गुंजन की गुरु मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अभी तक सभी बच्चे मैम या मिस ही बोलते थे,शुभा को।गुंजन ने नई उपाधि दी”गुरु मां”।दूसरे बच्चों की तरह गुंजन भी शुभा की कक्षा में पढ़ती थी। कॉन्वेंट में तीसरी कक्षा में दाखिला हुआ था उसका,और क्लास टीचर थी शुभा। भूरी आंखों वाली गुंजन पहले दिन से ही शुभा के … Read more

सौभाग्य का सिंदूर- शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : एक दिन मनोहर की कॉपी रोहन  की उस कस्बे में सरकारी विद्यालय में नियुक्ति हुई थी।पहली नियुक्ति होने के कारण उसका उत्साह चरम पर था,पर विद्यालय की जीर्ण अवस्था देखकर उसका मन उचटता जा रहा था।इतनी जल्दी स्थानांतरण भी संभव ना था,हो रोहन ख़ुद को समझाते हुए अपने अध्यापन में ध्यान … Read more

गूंगी मां – शुभ्रा बैनर्जी : Short Stories in Hindi

राधा गरीब मां-बाप की बेटी थी और गरीब घर में ही ब्याही गई।पति रमेश पढ़ाई नहीं कर पाए थे,पिता को लकवा मार देने के कारण।राधा शादी से पहले साड़ी के शोरूम में नौकरी करती थी।एक रिश्तेदार की शादी में सास ने उसे पसंद कर लिया था अपने बेटे के लिए। रमेश तब हैदराबाद में किसी … Read more

कैमरे का करिश्मा – शुभ्रा बैनर्जी : Short Stories in Hindi

जया को तस्वीरें लेने का बहुत शौक था।ससुराल में आकर अपने इस शौक से पूरे घर का मनोरंजन करती थी वह।खाना बनाकर उसकी तस्वीर फोन से लेकर झट से सोशल मीडिया पर पोस्ट करना उसकी आदत में शामिल था। अपनी नई पोशाक हो,पति के साथ कहीं घूमने जाने पर,ऐसे ही लगभग हर मौके की तस्वीर … Read more

खूबसूरत छल – शुभ्रा बैनर्जी : moral stories for adults

अनुपमा एक बैंक में नौकरी करती थी।एक साल पहले ही कानपुर शहर में ट्रांसफर करवाया था उसने, पंकज से शादी होने की वजह से।पंकज भी एक निजी कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर थे।कंपनी की तरफ से जो घर मिला था वह अनुपमा के बैंक से बहुत दूर था,इसलिए उन्होंने पास में ही मित्तल अंकल का घर … Read more

अभिशप्त हूं मैं – शुभ्रा बैनर्जी

आलोक आज दफ्तर से घर जल्दी आ गया था, नवविवाहिता पत्नी अकेली जो थी घर पर।अभी दस दिन पहले ही शादी हुई थी मीनल के साथ।शिमला‌,मसूरी में हनीमून बिताकर कल ही वापस आए थे दोनों। साधारण सी शक्ल सूरत वाले आलोक के सामने मीनल किसी अप्सरा से कम नहीं थी। हनीमून पर जाकर आलोक को … Read more

पितृ दोष – शुभ्रा बैनर्जी 

समीर ने कई बार कहा था अम्मा और बाबूजी से,शहर में उसके पास आकर रहने के लिए।बाबूजी हर बार कुछ ना कुछ बहाना‌ करके टाल जाते थे।अम्मा का बड़ा मन होता था अपने बेटे के घर आकर रहने का,पर पति की इच्छा के चलते मन मारकर रह जातीं थीं।बाबूजी एक स्कूल मास्टर थे।थोड़ी बहुत खेती … Read more

दर्प दमन – शुभ्रा बैनर्जी

कामिनी संयुक्त परिवार में पली बढ़ी सुशिक्षित लड़की थी। परिवार में संस्कारों की छांव में पली कामिनी शुरू से ही अति महत्वाकांक्षी थी।पढ़ने में अव्वल तो थी ही,दिखने में भी खूबसूरत थी।यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही,सपनों के राजकुमार के साथ अपने सुनहरे भविष्य के ख्यालों में रहने लगी थी। स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण … Read more

हैसियत के हिसाब से रिश्तेदारी

आज नव्या की शादी की तिथि पक्की हो गई थी।नीरजा ने चैन की सांस ली।लगभग साल भर से, परेशान थी नीरजा। नव्या की पसंद का लड़का और परिवार ढूंढ़ना बड़ी टेढ़ी खीर था। नव्या की ढेर सारी शर्तों की चेतावनी के बाद,आशीष को पसंद किया था नीरजा ने। नव्या की पसंद नीरजा से ज्यादा और … Read more

मां की आह – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Story In Hindi

बाबूजी नौकरी में रहते ही,घर बनवा गए थे। फिजूलखर्ची ना करने वाले बाबूजी ने गांव में बंजर पड़ी काफी ज़मीन खरीद कर रखीं थीं।वैभव को पढ़ा-लिखा कर नौकरी भी लगवा दी और दोनों बेटियों की शादी भी करवाई थी संपन्न घरों में।उनकी मृत्यु के पश्चात अक्सर वैभव मां को ताना देता था”मां,तुमने बाबूजी को रोका … Read more

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