बेटी के माँ-बाप पराए क्यों? – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

श्रेया ऑफिस मे अपने प्रजेटेंशन की तैयारी कर रही थी।वह नहीं चाहती थी कि उसके काम मे किसी तरह का व्यवधान पड़े, इसलिए उसने अपना मोबाईल भी बंद कर के रखा था। कल उसका प्रजेटेंशन है और अभी तक उसका काम पूरा नहीं हो पाया है । वह भी बेचारी क्या करती वर्किंग वीमेन की जिंदगी इतनी आसान नहीं होती है।

आजकल नौकरी करने वाली बहू सभी को चाहिए, परन्तु समाज मे यह भी दिखाना होता है कि हमारी बहू नौकरी करती है तो क्या हुआ, वह रिश्तो की भी उतना ही कद्र करती है जितना हॉउस वाइफ, भले ही दोहरी भूमिका निभाने मे बहू को कितना भी क्यों ना परेशान होना पड़े। श्रेया की चचेरी ननद के लिए रिश्ता आया था लडके वाले श्रेया ससुराल के शहर के ही थे।

उसके ताया ससुर ने जैसे ही यह बात बताने के लिए फोन किया वैसे ही उनके कुछ कहने के पहले ही श्रेया की सास ने कहा आप बिल्कुल चिंता नहीं कीजिए जेठ जी, आप एकदम निश्चिंचित होकर यहाँ आ जाइये। हमारे घर मे ही लड़की देखने दिखाने का कार्यक्रम कर लेंगे। आपको कोई तकलीफ नहीं होंगी। आपका भतीजा तो अपने काम मे बहुत बीजी रहता है उसे तो जल्दी छुट्टी ही नहीं मिलती है,

कम्पनी मे बड़ा अफसर है ना, पर चिंता की कोई बात नहीं है बहू का मायका भी इसी शहर मे है इसलिए उसे यहाँ के बारे मे सबकुछ अच्छे से पता है। वह सारे काम अच्छे से संभाल लेगी।चलो तब तो अच्छा है यही तो एक फायदा है पढ़ी लिखी बहू लाने का, बेटा को समय ना भी हो तो बहू सब संभाल लेती है।मै तो बेकार ही इतना परेशान हो रहा था। बहू को बोल देना,

सब इंतजाम अच्छे से करेगी, लड़के वालो को कोई शिकायत नहीं हो। ठीक है बहू तब मै फोन रखता हूँ। कल सुबह हम आते है, यह कहकर उनके जेठ जी ने फोन रख दिया।अब सासु माँ को कौन बताए कि जिस पोस्ट पर आपका बेटा है, उसी  पोस्ट पर आपकी बहू भी काम करती है।इसतरह से श्रेया के जेठ सास ससुर अपने बेटा बहू और बेटी के साथ इनके घर आ गए।

श्रेया ने एकबार अपने पति शुभम को कहा भी कि लड़की दिखाने का कार्यक्रम किसी होटल मे रख देते है। सब कुछ आराम से हो जाएगा और मेहनत भी ज्यादा नहीं लगेगा,पर शुभम ने कहा कि कैसा लगेगा कि चाचा का घर इसी शहर मे होते हुए लड़की दिखाने के लिए होटल मे जाया जाए। लडके वालो पर गलत इम्प्रेशन पड़ेगा।

कार्यक्रम तो घर से ही होगा। वैसे भी जब माँ ने ताया जी से कह दिया है तो अब कुछ नहीं किया जा सकता। श्रेया ने कहा भी था कि आठ दिन बाद मेरा प्रजेटेंशन है। यदि सब सही रहा तो मेरे प्रमोशन का चांस भी है। इसपर शुभम ने कहा कि मै तुम्हारी सारी बातो को समझ रहा हूँ, परन्तु प्रमोशन परिवार से बड़ा नहीं है। यह हमारे परिवार की बात है।

