” माँ” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” अरे रोहन माँ को साथ नही लाये जबकि आज की पार्टी तो मैने स्पेशली हमारे बुजुर्गो के लिए रखी थी !” चिराग अपनी पार्टी मे अपने मित्र रोहन को अपनी पत्नी और बच्चो के साथ आता देख बोला। ” यार माँ का चार धाम यात्रा का बड़ा मन था तो उन्हे उसके लिए भेज … Read more

माँ की सलाह – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“अरी सुमन की माँ, जितने लाड़ लड़ाने अपनी बेटी को लगा लो, फिर कल को ये चली जाएगी, तो कोई लाड़ लड़ाने वाला नहीं होगा!” यह शब्द सुमन की माँ के कानों में गूंज रहे थे। वे अपनी बेटी सुमन को निहारते हुए यह सोच रही थीं कि उनकी बिटिया का क्या होगा, जब वह … Read more

सांप भी मर गया लाठी भी नही टूटी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” मम्मी जी कल मेरे पापा आ रहे हैं !” नई बहु शिवानी चहकती हुई अपनी सास आशा जी से बोली। ” अरे तो इसमें इतना खुश होने वाली बात क्या चौबीस साल बिताए हैं तुमने अपने पापा के साथ यहां तो तुम्हे आए चौबीस दिन ही हुए हैं । वैसे भी बहु हो तुम … Read more

परफेक्ट मैच – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोस्तों कहते हैं जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती है बस हम या आप तो उन्हें मिलाने का जरिया मात्र बनते हैं। कुछ जोड़ियों को देख हमारे मुंह से निकलता है वाह !क्या खूबसूरत जोड़ी है । पर कुछ जोड़ियां खूबसूरत भले ना हों पर उनका सच जान मुंह से यही निकलता है वाह ! … Read more

“मायके की निशानी” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

चारु की माँ का निधन पूरे परिवार के लिए एक गहरा आघात था। चारु और उसके भाई के लिए माँ का जाना एक ऐसा खालीपन था, जिसे कोई भर नहीं सकता था। अंतिम संस्कार और तेरहवीं के सारे संस्कार पूरे हो चुके थे। घर में अब सन्नाटा पसर चुका था। वह सन्नाटा जो हर किसी … Read more

आखिरी फैसला – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अपनी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला वो अकेले नहीं कर सकती थी क्योंकि वो अकेली नहीं थी उसके साथ उसके कुछ अपने भी जुड़े थे जो भले ही कहने भर को थे बस… आप सोच रहे होंगे किसकी बात कर रही हूं मैं?( तो इसका जवाब है मैं बात कर रही हूं पचपन वर्षीय मालती … Read more

बांझ – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

राधिका की खुशियां थामे नहीं थम रही थी आखिर आठ साल बाद मां बनने का सौभाग्य जो मिल रहा था।खुश तो माधव भी बहुत था आखिर नाउम्मीदी के दलदल में उम्मीद का कमल खिला था । अब बांझ नहीं कहेगा कोई मुझे ये सोच सोच राधिका खुश हो रही थी । कितना कुछ सहा उसने … Read more

“!!!! वंश !!!!” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” अरे राहुल कहाँ जा रहा है भाभीजी को लेकर इस समय !” देवेन ने अपने दोस्त को रोकते हुए पूछा । ” अरे यार एक डॉक्टर का पता लगा है जो गर्भ मे बच्चे की जांच करती है और अगर कुछ इधर उधर हो तो गर्भपात भी कर देती है तो बस तेरी भाभी … Read more

मासूम फूलों को संभालिये – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

वो अपनी तकलीफ किसी को नही बताती बस अकेले में घुटती जाती थी। धीरे धीरे उसे खुद से घृणा होने लगी अपने जिस्म पर उसे चींटियां सी रेंगती नजर आती और वो पागलों की तरह स्नानघर में घुसकर नहाने लगती मानो वो चींटियां हटा रही हो। ” क्या बात है तृषा बहुत दिनो में देख … Read more

अभी तो मैं जवान हूँ – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” अरे ये क्या कर रहे हो अब क्या तुम्हारी उम्र है बच्चों के साथ उछल कूद करने की !” अपने पति मोहन बाबू को पोते पोतियों के साथ खेलते देख कुमुद जी बोली। ” राघव की मां उम्र का क्या है वो तो बस एक नंबर भर है दिल तो अभी बच्चा है तो … Read more

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