी में पी रहा हूं, मै बाप बनने वाला हूं, शालिनी मेरे बच्चे को जन्म देने वाली है, पर तुझे घर से भी नहीं निकाल सकता हूं, मेरे बाप ने सारी जायदाद तेरे नाम जो कर दी है, कारोबार चलाने के लिए तेरे साइन चाहिए होते हैं, वरना तुझे तो मै उठाकर यूं फेंक दूंगा, बांझ कहीं की तू मेरे साथ सिर्फ फोटो में जंचती है, कंपनी चलाने के लिए संबंध दिखाने पड़ते हैं नहीं तो तेरी जैसी अपशकुनी और बांझ से तो मै बात भी नहीं करूं।

ये ले हीरे की अंगूठी कल फेसबुक पर फोटो अपलोड कर देना, वरना तेरे मां -बाप को सब बता दूंगा, और अपना जन्मदिन अपनी सहेलियों के साथ मना लेना, मुझे तो कल शालिनी के साथ घूमने जाना है, अपने जीजू का ऐसा व्यवहार देखकर कृति के पैरो से जमीन सरक गई।

तभी कमरे में मधु आई और उसके गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगी, मधु की सिसकियों ने कृति को अन्दर तक हिला दिया।

जीजी, आपने कभी मुझे बताया नहीं, जीजू का ऐसा व्यवहार देखकर मुझे उनसे नफरत हो रही है, कैसे पुरूष हैं? अपनी पत्नी को कोई ऐसे मारता है क्या?

और ये शालिनी, ये बच्चा आप ये सब बर्दाश्त क्यों करती हो? घर छोड़कर चली क्यों नहीं जाती?

कहां जाऊं? मम्मी- पापा ये सहन नहीं कर पायेंगे, भैया-भाभी मायके में रहने नहीं देंगे,  मै कभी मां नहीं बन सकती, उम्र किसके सहारे बिताऊंगी?

इस कहानी को भी पढ़ें:

भाई का प्यार- रीटा मक्कड़

यहां तो ऑफिस चली जाती हूं मन लगा रहता है, मेकअप से चेहरे की चोट और निशान छुपाकर जी लेती हूं, कृति ये पैसा ये ऐशो आराम सब बेकार है अगर पत्नी को पति का प्यार नहीं मिले, जिंदगी तो प्यार से ही चलती है, मैंने तुझे पहले नवल से शादी करने को मना किया था पर वो मम्मी -पापा और भैया नहीं चाहते थे, पर अच्छा हुआ तूने अपनी पसंद से शादी की, नवल के घरवाले तुझे कितना प्यार देते हैं, कितना सम्मान से रखते हैं, ये धन दौलत कोई सूकून नहीं दे सकते हैं, फेसबुक की फोटो तो मात्र दिखावा है, इन तस्वीरों के पीछे दर्द का किसी को पता नहीं है।

मैंने कितनी बार तुझे बताना चाहा पर तेरी जिंदगी में दखल ना पड़े तू परेशान नहीं हो जायें इसलिए नहीं बताया, तू बड़ी किस्मतवाली है जो तुझे नवल जैसा प्यार करने वाला पति मिला है, तू कभी उसके दिल को मत दुखाना, असली पुरूष तो वो ही है जो पति के मान सम्मान की रक्षा करें।

ये सुनते ही कृति की आंखें भर आई, जिन जीजी और जीजू का उदाहरण देकर वो नवल को रोज परेशान करती थी, तानें देती थी, वो सिर्फ खुशियों का दिखावा था, उसने नवल को हमेशा से पैसों से तोला कभी उसके गुण और प्यार को तो देखा ही नहीं।

जीजी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, मैंने नवल में हमेशा वैभव जीजू को ढूंढा, मै उनके जैसा करने के लिए उन पर दबाव डालती रही, वो हर समय मुझे खुश करने में लगे रहे और मै उनके प्यार को नजरंदाज करती रही,

उनके पुरूष होने पर सवाल उठाती रही, असली और सच्चा पुरूष तो वो ही है जो घर की सभी जिम्मेदारियों को निभाएं और पत्नी के मान सम्मान को भी बनायें रखें।

सिर्फ पैसे कमाने से ही कोई आदर्श पुरुष नहीं बन जाता, अपनी जीवनसंगिनी की कमियों को जानते हुए भी उसे अपनाना, और उसका हमेशा साथ निभाना एक अच्छे पति की निशानी है।

क्या हुआ जो मेरे पास बड़ा बंगला नहीं है ? पर रहने को घर तो है, उसमें प्यार करने वाले घरवाले है, क्या हुआ जो बड़ी सी कार नहीं है? छोटी ही सही कार तो है, क्या हुआ जो घर में नौकर चाकर नहीं है, हम सब मिलकर काम कर लेते हैं, मेरे पति और ससुराल वालों ने कभी मुझे नौकरानी की तरह नहीं रखा, सास और दोनों ननदों ने हमेशा मेरे साथ बराबर का काम करवाया।

मुझे तो नवल की जिम्मेदारियों में उनका साथ देना चाहिए, और मै ही उनसे रूठकर आ गई।

जीजी मुझे सुबह जल्दी उठकर  घर वापस जाना है, और पूरी रात कृति को नींद नहीं आई। सुबह उठते ही वो अपने ससुराल चल दी।

नवल ने दरवाजा खोला और उसे गले लगा लिया, तुम आ गई, अभी तो सब सो रहे हैं, मै सोच ही रहा था कि सबको क्या बताऊंगा?

इस कहानी को भी पढ़ें:

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते.. पार्ट १ -मीनाक्षी सौरभ

नवल मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारा प्यार नहीं समझा और झूठे दिखावे के पीछे भागती रही, जीजी और जीजू से तुम्हारी तुलना करती रही। तुम तो एक आदर्श पति हो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। सच ही है जिस तरह पुरुष स्त्री के बिना अधुरा है, उसी तरह स्त्री भी तो पुरुष के बिना अधुरी है, दोनों मिलकर ही तो गृहस्थी की गाड़ी चलाते हैं। नवल ने कृति को प्यार से गले लगा लिया।

पाठकों,  स्त्री और पुरुष मिलकर ही जीवन को अच्छे से चलाते हैं, कभी अपने जीवनसाथी की तुलना किसी से नहीं करें, सबमें कमियां होती है, इन्हीं को समझकर आगे बढ़ने का नाम जीवन है।

#पुरुष 

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

(v)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!