लड़की देखने से लेकर सगाई तक एक साप्ताह का कार्यक्रम चला। कल रात जेठ ससुर अपने परिवार के साथ अपने गाँव चले गए। जाते वक़्त उन्होंने सभी की बहुत तारीफ की और कहा बहू तो पढ़ी लिखी ही लानी चाहिए।यह सुनकर शुभम ने श्रेया से कहा सुनी ताया जी तुम्हारी कितनी प्रसंसा कर रहे थे और एक तुम हो की परिवार को समय ही नहीं देना चाहती हो।

अब ऐसी सोच पर श्रेया क्या ही कहे चुपचाप अपने कमरा मे जाकर अपने प्रजेटेंशन की तैयारी करने लगी। आठ दिन का काम उसे एकदिन मे करना था. इस बीच उसका काम नाममात्र को ही हुआ था. उसने प्रजेटेशन की रूप रेखा तो मन मे बना ली थी पर अभी उसे धरातल पर उतारना बाकी था। आज उसे हर हाल मे अपना काम पूरा करना था।

ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ था इसके पहले भी परिवार की प्राथमिकता होनी चाहिए कहकर उसे कितनी ही बार इस तरह से उसके काम को पीछे धकेल दिया जाता था।बाद मे उसकी भरपाई वह कैसे करती थी वही जानती थी।श्रेया ने दिनभर मेहनत करके अपना प्रजेटेंशन तैयार किया और उसके बाद उसने अपना मोबाईल ऑन किया।

मोबाईल ऑन करने पर उसने देखा कि उसके भाई का चार मिस कॉल है। उसने सोचा ऐसी क्या बात है जो उसने थोड़े थोड़े समय के अंतराल पर कॉल किया है। उसने तुरत ही भाई को कॉल लगाया। भाई ने बहन की आवाज सुनते ही भराई आवाज मे कहा दीदी तुम कहा हो मै कब से फोन कर रहा हूँ पर तुम्हारा मोबाईल बंद आ रहा है।

हाँ, थोड़ा जरूरी काम था तो कोई डिस्टर्ब ना करें यह सोचकर मोबाईल बंद की थी। पर छोड़ इस बात को तु बता तु क्यों फोन कर रहा था और यह तुम्हारी आवाज को क्या हुआ है?ऐसा लग रहा है जैसे रो रहे हो।ठीक है दीदी कुछ खास नहीं तुम आज घर आ सको तो ठीक है। आ जाउंगी पर देख भाई साफ साफ बोल कुछ बात है क्या?

श्रेया को अपने भाई श्रवण की आवाज कुछ अजीब लगी फिर बता भी कुछ नहीं रहा है और घर आने को कह रहा है उसे यह सब सही नहीं लगा इसलिए उसने शुभम को फोन करके कहा कि मै अपने मायके जा रही हूँ,लौटने मे देर हो जाएगा। तुम घर मे बता देना। माँ जी का फोन नहीं लग रहा है। शुभम ने कहा हाँ, हाँ जाओ. मेरी छुट्टी भी जैसे ही होती है मै भी पहुँचता हूँ।

तब तक तुम जाकर देखो की पापा की तबियत अब कैसी है।यह कहकर अभी शुभम कॉल काटने ही जा रहा था कि श्रेया ने पूछा पापा को क्या हुआ है और तुम्हे किसने कहा कि पापा को कुछ हुआ है? श्रवण ने कहा। तुम्हे भी कॉल कर रहा था, पर तुमहारा मोबाईल बंद था। मैंने भी तुम्हे कॉल किया था। तब श्रेया को याद आया कि शुभम का भी मिस कॉल था। कुछ खास नहीं हुआ,

पापा को शायद माइनर हार्ट अटैक आया था तुम घर जाओ। मै भी आता हूँ।शुभम के कॉल कटने के बाद श्रेया को बहुत ही अफ़सोस होने लगा कि मैंने काम के चक्कर मे मोबाईल बंद रखा। पता नहीं श्रवण ने अकेले कैसे मैनेज़ किया होगा।

आज जब पापा को मेरी जरूरत थी तो मै पहुंच भी नहीं पाई। यही सब सोचते हुए वह घर पहुंच गईं। ड्राइवर ने जब कहा कि मैडम आपका घर आ गया तो उसे होश आया। गाड़ी से उत्तर कर वह दौड़ते हुए घर के अंदर भागी और अपने पापा के कमरे मे जाकर ही दम लिया और माँ से बोली माँ पापा को अचानक क्या हो गया? अभी ठीक है ना? डॉक्टर ने क्या कहा?

कोई खतरा की बात तो नहीं ना है? अरे बाबा, थोड़ा सांस तो लेलो। तुम्हारे पापा ठीक है। कोई खतरा नहीं है। तुम बिल्कुल चिंता मत करो।माँ ने धीरज बँधाते हुए श्रेया से कहा।माँ की बात सुनकर जैसे श्रेया के जान मे जान आया। श्रवण चाय बनाकर लाया और बहन को देते हुए कहा लो दीदी पियो और शांत हो जाओ.

फिर उसने पूछा कि तुम्हे पापा की बीमारी के बारे मे किसने बताया? जीजाजी ने?वे क्यों नहीं आए?आ रहे है श्रेया ने संक्षिप्त उत्तर दिया उसे श्रवण से आँख मिलाने मे भी शर्म आ रही थी। आज जब उसके छोटे भाई को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तो वह उसके साथ नहीं थी। आगे श्रवण ने ही बात बढ़ाते हुए कहा दीदी पापा के हार्ट मे छेद है।

पेस मेकर लगवाना होगा। दो चार दिन बाद  ऑपरेशन का डेट मिलेगा, डॉक्टर अभी बाहर गए है, उनके आने पर ऑपरेशन होगा। फिर पापा एकदम से ठीक हो जाएंगे।सही बात यह थी कि पैसो का इंतजाम करने के लिए उसने डॉक्टर से कुछ समय माँगा था, परन्तु यह बात उसने श्रेया को नहीं बताई। पापा के अकाउंट मे ऑपरेशन मे लगने वाले खर्च जितने पैसे नहीं  थे।

उनके पास जितने भी पैसे थे उन्होंने श्रेया के विवाह और श्रवण की पढ़ाई मे खर्च कर दिया था। श्रवण की पढ़ाई अभी पूरी भी नहीं हुई थी। वह तो संयोग से उसकी छुट्टी थी तो वह घर आया था और यह घटना घटित हो गईं, नहीं तो उसकी माँ अकेले यह सब संभाल भी नहीं पाती।उसके पापा के प्रविडेंट फंड से पैसो का इंतजाम हो जाएगा पर इसमें समय लगेगा और ऑपरेशन जरूरी था

तो उसने मामा और चाचा से मदद मांगी थी।थोड़ी देर बाद शुभम आया और पापा का हालचाल लेने के बाद बोला कि श्रेया तुम घर चल रही हो या यही रहोगी? श्रेया ने कहा कि जब तक पापा का ऑपरेशन नहीं हो जाता और वे पूर्णतः ठीक नहीं हो जाते तब तक मै यही रहूंगी। तब शुभम ने कहा कल तुम्हारा प्रजेटेंशन है यहाँ रहोगी तो ठीक से आराम नहीं कर पाओगी फिर तुम्हे दिक्कत होंगी।

ऐसा करो तुम आज चलो, कल ऑफिस के बाद अपने कपड़े वगैरह लेकर फिर आ जाना और उसके बाद जबतक मन करे रहना। श्रेया ने गुस्साते हुए कहा कल तक जब तुम्हारी बहन का काम था तो तुम्हे मेरा काम का हर्ज नहीं दिखाई दे रहा था और आज मेरे पापा की बात है तो तुम्हे मेरी समस्या दिखाई दे रही है। मुझे नहीं देना प्रेजेटेशन, मुझे प्रमोशन नहीं चाहिए

। मै समय पर अपने पापा के काम भी नहीं आ सकी। यह कहकर श्रेया रोने लगी, परन्तु उसकी माँ और भाई ने उसे जैसे तैसे करके घर जाने को मनाया और कल अपना सामान  लेकर आने को कहकर उसे शुभम के साथ भेज दिया।दूसरे दिन शाम के वक़्त श्रेया बिना किसी को बोले घर पहुंची। नौकरानी ने दरवाजा खोला।

श्रेया अंदर आई और सीधे अपने माँ के कमरा मे की तरफ गईं। अभी वह दरवाज़े के पास पहुंची ही थी कि तभी उसे माँ की आवाज सुनाई दी वह कह रही थी कि भैया सिर्फ दो लाख से क्या होगा, आप कम से कम और दो लाख का इंतजाम कर देते तो ठीक रहता। डॉक्टर के यहाँ जाने के बाद पैसे के बारे मे क्या सोचना,

रोज़ ही एक नया खर्च आ जाएगा। आजकल दवाईया भी कितनी महंगी है। ऑपरेशन शुरू होने के पहले पुरे पैसो का इंतजाम कर लेने से बाद मे कोई टेंसन नहीं रहेगी। वैसे भी कुछ दिनों मे इनके प्रविडेंट फंड से पैसे निकल जाएंगे तो सबको लौटा ही देंगे। यह सुनते ही श्रेया को झटका लगा तो क्या पापा का ऑपरेशन पैसो के कारण रोका गया है।

वह अंदर गईं तो उसकी माँ ने पूछा कब आई बेटा? आओ बैठो तुम्हारे पापा तुमको ही याद कर रहे थे। श्रेया ने गुस्से मे कहा क्यों याद कर रहे थे? मै आपलोगो की लगती ही क्या हूँ? अरे बेटा! ऐसा क्यों कह रही है? तुम हमारी बेटी हो। नहीं माँ आज आपलोगो ने मेरा बहुत मन दुखाया है। पापा के ऑपरेशन के लिए अपने रिश्तेदारों से पैसे माँग लिए,

लेकिन अपनी बेटी को इसके बारे मे कुछ भी नहीं बताया। मै इतनी गैर हो गईं हूँ आपलोगो के लिए। नहीं बेटा ऐसी कोई बात नहीं है। व्याहता बेटी से पैसे कैसे ले सकते है? तुम्हारे सास ससुर हमारे बारे मे क्या सोचेंगे?कुछ भी नहीं सोचेंगे और यदि सोचेंगे तो सोचे मुझे इसकी परवाह नहीं है।  पापा के इलाज का सारा खर्च मै वहन करूंगी और आगे से ऐसी नौबत से बचने के लिए मै आपका और पापा दोनों का मेडिकल इंश्योंरेश करवाऊगी। ऐसा नहीं हो सकता बेटा समाज मे लोग क्या कहेंगे?

कोई कुछ भी नहीं कहेगा। माँ तुम यह मत भूलो कि ये भी मेरा परिवार है और मुझे अपने परिवार के लिए कुछ भी करने से मुझे कोई रोक नहीं सकता, आप भी नहीं। शुभम थोड़ी देर पहले ही अपने माता पिता के साथ श्रेया के पापा से मिलने के लिए आया था।

इनलोगो की बातो को सुनकर वेलोग कमरा मे नहीं आए थे। जब इनकी बात खत्म हो गईं तो अंदर आते हुए श्रेया की सास ने कहा अब मान भी जाइए समधन जी श्रेया हमारी बहू होने के पहले आपकी बेटी है। उसे उसके कर्तव्य को पूरा करने से मत रोकिये।

वाक्य —मत भूलो कि ये भी मेरा परिवार है 

लतिका पल्लवी

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